मध्य प्रदेश उपचुनाव: स्टार प्रचारक का दर्जा छीने जाने के खिलाफ SC पहुंचे कमलनाथ
स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटाने के EC के आदेश खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश उपचुनाव के लिए खुद को स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटाने के चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को कांग्रेस के स्टार प्रचारक से हटा दिया है। चुनाव आयोग ने आचार संहिता उल्लंघन के मामलों के बाद ये कार्रवाई करने की बात कही है। आयोग के स्टार प्रचारक का दर्जा छीने जाने के इस फैसले के खिलाफ शनिवार को कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। चुनाव आयोग की इस कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट जाने की बात मध्य प्रदेश कांग्रेस यूनिट के मीडिया कॉर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने शुक्रवार को ही कह दी थी।
कमलनाथ ने कहा- प्रचार करता रहूंगा
आयोग ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में कहा है कि आदर्श आचार संहिता के बार-बार उल्लंघन और कमलनाथ को जारी की गई सलाह की पूरी तरह से अवहेलना करने को लेकर आयोग मध्य प्रदेश विधानसभा के वर्तमान उपचुनावों के लिए उनका अपने राजनीतिक दल के लिए स्टार प्रचारक का दर्जा तत्काल प्रभाव से समाप्त करता है। कमलनाथ को स्टार प्रचारक के रूप में प्राधिकारियों की ओर से कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि कमलनाथ ने कहा है कि उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है लेकिन वो हार नहीं मानेंगे, प्रचार करते रहेंगे।
दिग्विजय सिंह ने कहा, आयोग सीमाएं लांघ रहा
कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा खत्म करने पर कांग्रेस नेता, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा है कि स्टार प्रचारक की सूची का अधिकार राजनीतिक दलों का है, केंद्रीय चुनाव आयोग का नहीं है। उन्होंने इस आदेश में अपनी गाइडलाइंस का उल्लंघन किया है।
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। तीन नवंबर को इन सीटों पर वोट डाले जाएंगे और 10 नवंबर को नतीजों का ऐलान होगा। जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने से खाली हुए हैं, वहीं दो सीटें कांग्रेस विधायकों के निधन से और एक सीट बीजेपी विधायक की मौत से खाली हुई है।
28 सीटों के नतीजों से होगा सरकार का फैसला
मध्य प्रदेश में 2018 के आखिर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ के नेतृ्त्व में प्रदेश में सरकार बनाई थी। इस साल मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बागी तेवर अपनाते हुए विधायकी और कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिससे कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। इसके बाद कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। तीन दिन बाद, 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई थी। बाद कांग्रेस के तीन और विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। बता दें कि इन 28 सीटों में जीत-हार से राज्य की सरकार को भी फैसला होना है।
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