ले. जनरल पीजीके मेनन ने संभाली लेह स्थित 14 कोर की कमान, ले. जनरल हरिंदर पहुंचे देहरादून
नई दिल्ली। लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने लेह स्थित 14 कोर की कमान संभाल ली है। चीन के साथ जारी तनाव के बीच लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने ले. जनरल मेनन को कमान सौंपी। ले. जनरल सिंह ने लद्दाख में अपना एक साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद अब देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) की कमान संभालेंगे। ले. जनरल मेनन ने 21 सितंबर और फिर 12 अक्टूबर को पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी टकराव को टालने के लिए हुई मीटिंग में हिस्सा लिया था। जनरल मेनन को सिख रेजीमेंट की 17वीं बटालियन में कमीशन मिला था।
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चीन को पड़ोसी धर्म बताने वाले ल. जनरल मेनन
14 कोर को ही 'फायर एंड फ्यूरी' के तौर पर भी जाना जाता है। इस कमांड पर चीन से लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएएसी) के साथ द्रास-कारगिल-बटालिक और सियाचिन सेक्टर में पाकिस्तान से निबटने की जिम्मेदारी है। ऐसे में इस कमान की चुनौतियां भी दोगुनी हो जाती है। डोकलाम के बाद चीन के साथ मीटिंग ले. जनरल पीजीके मेनन इंडियन आर्मी के वही ऑफिसर हैं जिन्होंने नवंबर 2018 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग के बुमला में आयोजित भारत-चीन वार्ता का प्रतिनिधित्व किया था। उस समय वह मेजर जनरल थे और बुमला में हुई मीटिंग को एक अहम मुलाकात माना गया था। यह पहला मौका था जब किसी मेजर जनरल रैंक के ऑफिसर ने चीन के साथ वार्ता को लीड किया था। यह मीटिंग साल 2017 में डोकलाम संकट और अप्रैल 2018 में वुहान सम्मेलन के बाद आयोजित हुई थी। वुहान में ही उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहली अनौपचारिक मुलाकात हुई थी। बुमला में हुई बॉर्डर पर्सनल मीट (बीपीएम) मीटिंग में तय आपसी भरोसे निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा थी। ले. जनरल मेनन ने बुमला में उस समय चीनी जनरल ली शी झोंग के साथ मीटिंग की थी। कहते हैं कि दोनों के बीच आज भी दोस्ताना रिश्ते हैं। सेना के विशेषज्ञ मानते हैं कि ल. जनरल मेनन चीनी सेना के मनोविज्ञान को काफी बेहतरी से समझते हैं।
ले.जनरल सिंह ने की थी चीन पर भविष्यवाणी
छह जून को भारत और चीन के बीच पहली कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी। तब से लेकर 12 अक्टूबर तक हुई सात दौर की कोर कमांडर वार्ता तक जनरल सिंह ने ही भारत की अगुवाई की। ले. जनरल सिंह को एक सख्त मिजाज वाला ऑफिसर माना जाता है। ले. जनरल सिंह ने 10 साल पहले चीन पर टिप्पणी की थी और 10 साल बाद वह चीनी सेना के साथ विवाद को सुलझाने की कोशिशें करते रहे। साल 2010 में ले. जनरल सिंह कर्नल के पद पर थे और उन्होंने 'इमरजिंग लैंड वॉरफाइटिंग डॉक्टराइन्स एंड केपेबिलिटीज' के टाइटल के साथ पेपर लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि भारत और चीन सन् 1962 के बाद से ही अपने सीमा विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं। बॉर्डर पर टकराव एक ऐसा मसला है जिसे रोका न जाए तो वह एक स्थानीय संघर्ष में तब्दील हो जाता है। 10 साल बाद अब ले. जनरल को जिम्मा दिया गया कि वह इसी टकराव को सुलझाने का रास्ता निकालें।