क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

यूपी में लव संकटः राधा-कृष्ण की ब्रजभूमि में दम तोड़ती मोहब्बतें

ये वही ब्रजभूमि है जिस पर बना ताजमहल दुनियाभर के प्रेमियों का तीर्थ है.इस ब्रज क्षेत्र के घर-घर में राधाकृष्ण की प्रेम लीलाओं के गीत गाए जाते हैं, लेकिन अब यहां प्रेमियों के हिस्से मौत लिखने की कहानियां सामने आ रही है. मानों घरों के अंदर एक अनदेखा युद्ध चल रहा हो  जिसमें जवानी की दहलीज़ पर खड़े युवक-युवतियां हैं और दूसरी ओर उनके अपने ही परिजन.

 

By दिलनवाज़ पाशा
Google Oneindia News
ताजमहल प्रेमी
BBC
ताजमहल प्रेमी

11 जून. नयागांव, एटा: आम के पेड़ से लटकते मिले सत्यप्रकाश यादव और सपना यादव (बदला हुआ नाम)

24 जून, गणेशपुर, मैनपुरी: अमन यादव और रेखा यादव (बदला हुआ नाम) के तेज़ाब से जले शव झाड़ी में मिले

27 जून खैरागढ़, आगरा: श्यामवीर तोमर और उसकी प्रेमिका नेहा कुशवाहा (बदला हुआ नाम) के शव खेत में पड़े मिले

01 जुलाई, सोरों, कासगंज, कुंवरपाल लोधी और उनकी प्रेमिका के रक्तरंजित शव मिले

प्रेमियों के ख़ून से लाल हुई ये वही ब्रजभूमि है जिस पर बना ताजमहल दुनियाभर के प्रेमियों का तीर्थ है.

इस ब्रज क्षेत्र के घर-घर में राधाकृष्ण की प्रेम लीलाओं के गीत गाए जाते हैं, लेकिन अब यहां प्रेमियों के हिस्से मौत लिखने की कहानियां सामने आ रही है.

मानों घरों के अंदर एक अनदेखा युद्ध चल रहा हो जिसमें एक ओर जवानी की दहलीज़ पर खड़े युवक-युवतियां हैं और दूसरी ओर उनके अपने ही परिजन.

हाल के दिनों में आगरा और आसपास के ज़िलों से सम्मान के नाम पर प्रेमियों की हत्या के कई मामले सामने आए हैं.

मैनपुरी के वरिष्ठ पत्रकार मनोज चतुर्वेदी कहते हैं, "कमज़ोर नाज़ुक उम्र के बच्चों की ज़िद और परिवारों के सम्मान के बीच टकराव में मासूम बच्चों की जानें जा रही हैं."

श्यामवीर
BBC
श्यामवीर

27 जून की सुबह हुई भी नहीं थी कि आगरा के ख़ैरागढ़ थानाक्षेत्र के नगला गोरऊ गांव में एक युवक और नाबालिग किशोरी की लाशें खेत में मिलने से तनाव फैल गया.

मारा गया युवक श्यामवीर तोमर था जिसके पास ही उसकी प्रेमिका नेहा कुशवाहा की लाश पड़ी थी.

सुबह चार बजे गांव के प्रधान ने श्यामवीर के घर आकर बताया, 'तुम्हारा बच्चा मरा पड़ा है.'

श्यामवीर की मां बताती हैं, 'मैं तड़प तड़प कर अपना सर पीटती रही लेकिन कोई मुझे मेरे बच्चे के पास नहीं ले गया.'

श्यामवीर का परिवार जाति से ठाकुर और पेशे से किसान है. वो पास के ही गांव की एक कुशवाहा जाति की नाबालिग लड़की से प्रेम करता था.

ठाकुर लड़के और कुशवाहा लड़की के प्रेम के बारे में गांव में चर्चा थी. एक बार पंचायत भी हुई थी और उसे दूसरी जाति की लड़की से ना मिलने के लिए समझाया गया था.

लेकिन उसका परिवार ये मानने को तैयार नहीं है कि वो अपने साथ मारी गई लड़की से प्रेम करता था.

शादी के सवाल पर उसकी मां कहती हैं, "ऐसे शादी कैसे कर देते, वो काछी हैं, हम ठाकुर हैं."

बात करते-करते अचानक उसकी मां विलाप करने लगती हैं. थरथराती आवाज़ में वो कहती हैं, "मेरा बच्चा प्यार में मारा गया."

आगरा पुलिस ने श्यामवीर और नेहा की मौत को सम्मान के नाम पर हत्या माना है.

श्यामवीर के भाई ओमवीर के मोबाइल में भाई की मौत से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो हैं.

