डोकलाम के बाद चीन को पड़ोसी धर्म बताने वाले ले. जनरल पीजीके मेनन को मिली लद्दाख में LAC की जिम्मेदारी
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी टकराव के बीच ही सेना में नेतृत्व के स्तर पर बड़ा बदलाव हुआ है। लद्दाख में चीन से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की सुरक्षा की जिम्मेदारी तय करने वाली 14 कोर के कमांडर अब लेफ्टिनेंट जनरल पीजेके मेनन होंगे। उन्हें 14 कोर जिसे फायर एंड फ्यूरी के नाम से भी जानते हैं, उसका जनरल ऑफिसर इन कमांड यानी जीओसी नियुक्त किया गया है। वहीं उनसे पहले यहां पर तैनात रहे ले. जनरल हरिंदर सिंह अब देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) के कमांडर होंगे।
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चीन मामलों के जानकार ले. जनरल मेनन
ले. जनरल पीजीके मेनन का नाम उस समय सुर्खियों में आए थे जब 21 सितंबर को मोल्डो में भारत और चीन के बीच छठें दौर की कोर कमांडर वार्ता हुई थी। इस वार्ता में पहली बार भारत की तरफ से दो ले. जनरल रैंक ऑफिसर ने हिस्सा लिया था। उसी समय यह जानकारी सामने आई थी कि ले. जनरल मेनन अब 14 कोर को कमांड करेंगे। डोकलाम के बाद चीन के साथ मीटिंग ले. जनरल पीजीके मेनन इंडियन आर्मी के वही ऑफिसर हैं जिन्होंने नवंबर 2018 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग के बुमला में आयोजित भारत-चीन वार्ता का प्रतिनिधित्व किया था। उस समय वह मेजर जनरल थे और बुमला में हुई मीटिंग को एक अहम मुलाकात माना गया था। यह पहला मौका था जब किसी मेजर जनरल रैंक के ऑफिसर ने चीन के साथ वार्ता को लीड किया था। यह मीटिंग साल 2017 में डोकलाम संकट और अप्रैल 2018 में वुहान सम्मेलन के बाद आयोजित हुई थी। वुहान में ही उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहली अनौपचारिक मुलाकात हुई थी। बुमला में हुई बॉर्डर पर्सनल मीट (बीपीएम) मीटिंग में तय आपसी भरोसे निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा थी। ले. जनरल मेनन ने बुमला में उस समय चीनी जनरल ली शी झोंग के साथ मीटिंग की थी। कहते हैं कि दोनों के बीच आज भी दोस्ताना रिश्ते हैं। सेना के विशेषज्ञ मानते हैं कि ल. जनरल मेनन चीनी सेना के मनोविज्ञान को काफी बेहतरी से समझते हैं।
10 साल पहले जनरल सिंह ने चीन पर क्या कहा था
छह जून को भारत और चीन के बीच पहली कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी। तब से लेकर हाल ही में मोल्डो में हुई कोर कमांडर वार्ता तक जनरल सिंह ने ही भारत की अगुवाई की। ले. जनरल सिंह को एक सख्त मिजाज वाला ऑफिसर माना जाता है। ले. जनरल सिंह ने 10 साल पहले चीन पर टिप्पणी की थी और 10 साल बाद वह चीनी सेना के साथ विवाद को सुलझाने की कोशिशें करते रहे। साल 2010 में ले. जनरल सिंह कर्नल के पद पर थे और उन्होंने 'इमरजिंग लैंड वॉरफाइटिंग डॉक्टराइन्स एंड केपेबिलिटीज' के टाइटल के साथ पेपर लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि भारत और चीन सन् 1962 के बाद से ही अपने सीमा विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं। बॉर्डर पर टकराव एक ऐसा मसला है जिसे रोका न जाए तो वह एक स्थानीय संघर्ष में तब्दील हो जाता है। 10 साल बाद अब ले. जनरल को जिम्मा दिया गया कि वह इसी टकराव को सुलझाने का रास्ता निकालें।