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25वें जन्‍मदिन से एक दिन पहले ही देश के लिए शहीद हो गए प्रभु सिंह

माछिल में अपने 25वें जन्मदिन से एक दिन पहले ही शहीद हो गए थे राष्‍ट्रीय राइफल्‍स के जवान प्रभु सिंह। शहादत के बाद पाकिस्‍तान ने किया था शव के साथ बर्बर बर्ताव।

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नई दिल्‍ली। कुपवाड़ा के माछिल में मंगलवार को पाकिस्‍तानी आतंकियों के सा‍थ हुए एनकाउंटर में 57 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स के जवान प्रभु सिंह शहीद हो गए। शहादत के बाद पाक आतंकियों ने उनके शव को भी क्षत-विक्षत कर दिया था। क्‍या आप जानते हैं कि प्रभु सिंह अपने 25वें जन्‍मदिन से बस एक दिन पहले ही देश के लिए शहीद हो गए थे।

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गर्व और दुख एक साथ

प्रभु सिंह के साथ राष्‍ट्रीय राइफल्‍स के दो और जवान शशांक कुमार सिंह और मनोज कुमार कुशवाहा भी शहीद हो गए थे। दोनों ही उत्‍तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले थे। प्रभु सिंह जोधपुर के शेरगढ़ तहसील के रहने वोल थे।

उनके पिता चंद्र सिंह को इस बात का गर्व जरूर है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। लेकिन इस बात का अफसोस भी है कि उनका इकलौता बेटा अब उनके बीच नहीं है।

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बेटे को सिर्फ एक सैनिक बनना था

चंद्र सिंह के पिता को आज भी वह दिन याद है जब उनके घर पर बेटे प्रभु का जन्‍म हुआ था। चंद्र सिंह ने बेटे के जन्‍म के समय ही इस बात का फैसला कर लिया था कि उनका बेटा सिर्फ एक सैनिक बनेगा।

प्रभु सिंह के दादा यानी चंद्र सिंह के पिता अचल सिंह भी सैनिक थे और खुद चंद्र सिंह भी सैनिक रह चुके हैं। उन्‍होंने वर्ष 1979 से 1998 तक सेना में अपनी सेवाएं दी और उनकी तैनाती जम्‍मू कश्‍मीर के साथ दूसरे हिस्‍सों में भी हुई।

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देश के लिए शहीद होने की परंपरा

चंद्र सिंह के तीन और भाईयों ने सेना के साथ काम किया और वह आर्म्‍ड कॉर्प्‍स और आर्टिलरी के साथ मध्‍य प्रदेश में तैनात रहे। चंद्र सिंह के मुताबिक देश के लिए शहीद होना उनके परिवार की परंपरा रही है।

वहीं वह इस बात की मांग भी करते हैं कि सरकार को पाकिस्‍तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब कुछ करना होगा।

वहीं चंद्र सिंह के पड़ोसी बीजेपी के वर्ष 2014 में दिए गए चुनावी नारे की भी याद करते हैं जब बीजेपी ने,'एक सिर के बदले 10 सिर' लाने का वादा किया था। पड़ोसी अब कहते हैं कि चुनावी वादे कभी पूरे नहीं होते उनमें हमेशा कमी रह जाती है।

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सोमवार को आखिरी बार हुई बेटे से बात

जुलाई 2013 में शहीद प्रभु सिंह की शादी हुई थी और अब उनकी एक दो वर्ष की बेटी पलक कंवर है। उनकी पत्‍नी ओम कंवर और मां राजू कंवर ने मंगलवार शात सात बजे से कुछ भी नहीं खाया है।

इसी समय उनके घर पर प्रभु सिंह के शहीद होने की सूचना भेजी गई थी।

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प्रभु के पिता चंद्र सिंह कहते हैं कि वह अक्‍टूबर में अपने घर आए थे और दिवाली के 10 दिन पहले ही चले गए थे। सोमवार को आखिरी बार घरवालों की प्रभु से बात हुई थी।

पिता चंद्र सिंह ने जब मंगलवार के दिन बेटे को फोन मिलाया तो फोन की घंटी बजती रही। उनकी आंखें आंसुओं से भर जाती है जब वह कहते हैं कि आज उनका बेटा 25 वर्ष का हो जाता।

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English summary
A day before his birthday Prabhu Singh lost his life while fighting with Pakistani terrorists in Machil Jammu Kashmir.
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