श्यामवीर की प्रेमिका का घर
BBC
श्यामवीर की प्रेमिका का घर

वो कहते हैं, "मेरे भाई को बहुत तड़पा-तड़पा कर मारा गया. जब मैं ये तस्वीरें देखता हूं तो ख़ून खौलने लगता है. बहुत रोना आता है. ऐसा लगता है कि या तो हत्यारों को मार दें या स्वयं मर जाएं."

इस मामले में नेहा के पिता, माता और बहन समेत कुल पांच लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. आगे की तफ़्तीश अभी जारी है.

आगरा के पुलिस अधीक्षक जोगिंदर सिंह के मुताबिक नेहा के पिता ने हत्या के आरोपों को स्वीकार किया है.

वहीं श्यामवीर के परिवार का कहना है कि नेहा के परिवार के साथ उनके घनिष्ठ संबंध थे. दोनों परिवारों के खेत भी आपस में लगे हुए थे और घर में भी आना-जाना था.

नेहा के गांव कच्छपुरा गोरऊ और श्यामवीर के गांव नगला गोरऊ के बीच बस कुछ खेतों का फ़ासला है.

इन्हीं खेतों में कभी-कभी श्यामवीर और नेहा की मुलाक़ातें हो जाया करती थीं.

प्रेमी
BBC
प्रेमी

पुलिस जांच में सामने आया है कि श्यामवीर देर रात नेहा से मिलने पहुंचा था. उसे नेहा के साथ देख आक्रोशित हुए परिजनों ने दोनों की हत्या कर दी.

नेहा के घर में अब सन्नाटा पसरा है. आधा परिवार गिरफ़्तार हैं और बाकी लोग फ़रार हैं.

यहां एक बूढ़ी औरत कहती हैं, "बहुत बुरा हुआ. ऐसा लग रहा है जैसे गांव उजड़ गया हो. कुछ अच्छा नहीं लग रहा है. भय फैल गया है."

ख़ामोशी और ख़ौफ़ में घिरे इस गांव में कोई बात करने को तैयार नहीं होता. दबी ज़बान में लोग ये ज़रूर कहते हैं कि जो हुआ बुरा है.

कुछ लोग एक सुर में कहते हैं, "हमारे बुज़ुर्ग और हमारे संस्कार ऐसे कामों की अनुमति नहीं देते."

श्यामवीर के गांव के एक बुज़ुर्ग कहते हैं, "अगर उसे पकड़ भी लिया था तो मार पीट लेते. हाथ-पैर तोड़ देते. पुलिस को दे देते. मुक़दमा कर देते. जान लेने की क्या ज़रूरत थी?"

एक अन्य युवक कहता है, "इस हत्या के बाद से भय फैल गया है. ये हत्याएं भय फैलाने के लिए की गई हैं."

ऑटो
BBC
ऑटो

क्या इस घटना को रोका जा सकता था? इस सवाल पर नगला गोरऊ के राजवीर सिंह कहते हैं, "अगर लड़की के परिजन चाहते तो इस घटना को रोका जा सकता था. पुलिस है, प्रशासन है. उन्हें सभी क़ानून अपने हाथ में नहीं लेने थे. प्रशासन को कुछ मौका दिया जाता तो वो सुलह करा देते, ज़रूरत होती तो कोर्ट मैरिज करा देते. अगर सबकी सहमति होती तो बच्चों का घर भी बस जाता."

वो घटना के पीछे सबसे बड़ी वजह जाति को मानते हैं. वो कहते हैं, "जाति के कारण दोनों की शादी तो नहीं हो पाती लेकिन जाति से हमें इतनी परेशानी नहीं थी जितनी जान जाने से है. इस हत्याकांड ने गांव की शांति ख़त्म कर दी है. दो बेग़ुनाह बच्चों की जान गई है."

राजवीर कहते हैं, "इस घटना से हमारा परिवार बदनाम हुआ है, गांव बदनाम हुआ है, जाति बदनाम हुई है लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि दो बच्चों की जान गई है. ये जान नहीं जानी चाहिए थी चाहे कुछ भी करना पड़ता."

अंतरजातीय विवाहों का विरोध

स्थानीय समाज यहां अंतरजातीय विवाहों का विरोध करता है. आमतौर पर अंतरजातीय शादियां यहां नहीं होती हैं. आगरा के वरिष्ठ पत्रकार भानुप्रताप सिंह कहते हैं, "ब्रज क्षेत्र में जाति सबसे प्रभावी कारण है. एक जाति दूसरी जाति को स्वीकार नहीं होती है. मान-सम्मान यहां सबसे बड़ा मसला है. अगर एक जाति की लड़की किसी दूसरी जाति के लड़के से विवाह कर ले तो ये बड़ा मामला बन जाता है. "

श्यामवीर
BBC
श्यामवीर

गांव के लोग कहते हैं कि पुलिस ने घटना के बाद शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव काम किया है और अगर पुलिस की भारी मौजूदगी नहीं होती तो घटना की प्रतिक्रिया में भी कुछ घटनाएं हो सकती थीं.

