एलवी प्रसाद नेत्र संस्थान ने बेहतरीन इलाज से पेश की मिसाल, हजारों जरूरतमंदों को लौटाई रोशनी
हैदराबाद। वैश्विक स्वास्थ्य सेवा लगातार बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में हैदराबाद आई इंस्टीट्यूट (HEI) द्वारा संचालित एल वी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (LVPEI) का माधापुर केंद्र समाज के सभी वर्गों के लिए आंखों का गुणवत्तापूर्ण उपचार कर सराहनीय कार्य कर रहा है। आज से 37 साल पहले 1987 में एलवीपीईआई ने हैदराबाद में अपना पहला अस्पताल खोला था। तब से इस संस्थान ने अपने आधार मूल्य को "तीन ई" यानिक इक्विटी (सबके लिए समान), इफिसिएंसी (दक्षता) और एक्सलेंस (उत्कृष्टता) के रूप में स्थापित किया है।
इक्विटी से मतलब सभी रोगियों (जो सेवाओं के लिए भुगतान करते हैं या नहीं, अमीर या गरीब) के लिए गुणवत्ता से समझौता किए बिना एक ही तरह का इलाज उपलब्ध कराना है। दक्षता से अभिप्राय सर्वोत्तम उपलब्ध साधनों और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने, शोध के परिणामों को नैदानिक अभ्यास में बदलने, और आवश्यकतानुसार विकसित या परिवर्तित नीति से है। उत्कृष्टता वह लक्ष्य है जो LVPEI ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के चार राज्यों में विभिन्न परिसरों में स्थित सभी अस्पतालों को प्राप्त करने का प्रयास करता है।
कमजोर
वर्गों
के
लिए
मुफ्त
इलाज
भी
एलवी
प्रसाद
नेत्र
संस्थान
रोगियों
की
व्यापक
देखभाल,
दृष्टि
वृद्धि
और
पुनर्वास
सेवाएं
भी
प्रदान
करता
है।
आँख
की
स्वास्थ्य
के
लिए
एक
कार्यप्रणाली
बनाने
की
दिशा
में
काम
करने
के
लिए,
जो
सुदूर
स्थित
आबादी
का
इलाज
करती
है,
एल.वी.
प्रसाद
आई
इंस्टीट्यूट
ने
विजन
सेंटर
के
रूप
में
दूरदराज
के
गांवों
में
प्राथमिक
नेत्र
देखभाल
केंद्र
स्थापित
किए
हैं।
LVPEI
के
सभी
केंद्रों
पर
आर्थिक
रूप
से
कमजोर
वर्गों
के
50%
रोगियों
का
इलाज
मुफ्त
किया
जाता
है।
संस्थान
समर्पित
लोगों,
विचारशील
व्यक्तियों,
कॉर्पोरेट
और
पीएसयू
की
उदारता
के
चलते
अब
तक
हजारों
लोगों
को
आंखों
की
रोशनी
दी
है।
ओडिशा,
तेलंगाना,
आंध्र
प्रदेश
और
कर्नाटक
में
4
तृतीयक,
20
माध्यमिक,
200
से
अधिक
दृष्टि
केंद्रों
में
50%
रोगियों
को
मोतियाबिंद
से
लेकर
कैंसर
तक
की
मुफ्त
इलाज
की
सेवा
दी
जाती
है।
कोविड-19 के दौरान अस्पताल ने किए ये काम
- लाभ को अपना उद्देश्य नहीं बनाने के चलते हमने कोविड के दौरान भी अपनी सेवाओं का 50% निशुल्क प्रदान करना जारी रखा और अत्यंत समर्पण के साथ उन लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहे।
- सर्जिकल केयर के साथ इमरजेंसी केयर भी जारी रही।
- रोगियों को घर पर रहकर देखभाल में मदद करने के लिए बेहद ही कम लागत पर फोन पर सलाह।
- कम लागत, आसानी ने बनने वाले ओएस विजर्स (प्रोटेक्टिव फेस गियर) और वेंटिलेटर
- शहर के अस्पतालों में नवजात शिशुओं को दृष्टिबाधित और अंधापन की जांच और पुनर्वास देखभाल।
- 2900 सदस्य/कर्मचारी बिना सेलरी कट और बिना नौकरी खोए काम कर रहे हैं।