इस एयरलाइंस ने इस बात पर निकाले 103 भारतीय कर्मचारी, बोली ये बात
इस एयरलाइंस ने इस बात पर निकाले 103 भारतीय कर्मचारी, बोली ये बात
मुंबई। कोरोना के चलते लाखों लोग बेरोजगार हो गए। लॉकडाउन में सबसे अधिक एयरलाइन इडस्ट्री पर असर पड़ा जिसके चलते इस क्षेत्र में कई लोगों की नौकरी गई। लेकिन अब जब कि एयरलाइन की बिगड़ी हालत दोबारा सेवाएं शुरू होने के बाद सुधर गई हैं वहीं जर्मनी की एयरलाइन लुफ्थांसा ने भारत में रखे गए 103 उड़ान परिचारकों को नौकरी से बाहर कर दिया है। इन परिचारकों की गलती महज बस ये थी कि उन्होंने अपनी एयरलाइन से 'नौकरी की गारंटी' मांगी थी। जिसकी बात सुनकर कंपनी ने इनकी सेवाएं समाप्त करते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया।
बता
दें
ये
बात
तब
उठी
जब
कंपनी
ने
इन
परिचालकों
को
दो
साल
तक
बिना
वेतन
के
अवकाश
पर
जाने
का
विकल्प
दिया
था।
सूत्रों
के
अनुसार
ये
लोग
कंपनी
के
साथ
निर्धारित
अनुबंध
पर
काम
कर
रहे
थे
और
कंपनी
में
15
साल
से
अधिक
समस
से
काम
कर
रहे
थे।लुफ्थांसा
कंपनी
के
प्रवक्ता
ने
बल्कि
बताया
कि
कोरोना
महामारी
के
कारण
कंपनी
पर
वित्तीय
प्रभाव
पड़ा
जिसके
चलते
एयरलाइन
के
लिए
पुनर्गठन
के
अलावा
और
कोई
उपाय
नहीं
बचा
था।
उन्होंने
बताया
कि
कंपनी
दिल्ली
स्थित
परिचालकों
को
कंपनी
सेवा
विस्तार
घाटे
की
वजह
से
नहीं
दे
सकती
हे
जो
तय
अवधि
के
अनुबंध
पर
हैं।
प्रवक्ता
ने
ये
स्पष्ठ
नहीं
बताया
कि
कितने
परिचालाकों
को
कंपनी
से
निकाला
गया
है।
प्रवक्ता
ने
दावा
कि
किसी
भी
कर्मचारी
पर
इसका
प्रभाव
नहीं
पड़ा
है
क्योंकि
कंपनी
उनके
साथ
अलग-अलग
समझौते
करने
में
सफल
रही
है।
उन्होंने
कहा
कि
ये
बताते
हुख
हो
रहा
है
कि
दिल्ली
स्थित
अपने
परिचालकों
को
कंपनी
बाहर
कर
रही
है
जिन्हें
कंपनी
ने
कुछ
अवधि
के
लिये
नौकरी
पर
रखा
था।
कोरोना
महामारी
के
कारण
हुए
नुकसान
के
कारण
लुफ्थांसा
एयरलाइन
के
सामने
पुनर्गठन
के
अलावा
कोई
विकल्प
नहीं
छोड़ा
है.
इन
उपायों
में
भारत
जैसे
अहम
अंतरराष्ट्रीय
बाजार
के
साथ
साथ
जर्मनी
और
यूरोप
में
भी
कर्मचारियों
से
संबंधित
किये
गये
उपाय
शामिल
हैं।
कंपनी ने बताया 2025 तक की लंबे समय वाले प्रोजेक्ट में विमानों की संख्या में 150 की कटौती की जाएगी। जिसके कारण केबिन क्रू में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या कम करनी पड़ेगी। कंपनी ने बताया कि कई देशों द्वारा कोरोना महामारी के चलते अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर लगायी गयी पाबंदियों से केबिन क्रू के कर्मचारियों के पास बहुत काम नहीं बचा है इसलिए कंपनी पर ये अतिरिक्त बोझ ही है जबकि पहले से ही कंपनी नुकसान में चल रही है।