इस इलाक़े में अब तनावपूर्ण शांति है. लेकिन यहां से क़रीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर मैनपुरी का गणेशपुर गांव अब भी पुलिस बलों के पहरे में है.

वो 19 जून की शाम थी. घर में शादी की ढोलक बज रही थी. पड़ोसी-रिश्तेदार जुटे थे. दुल्हन बनने जा रही रेखा पर सबकी नज़रें थीं.

छुपती-छुपाती, बचती-बचाती वो घर से निकलकर खेत की ओर गई. अमन भी पीछे हो लिया. ये रेखा की शादी से पहले दोनों की आख़िरी मुलाक़ात थी. लेकिन ज़िंदगी का आख़िरी दिन साबित हुई.

तेज़ाब
BBC
तेज़ाब

रेखा के चचेरे भाइयों ने दोनों को मिलते हुए देख लिया. आवेश में वहीं दोनों की हत्या कर दी. पहचान छुपाने के लिए चेहरों को तेज़ाब से जला दिया गया. 24 जून को दोनों की लाशें गांव के पास ही झाड़ियों से मिली. इस दिन रेखा की बारात भी आनी थी.

मैनपुरी पुलिस ने गणेशपुर गांव में हुई इस घटना को ऑनर किलिंग यानी सम्मान के नाम पर हत्या माना है. हत्या में शामिल सपना के चचेरे भाइयों को गिरफ़्तार कर लिया है.

अमन और रेखा क़रीब दो साल से एक दूसरे को प्यार करते थे. अमन के एक नज़दीकी मित्र के मुताबिक रेखा के चचेरे भाइयों ने कई बार अमन को धमकाया भी था और कोमल से दूर रहने के लिए कहा था.

अमन लापता होने से पहले अंतिम बार अपने मित्र अमित यादव से मिला था. उस शाम को याद करते हुए अमित कहते हैं, "मैं अपनी गाड़ी से बाहर निकल ही रहा था कि अमन मिल गया. वो बहुत उदास और गुमसुम लग रहा था. मैंने पूछा क्या हुआ तो वो कुछ बोला नहीं. इसके बाद वो चला गया."

अमित के मुताबिक, 'रेखा की शादी होने जा रही थी और अमन उसकी शादी की तैयारियां करा रहा था. उसने रेखा को ख़रीददारी भी कराई थी.'

अमित बताते हैं, "शादी से पहले वो रेखा से अंतिम बार मिलना चाहता था. दिन में दोनों के बीच रात को मिलने को लेकर बात भी हुई थी. वो मिलने गया और वापस नहीं लौटा."

अमन
BBC
अमन

पुलिस के मुताबिक लड़की के माता पिता या परिवार के अन्य बुजुर्गों को इस हत्याकांड के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. अभी तक की जांच में पांच लोगों के नाम सामने आए हैं जिनमें से दो को गिरफ़्तार कर लिया गया है और तीन फ़रार हैं.

मैनपुरी के अपर पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश सिंह ने इसे सम्मान के नाम पर हत्या का मामला बताते हुए कहा, "अभियुक्तों ने लड़की को अमन से मिलते हुए देख लिया था. सभी अभियुक्त 25 साल से कम उम्र के हैं. उन्होंने आवेश में इस हत्याकांड को अंजाम दिया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक दोनों की मौत उसी रात (19 जून) को हो गई थी."

उन्होंने कहा, "इस मामले में सगे रिश्तेदारों ने हत्याएं की है. आज का युवा जाति और समाज के बंधनों से आज़ाद होना चाहते हैं. वो आज़ाद माहौल में जी रहे हैं और समाज इस आज़ादी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है."

लड़की के ताऊ से जब पूछा गया कि दोनों की शादी क्यों नहीं करवाई गई तो उन्होंने कहा, "दोनों एक ही परिवार के बच्चे थे. हमारे समाज में ऐसी शादियां नहीं होती हैं."

पुलिस लाइन
BBC
पुलिस लाइन

वो कहते हैं, "तीन दिन लड़की लापता थी. अपमान के मारे हम खाना नहीं खा पा रहे थे. बेइज्ज़ती इतनी हुई है कि घर से नहीं निकल पा रहे हैं. रेल के नीचे कट जाने का मन करता है लेकिन कट नहीं सकते."

पत्रकार मनोज चतुर्वेदी कहते हैं, "इन इलाक़ों में परिवारों का सम्मान सर्वोपरि है. पहले बच्चों को समझाया जाता है. डांटा जाता है. मारा-पीटा तक जाता है लेकिन जब परिवारों को लगता है कि बात हाथ से निकल गई है तो इतने भयानक क़दम भी उठ जाते हैं."

