MP में बढ़ी कांग्रेस की मुश्किल, सपा की एंट्री से फंसा BSP के साथ गठबंधन का पेंच
कांग्रेस और बसपा के बीच तो विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर तालमेल बन गया है, लेकिन समाजवादी पार्टी की एंट्री से मध्य प्रदेश में गठबंधन का पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है।
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी का सपना देख रही कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी हैं। 15 साल तक मध्य प्रदेश की सत्ता से दूर रही कांग्रेस, बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस और बसपा के बीच तो विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर तालमेल बन गया है, लेकिन समाजवादी पार्टी की एंट्री से मध्य प्रदेश में गठबंधन का पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है।
205 पर कांग्रेस, 25 पर बसपा!
सूत्रों की मानें तो 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन के तहत कांग्रेस 205 सीटों पर अपना दावा ठोक रही है। इन 205 सीटों में से 58 सीटें ऐसी हैं, जिनपर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि 147 सीटों पर वो दूसरे नंबर पर यानी रनर अप रही थी। कांग्रेस बसपा को 25 सीटें देने के लिए तैयार है, जबकि बसपा 30 सीटों की डिमांड कर रही है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में केवल 16 सीटें ही ऐसी थीं, जिनपर बसपा पहले और दूसरे नंबर पर रही थी। अब सपा के आने से इस गठबंधन में पेंच फंस गया है।
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इस फॉर्मूले पर फंसा गठबंधन का पेंच
दरअसल, मध्य प्रदेश में सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) का भी कुछ सीटों पर प्रभाव है। कांग्रेस और बसपा के गठबंधन में दोनों दलों को 3-3 सीटें दिए जाने की चर्चा है। सूत्रों के मुताबिक, इसमें पेंच ये फंस रहा है कि कांग्रेस चाहती है कि बसपा अपने कोटे से दोनों दलों को 3-3 सीटें दे, जबकि बसपा चाहती है कि कांग्रेस अपनी 205 सीटों में दोनों दलों को भागीदार बनाए। इस नए समीकरण से गठबंधन का गणित उलझता हुआ नजर आ रहा है। वहीं, सपा का कहना है कि अगर सीटों पर समझौता नहीं होता तो वो बसपा और गोंगपा के साथ मिलकर तीसरे मोर्चे के रूप में चुनाव लड़ेंगे।
गठबंधन के लिए ये है बसपा की शर्त
आपको बता दें कि पिछले दिनों ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ वो केवल तभी गठबंधन करेंगी, जब उन्हें सम्मानजनक और उचित सीटें मिलेंगी। मायावती ने कहा था कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के आगामी चुनावों को लेकर हाल के दिनों में जिस तरह की चर्चाएं और बयानबाजी हो रही हैं, उन्हें कांग्रेस की ओर से स्पष्ट किया जाए। कांग्रेस के कुछ नेता इन राज्यों में बसपा के साथ गठबंधन को लेकर जो बयान दे रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि यूपी में उनके ऊपर भी यही शर्तें लागू होती हैं।
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