Madhya Pradesh Election results 2018: बीजेपी के आक्रामक महासचिव बोले, इस बार एमपी में कांग्रेस एकजुट होकर लड़ी
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान ने अपना चुनावी अभियान चलाया उसके बाद माना जा रहा था कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से प्रदेश की सत्ता पर काबिज होगी। लेकिन जिस तरह से रुझान सामने आए हैं उसने पार्टी की मुश्किल को बढ़ा दिया है। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच काफी कांटे की टक्कर चल रही है। लेकिन जिस तरह से प्रदेश में भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ जूझना पड़ा है उसके पीछे की वजह खुद पार्टी के महासचिव और दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बताई है, हालांकि उन्होने इस बात का भरोसा जताया है कि पार्टी को 118 सीटों पर जीत मिलेगी।
बागियों की वजह से हुई मुश्किल
चुनाव के रुझानों पर खुलकर बात करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्रदेश में 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद निसंदेह लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी आती है, लेकिन इस बार के चुनाव में सरकार के प्रति लोगों में नाराजगी नहीं थी, बल्कि कुछ विधायकों के खिलाफ यह नाराजगी थी। उन्होंने कहा कि हमे इस बात की जानकारी मिल गई थी। लेकिन इस बार जिन लोगों को टिकट नहीं दिया गया हम उन्हें मनाने में सफल नहीं हुए और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। विजयवर्गीय ने कहा कि पहले यह होता था कि टिकट नहीं देने पर आम तौर पर उम्मीदवार बैठ जाया करते थे, लेकिन इस बार यह नहीं हुआ।
कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं बढ़ा सके
पार्टी की मुश्किल स्थिति के बारे में विजयवर्गीय ने कहा कि प्रदेश में इतने समय तक सरकार रहने पर यह आम है कि पार्टी के कार्यकर्ता कुछ हद तक उपेक्षित होते हैं। प्रदेश में हम कार्यकर्ताओं का मनोबल कुछ हद तक और उपर उठाने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि संगठन के स्तर पर हमसे कुछ चूक हुई है जिसकी वजह से पार्टी को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही भाजपा महासचिव ने इस बात को स्वीकार किया है कि हम कांग्रेस का सही आंकलन करने में विफल रहे।
कांग्रेस-कमलनाथ की तारीफ
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्रदेश में हम कांग्रेस की स्थिति का बेहतर आंकलन नहीं कर सके, हमने कांग्रेस को हल्के में लिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की तारीफ करते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि कभी-कभी हमे विपक्षी दल की तारीफ करनी चाहिए। पहले के चुनाव में कांग्रेस के भीतर अक्सर फूट रहती थी, लेकिन हमे कमलनाथ की तारीफप करनी होगी कि इस बार पार्टी के भीतर विद्रोह देखने को नहीं मिला और कांग्रेस ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा।
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