रेखा की मौत का सबसे ज़्यादा असर उसके छोटे भाई बहनों पर दिखता है. उससे छोटी बहन को उदासी ने घेर लिया है. शब्द उसके गले में फंस गए हैं, आंखें रो-रोकर डूब गई हैं. डरी सहमी हुई जब वो घर के काम करने के लिए इधर-उधर चलती है तो लगता है जैसे कोई ज़िंदा लाश चल रही हो.

क्या वो आगे स्कूल जा पाएगी, इस सवाल पर वो बमुश्किल इतना ही कह पाती है, "घरवाले जाने देंगे तो ज़रूर जाऊंगी."

रेखा का नाबालिग भाई इस घटना के बाद से सदमें में है. वो कहता है, "हमने उसके घरवालों से कहा हमारी बेटी की शादी है, लड़की दे दो लेकिन बहन नहीं मिली. हमारा बहुत अपमान हो रहा था. ये हमारी इज्ज़त का मामला था."

मौके पर तफ़्तीश करते पुलिस अधिकारी
BBC
मौके पर तफ़्तीश करते पुलिस अधिकारी

अपर पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश कहते हैं, "हम बाल सुरक्षा के लिए अभियान चलाने जा रहे हैं. पीड़ित परिवारों के बच्चों की काउंसलिंग की कोशिश भी का जाएगी ताकि उन्हें इस सदमे से उबारा जा सके."

मैनपुरी से एटा के नयागांव के रास्ते में मुझे एक किशोर फ़ोन पर अपनी प्रेमिका बात करते हुए मिला. नयागांव थाना क्षेत्र में ही 11 जून को एक प्रेमी युगल आम के पेड़ से लटके मिले थे.

इस युवा ने उस घटना के बारे में अख़बार में पढ़ा था. क्या उसे डर लगा? वो कहता है, "प्यार किया है तो डरने की क्या बात है?"

उसकी प्रेम कहानी एक शादी समारोह में अपनी प्रेमिका के साथ नंबर शेयर करने से शुरू हुई थी. अब बात करना आदत बन गया है और वो हैडफ़ोन लगाए अपने सपनों की दुनिया में खोया रहता है.

वो कहता है, "हम मिल नहीं पाए हैं. शायद शादी के बाद ही मिल पाएं. बस बात करते हैं. बात किए बिना रहा नहीं जाता. हम अपने दिल की सुनाते हैं वो अपने दिल की सुनाती है. चाहते हैं कि उससे शादी हो जाए बाकी ऊपरवाले की मर्ज़ी है."

फ़ोन पर क्या बात करते हैं? वो कहता है, "प्यार की बात करते हैं, कसमें खाते हैं, वादे करते हैं और क्या करते हैं. इसमें ही टाइम हंसते-हंसते कट जाता है."

फ़ोन से शुरू सफर फंदे तक

एटा के सकीट क्षेत्र के सत्यप्रकाश यादव और नयागांव क्षेत्र की सपना यादव की प्रेम कहानी भी फ़ोन पर ही शुरू हुई थी लेकिन उसका अंत आम के पेड़ से लटकते हुए दोनों के शवों के साथ हुआ.

फांसी का फंदा
BBC
फांसी का फंदा

नयागांव थाने से गांव असगरपुर दादू पहुंचने वाली एक घुमावदार सड़क पर एक मोड़ के पास आम के पेड़ों का एक जोड़ा है. 11 जून की सुबह जब पौं फटी तो पीला सूट पहने सपना और नीली शर्ट पहने सत्यप्रकाश इन्हीं आम के पेड़ों की एक डाली से लटकते दिखे. दोनों शवों के पैर ज़मीन छू रहे थे.

चश्मदीदों ने तुरंत सौ नंबर पर कॉल की और नयागांव के एसएचओ एनपी सिंह बिना समय गंवाए मौके पर पहुंचे.

एनपी सिंह बताते हैं, "हमें हत्या का शक़ हुआ और तुरंत हत्या का मुक़दमा पंजीकृत किया गया."

पुलिस ने सपना के परिजनों को कई दिनों तक हिरासत में रखकर पूछताछ की. उसके पिता को सात दिन हिरासत में रखा गया और बाद में कोई सबूत न मिलने के कारण छोड़ दिया गया.

आम के पेड़ का जोड़ा
BBC
आम के पेड़ का जोड़ा

हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट, शुरुआती जांच और फोरेंसिक लैब लखनऊ की जांच के बाद अब पुलिस को ये मामला आत्महत्या का ज़्यादा लग रहा है.

तो फिर इस प्रेमी जोड़े ने आत्महत्या क्यों की? इसका जवाब शायद सपना के परिवार की ग़रीबी है. उसने इसी साल बारहवीं की परीक्षा पास की है.

सत्यप्रकाश ने परीक्षा देने गई सपना का नंबर ले लिया था. बात शुरू हुई और दीवानगी तक पहुंच गई. दोनों शादी के सपने देखने लगे.

