धर्म स्वातंत्र्य बिल पर शिवराज सिंह की हाई लेवल मीटिंग, धर्म परिवर्तन पर 10 साल की सजा
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम, 2020 को लेकर हाई लेवल मीटिग की है। बैठक में ये सुनिश्चित किया गया है कि किसी का भी जबरन धर्म परिवर्तन ना कराया जाए और धोखे से धर्म परिवर्तन कर शादियां ना की जाएं। मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया है कि धर्म परिवर्तन के इरादे से किया गया कोई भी विवाह वैध नहीं माना जाएगा। स्वेच्छा से और साथ ही संबंधित धर्मगुरु के माध्यम से जाने वाले किसी धर्म परिवर्तन के लिए भी एक महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होगा।
विधेयक के अनुच्छेद 3 के उल्लंघन पर एक से पांच साल की जेल और 25,000 रुपए जुर्माना होगा। यदि पीड़ित नाबालिग है, या एससी-एसटी समुदायों से संबंधित है तो दो से 10 वर्ष का कारावास और न्यूनतम 50,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है। स्वयं के धर्म को छिपाने के बाद धर्म परिवर्तन पर 3-10 साल की कैद और न्यूनतम 50,000 रुपए के जुर्माना होगा। सरकार ने बिल में एक और प्रावधान जोड़ दिया है, जिसके तहत 2 या इससे अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन कराने के दोषियों को 5 से 10 साल तक की सजा और 1 लाख का जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कि प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अब किसी को बहला-फुसलाकर, डरा-धमका कर शादी कर या षडयंत्र कर धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा। ऐसा करने वाले के खिलाफ सख्म कार्रवाई की जाएगी। प्रस्तावित बिल में प्रावधान किया गया है कि किसी व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया जाता है, तो पीड़ित के माता-पिता या सगे संबंधी भी शिकायत दर्ज करा सकेंगे। ऐसे मामले में अपराध गैर जमानती होगा।
ये भी पढ़ें- जानिए, किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के कौन से बॉर्डर हैं बंद