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12 मई को लेफ्टिनेंट फैयाज को ज्‍वॉइन करनी थी ड्यूटी, दोस्‍तों के बहाने आतंकी ले गए थे घर से बाहर

कश्‍मीर में आतंकवाद के 28 वर्षों में यह पहली बार हुआ है जब आतंकियों ने किसी आर्मी ऑफिसर को किडनैप कर उसकी हत्‍या की है। लेफ्टिनेंट फयाज का जबड़ा टूटा था, एक दांत गायब था।

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श्रीनगर। जम्‍मू कश्‍मीर की राजधानी श्रीनगर से 75 किलोमीटर दूर साउथ कश्‍मीर के कुलगाम में बुधवार को मातम पसरा था। गांव की महिलाएं जहां मंगलवार को एक लड़की के शादी की खुशियों में लगी हुई थीं, वहीं महिलाएं अब अपने आंसू पोंछ रही थीं। मंगलवार की शाम यहां पर 23 वर्ष के लफ्टिनेंट उमर फैयाज पैरी की हत्‍या कर दी गई। पैरी की हत्‍या ने गांव के माहौल में मातम में बदलकर रख दिया है।

 12 मई को लेफ्टिनेंट फैयाज को ज्‍वॉइन करनी थी ड्यूटी

मारने से पहले आतंकियों ने किया टॉर्चर

कुलगाम के हारमिन गांव के पड़ोस में ही है शोपियां और यहां पर लेफ्टिनेंट पैरी का शव बरामद हुआ था। लेफ्टिनेंट फैयाज की हत्‍या से पहले आतंकियों ने उन्‍हें टॉर्चर किया था। एक बगीचे में मिली उनके शव को देखकर यह बात साबित हो गई थी। उनकी पीठ पर कई निशान थे, उनका जबड़ा टूटा हुआ था, एड़ी भी टूटी थी और उनका दांत गायब था। इसके अलावा शरीर पर कई जगहे कटे के निशान थे। लेफ्टिनेंट फैयाज अपनी बहन की शादी में गए हुए थे। पिछले 28 वर्षों में जब से कश्‍मीर में आतंकवाद ने पैर पसारे हैं, तब से यह पहली घटना है जब इंडियन आर्मी के किसी ऑफिसर को इसी तरह से किडनैप कर उनकी हत्‍या की गई है। फैयाज अहमद पैरी के पिता अपने बेटे की मौत से इस कदर दुखी हैं कि किसी से भी बात नहीं कर रहे हैं। आठ जून 1994 को जन्‍मे लेफ्टिनेंट फैयाज को 12 मई को ड्यूटी ज्‍वॉइन करनी थी। लेकिन उससे दो दिन पहले ही आतंकियों ने उनकी हत्‍या कर दी।

दोस्‍तों का नाम लेकर आतंकी ले गए घर से बाहर

फैयाज के तौर पर उनके खानदान को कई वर्षों बाद कोई लड़का मिला था। जब उनका जन्‍म हुआ तो उनके परिवार ने आसपास मिठाईयां बांटकर जश्‍न मनाया। इसके बाद 10 दिसंबर 2016 को जब वह सेना में कमीशंड हुए तो एक बार फिर से मिठाईयां बांटी गईं। लेफ्टिनेंट फैयाज के चाचा मंजूर अहमद पैरी ने उन्‍हें पूरी जिंदगी गाइड किया। वह आर्मी गुडविल स्‍कूल पहलगाम के छात्र थे और उन्‍हें खेल-कूद का काफी शौक था। उनके चाचा मंजूर हमेशा उन्‍हें घाटी के बाकी युवाओं से अलग रास्‍ता चुनकर उस पर ही चलने के लिए कहते थे। चार वर्षों में लेफ्टिनेंट फैयाज 12 बार घर आए और जितनी बार घर आए उनके चाचा उनके लिए टिकट खरीदते। वह सैनिकों को टिकट पर मिलने वाली छूट को लेने से भी इंकार कर देते थे। वह हमेशा लेफ्टिनेंट फैयाज से कहते, 'तुम हमारे बहादुर बेटे हो।' अपने बहादुर बेटे के जाने के बाद से चाचा मंजूर की आंख से आंसू लगातार बह रहे हैं। मंगलवार को शाम करीब छह बजे कुछ लोग लेफ्टिनेंट फैयाज जिस घर में थे वहां पर दाखिल हुए। उन्‍होंने उनसे कहा कि उनके कुछ पुराने दोस्‍त बाहर उनका इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद शाम 8:30 बजे हरमन चौक पर उनका शव मिला।

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English summary
Lt. Ummer Fayaz was about to join duty on 12th May but militants killed him in Shopian.
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