सपना की मां बताती हैं, "उस लल्ला का फ़ोन आया था. हमारी बेटी से शादी करना चाहता था. हमने कहा कि अभी हमारा बेटी ब्याहने का हिसाब नहीं है."

वो कहती हैं, "उसने ज़िद की तो मैंने अपने पति को उसका घर देखने भेजा. वो 70 किलोमीटर साइकिल चलाकर उसके घर गए. उन्हें बात जंची नहीं."

सपना के पिता बताते हैं, "लड़के ने हमें बताया था कि वो तीन भाई हैं, जब मैं उसके घर गया तो पता चला वो छह भाई हैं और ज़मीन भी बहुत ज़्यादा नहीं है. वो इस बात से नाराज़ हो गया कि मैंने उसके घर कोई बयाना नहीं दिया."

सपना की मां बताती हैं हैं, "उसने फ़ोन करके धमकी दी थी कि अगर बेटी का ब्याह मेरे साथ नहीं कर सकते तो हमारी चिता को दाग लगाने की तैयारी कर लो."

किताबें
BBC
किताबें

वो कहती हैं, "हमनें बड़ी बिटिया की शादी की थी तो लिया-दिया था. छोटी बिटिया को खाली हाथ भेज देते तो गांव-समाज के लोग कहते बिटिया बेच दी. पहली शादी का क़र्ज़ अभी उतरा नहीं था. घर में गुंज़ाइश नहीं थी. बेटी को खाली हाथ कैसे विदा कर देते?"

सपना के मां-बाप बड़ी मशक्कत से उसे पढ़ा रहे थे. वो जैसे-जैसे बड़ी हो रही थी मां-बाप उसमें कमाऊ बेटा देखने लगे थे. उसकी मां कहती हैं, "जैसे-जैसे बड़ी हो रही थी लग रहा था बेटी हमारी ग़रीबी दूर कर देगी.

वो बताती हैं, "पढ़ने में तेज़ थी. क़र्ज़ लेकर उसे पढ़ा रहे थे. परीक्षा के लिए उसके मॉडल पेपर ख़रीदने थे. ढाई सौ रुपए के. हमारे पास नहीं थे तो पड़ोसियों से उधार लेकर मॉडल पेपर ख़रीदवाए."

'फ़र्स्ट क्लास पास हुई थी'

उसने विज्ञान वर्ग की परीक्षा फ़र्स्ट क्लास से पास की थी. जिस गांव में कम ही लड़कियां स्कूल पहुंच पाती हैं वहां की लड़की के लिए ये बड़ी बात थी.

मां-बाप की उम्मीद बंध गई कि बिटिया कुछ न कुछ नौकरी पा ही लेगी और उन्हें क़र्ज़ के जाल से बाहर निकाल लेगी.

मां कहती हैं, "बिटिया लंबी और तंदरुस्त थी और पढ़ने में होशियार थी. दिल्ली में रहने वाला मेरा भाई कहता था कि उसे आगे की पढ़ाई के लिए शहर बुलाएगा और नौकरी के फार्म भरवाएगा."

जिस एक कमरे के घर में सपना का परिवार रहता है उसमें खाली दीवारों और खाली बरतनों के अलावा कुछ भी नहीं है. परिवार के पास संपत्ति के नाम पर एक साइकिल और दो भैंसे हैं.

मां कहती हैं, "हमने सोचा था कि भैंसिया बेचकर बिटिया को पढ़ा लेंगे. अब भैंसिया बेचकर गांव छोड़ना पड़ेगा."

सपना की कोई तस्वीर अब परिवार के पास नहीं है. जो पीला सूट उसने उस दिन पहना था उसे मां ने सहेज कर रख लिया है.

उसके पुराने कपड़ों से वो एक टीशर्ट निकालकर दिखाती हैं जिस पर दो तितलियों के ऊपर ब्यूटी लिखा है.

टी शर्ट
BBC
टी शर्ट

वो कहती हैं, "ये उसे बहुत पंसद थी. बहुत सुंदर लगती थी इसमें. दुकान पर देखते ही ख़रीदने की ज़िद पकड़ ली थी. पैसे थे नहीं हमारे पास. दुकानदार डेढ़ से कम में दे नहीं रहा था और 130 रुपए से ज़्यादा हमारे पास थे नहीं. फिर हमने उसकी मनहार कि तो 130 में दे दी थी उसने."

सपना की मौत ने इस परिवार को तोड़ दिया. लोक-लिहाज के कारण अब उसके मां-बाप घर से नहीं निकल पा रहे हैं.

जब हम उनसे बात कर रहे थे तो आसपास के घरों की छतों पर औरतें इकट्ठा हो गईं. वो छुप-छुप कर देख रहीं थीं.

सपना की मां कहती हैं, "हमारी बिटिया और इज़्ज़त दोनों चली गईं. किसी को मुंह दिखाने के नहीं रहे. छोटे-छोटे बेटे हैं नहीं तो हम भी जान दे देते."

बेटी के मौत के बाद पिता ने भी आत्महत्या की कोशिश की है. वो कहते हैं, "उसी पेड़ से लटकने गया था. बेटों का मुंह देख कर रुक गया."

सपना और सत्यप्रकाश की मौत को पुलिस ने शुरू में ऑनर किलिंग माना था. एटा के पुलिस अधीक्षक स्वप्निल ममगई बताते हैं, "11 जून को पुलिस को मिली सूचना बेहद गंभीर थी. दो शव हमें पेड़ से लटकते मिले थे. हमने हत्या का मुक़दमा दर्ज किया और डॉक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम करवाया."

सीएफ़एसएल की टीम
BBC
सीएफ़एसएल की टीम

"पोस्टमार्टम में मौत की वजह लटकना पाया गया. इसके अलावा शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान नहीं मिले. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आत्महत्या की ओर इशारा कर रही थी लेकिन मौके से मिले साक्ष्य हत्या की ओर. हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे. तफ़्तीश में भी हत्या के सबूत नहीं मिल पा रहे थे. हमने लखनऊ की फोरेंसिक लैब से मदद मांगी और उन्होंने पूरे सीन को रीक्रिएट किया. सीएफ़एसएल की टीम भी आत्महत्या की ओर ही इशारा कर रही है."

एटा ज़िले के गांव यूं तो आर्थिक तौर पर पिछड़े नज़र आते हैं लेकिन सम्मान यहां के लोगों का असली धन है. शान के लिए बंदूकें रखना भी यहां की संस्कृति है. एटा में 32 हज़ार से अधिक लोगों के पास लाइसेंसी बंदूकें हैं और 50 हज़ार से अधिक लोगों ने लाइसेंस लेने के लिए आवेदन कर रखा है. कंधे पर बंदूक रखे लोगों का रास्तों में दिखना यहां आम बात है. ऐसा लगता है कि बंदूकों के सायों में प्रेम कहानियां दम तोड़ रही हैं.

वरिष्ठ पत्रकार भानु प्रताप सिंह कहते हैं, "यहां बंदूक का प्रभाव भी लोगों की सोच पर बहुत है.घर में भले खाने को न हो लेकिन कंधे पर बंदूक और मूंछे ऊंची चाहिए. बंदूक के लाइसेंस के लिए लोग नेताओं के पीछे पड़े रहते हैं. जो लाइसेंसी बंदूक नहीं ले पाते वो चोरी से ग़ैर क़ानूनी तमंचे तो ले ही लेते हैं."

एटा से कासगंज की ओर जाते हुए रास्ते में सारस पक्षियों के जोड़े खेतों में चुगते हुए दिख जाते हैं. कई बार ये नृत्य भी करते हैं. देखते हुए लगता है जैसे दुनिया से बेपरवाह प्रेमी अपनी ज़िंदगी जी रहे हैं. कोई पास जाए तो वो उड़कर दूर दूसरे खेत में चले जाते हैं. लेकिन इस ब्रजभूमि के प्रेमियों को ये आज़ादी नहीं है.

सारस पक्षी
BBC
सारस पक्षी

कासगंज से क़रीब क़रीब पंद्रह किलोमीटर दूर प्राचीन भागीरथी गुफ़ा है. मिट्टी की इस गुफ़ा के ऊपर एक छोटा सा मंदिर है. जब जब प्रेमियों को मौका मिलता है वो इस मंदिर की दीवारों पर अपनी प्रेम कहानी लिख देते हैं.

अनगिनत प्रेमियों और उनकी प्रेमिकाओं के नाम इस मंदिर की दीवारों पर लिखे हैं. चहचहाते पक्षी, कूकती कोयलें, नृत्य करते मोर यहां के माहौल को और भी प्रेममय बना देते हैं. बस्ती से दूर, जंगल में टीले पर बना ये मंदिर प्रेमियों के मिलने की आदर्श जगह लगता है.

इस मंदिर के पास ही खाली पड़े खेत में एक जुलाई को पास के ही होडलपुर गांव के एक प्रेमी जोड़े के शव पड़े मिले थे. युवक कुंवरपाल को बुरी तरह पीटा गया था. उसकी एक आंख फोड़ दी गई थी, हाथ टूटा था और गुप्तांग काट दिए गए थे. युवती राधा के साथ भी कम बर्बरता नहीं की गई थी.

मंदिर
BBC
मंदिर

यूं तो ये मामला स्पष्ट तौर पर सम्मान के नाम पर हत्या का था लेकिन स्थानीय पुलिस ने इसे शुरू में आत्महत्या माना. स्थानीय एसपी अशोक कुमार शुक्ल का बयान अख़बारों में प्रकाशित हुआ. उन्होंने कहा था, "प्रेमी युगल ने सल्फ़ास खाकर आत्महत्या की है. मौके पर सल्फ़ास के रैपर मिले हैं, हत्या की आशंका निराधार है."

कुंवरपाल के पिता अपने बेटे के शव की तस्वीर दिखाते हुए कहते हैं, "मेरे बेटे का ये हाल कर दिया और पुलिस कह रही है कि उसने अपनी जान ख़ुद दी. वो अपनी जान ख़ुद क्यों देगा?"

वो कहते हैं, "अख़बार में छपा कि हमने तहरीर नहीं दी इसलिए मुक़दमा नहीं हुआ. जब थाने तहरीर देने गए तो पुलिस ने भगा दिया की जांच चल रही है जांच के बाद एफ़आईआर होगी. बिना जांच के ही अख़बार ने छाप दिया कि ख़ुदक़ुशी की है."

कुंवरपाल की कुछ दिन पहले ही शादी हुई थी. लेकिन वो अपने घर के पास ही रहने वाली प्रेमिका से मिलते रहे. गांव के लोग कहते हैं कि यही उनकी हत्या की वजह बना.

मंदिर की दीवारें
BBC
मंदिर की दीवारें

लड़की के दादा कहते हैं, "दोनों के प्रेम प्रसंग के बारे में सबको पता था. अलग करने की हर कोशिश भी की. लड़के के घरवालों से खुलकर शिकायत की. मार-मार के कमर भी लाल कर दी लेकिन दोनों नहीं माने. हाथ से बाहर हो गए थे."

मौत का दुख नहीं!

उनकी आंखों में पोती की मौत का दुख नहीं दिखता लेकिन सम्मान जाने का अफ़सोस दिखता है. वो कहते हैं, "उनकी शादी असंभव थी. हम मर जाते लेकिन शादी नहीं होन देते. न पहले कभी ऐसा हुआ है और न इस मामले में होता."

कुंवरपाल और राधा दोनों ही लोध राजपूत समुदाय से हैं और गांववालों की नज़र से देखें तो उनके बीच भाई बहन का रिश्ता था. ये रिश्ता उनके प्रेम के बीच में वो दीवार था जिसे वो बहुत चाहकर भी पार नहीं कर पा रहे थे.

दादा कहते हैं, "लड़के की शादी हो गई थी. लड़की की हम कराने जा रहे थे. तीन रिश्ते देखे थे, एक महीने में शादी कर ही देते लेकिन ये घटना घट गई."

क्या इसे रोका जा सकता था? वो कहते हैं, "दोनों क़ब्ज़े से बाहर थे. उन्हें मरने का डर था इसलिए वो भागते भी नहीं थे. उन्हें पता था कि अगर भागे तो घरवाले मार देंगे. लेकिन मौत उनकी फिर भी आ ही गई."

कुंवरपाल
BBC
कुंवरपाल

वो कहते हैं, "मारने वाले जानते हैं कि लड़की वाले फंस जाएंगे. हमें फंसाने के लिए बच्चों को मार दिया."

इस तरह की घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है? इस सवाल पर वो कहते हैं, "सख़्त से सख़्त निगरानी रखकर. लड़के वाले अपने लड़कों पर नज़र रखें और लड़कियों वाले अपनी लड़कियों पर."

वो अपने परिवार की शान को याद करते हुए कहते हैं, "इज़्ज़त वालों को बस अपनी इज़्ज़त दिखती है और कुछ नहीं दिखता. ये कलयुग है अपना प्रभाव दिखा रहा है. पहले हमारे सामने कोई जवाब नहीं देता था. लड़कियां क्या लड़के देखकर दुबक जाते थे. अब किसी को कोई रोक नहीं पा रहा है.'

पुलिस ने पहले इस हत्याकांड पर पर्दा डालने की कोशिश की. लेकिन बाद में हत्या का मुक़दमा दर्ज कर लिया गया.

कुंवपरपाल की तस्वीर मोबइल में
BBC
कुंवपरपाल की तस्वीर मोबइल में

एफ़आईआर में देरी की वजह बताते हुए कासगंज के नए पुलिस अधीक्षक घुले सुशील चंद्रभान (घटना के दिन ही कासगंज के एसपी का तबादला कर दिया गया था) कहते हैं, "पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से स्थिति साफ़ हुई है. दोनों बच्चों की हत्या की गई है. हमने हत्या का मुक़दमा पंजीकृत कर लिया है."

इस तरह की घटनाएं अपना एक संदेश भी देती हैं. लेकिन इतने गंभीर मामले में भी पुलिस लापरवाही करके क्या संदेश दे रही है? इस सवाल पर वो कहते हैं, "मैंने चार्ज संभालते ही घटनास्थल का दौरा किया है. हमारा संदेश बहुत स्पष्ट है किसी अपराधी को छोड़ा नहीं जाएगा."

पुलिस अधीक्षक से हमारी बातचीत के कुछ घंटे बाद लड़की के पिता और एक अन्य सहयोगी को गिरफ़्तार कर लिया गया.

आगरा, एटा, मैनपुरी और कासगंज की इन घटनाओं से एक बात स्पष्ट दिखी. इनसे लोगों के दिलों में डर बैठा है, परिवार उजड़े हैं और नई दुश्मनियां पैदा हुई हैं. पुलिस और क़ानून व्यवस्था के लिए ये घटनाएं चुनौती बनती जा रही हैं.

क्या पुलिस इन्हें रोकने के लिए कोई विशेष अभियान चला रही है? एटा के एसपी स्वनिल ममगई कहते हैं, "प्रेम दो लोगों के बीच का निजी विषय है. भारत का संविधान वयस्क नागरिकों को अपनी मर्ज़ी से फ़ैसले लेने की अनुमति देता है. हमारा काम उन्हें सुरक्षा देना है और जब भी हमले सुरक्षा की मांग की जाती है हम देते हैं."

कुंवरपाल के पिता
BBC
कुंवरपाल के पिता

वो कहते हैं, "एटा ज़िले में प्रति माह 60-70 मामले प्रेम प्रसंगों से जुड़े आते हैं. पुलिस अपनी कार्रवाई करते हुए क़ानून का ध्यान रखती है. जोड़ों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता होती है."

वो कहते हैं, "ऐसी घटनाएं न हों इसके लिए सामाजिक स्तर पर प्रयास करने की ज़्यादा ज़रूरत है. समाज में जागरुकता लाए बिना इन्हें नहीं रोका जा सकता. सबसे अफ़सोसनाक़ ये है कि बेग़ुनाह जानें जा रही हैं."

स्पनिल कहते हैं, "हमारी पहली ज़िम्मेदारी नागरिकों को भयरहित माहौल देना है. नागरिकों में वो युवा भी आते हैं जो प्रेम करते हैं."

लेकिन क्या प्रेमी प्यार करने से डरते हैं? एटा से नयागांव की ओर जाते हुए रास्ते में तालाब में कुछ बच्चे नहाते हुए दिखे.

वो गीत गा रहे थे, "प्रेम करने वाले कभी डरते नहीं, जो डरते हैं वो प्यार करते नहीं."

आए दिन अख़बारों में प्रेमियों की दर्दनाक मौत की ख़बरों के बावजूद प्रेमी प्रेम कर रहे हैं. कुछ छुप कर कर रहे हैं.

कुछ छुपते-छुपाते प्रेम करते हुए पकड़े जा रहे हैं और मारे जा रहे हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो हिम्मत करके घर से भागकर हालात बदलने की कोशिश कर रहे हैं.

बीबीसी
BBC
बीबीसी

ऐसी ही एक घर से भागी एक प्रेमिका हमें एटा ज़िले के जैथरा थाने में मिली. उसकी मां उसे अपने साथ लेने आई है.

फफ़कती हुई मां बेटी को गले लगाने आगे बढ़ी तो बेटी ने धकियाते हुए कहा- हट परे, मेरा कोई नहीं है.

मां रोते हुए बिटिया मेरी, बिटिया मेरी कहती रही और बेटी चीखते हुए दूर हट दूर हट.

महीने भर पहले प्रेमी के साथ गई इस युवती को लंबी भागदौड़ और खोज ख़बर के बाद पुलिस ने 'पकड़ लिया है.'

उसके सर पर प्रेम का भूत सवार दिखता है और वो किसी की कोई बात सुनने को तैयार नहीं.

परिजनों ने उसे नाबालिग बताते हुए अपहरण की शिकायत दी है जबकि वो अपनी उम्र बीस साल बताने पर अड़ी है.

होठों पर लिपस्टिक, माथे पर सिंदूर, कानों में नईं झुमकियां, नया लाल जोड़ा पहने थाने में बैठी इस युवती को सब उत्सुकतावश देख रहे हैं.

लेकिन उसे किसी की कोई परवाह नहीं है. वो ग़ुस्से में तमतमाई हुई है लेकिन उसकी सूजी हुई आंखें बताती हैं कि वो बहुत रोई भी है.

वो कहती हैं, "मैं उन्हें अच्छी तरह से जानती हूं और उन्हीं के साथ जाऊंगी. बाकी दुनिया में किसी से मेरा कोई मतलब नहीं है."

परिजनों ने वकील की सलाह पर सरकारी स्कूल की टीसी (ट्रांसफर सर्टिफ़िकेट) बनवा ली है जिसमें जन्मतिथि 01/07/2004 अंकित है.

यानी यदि इस दस्तावेज़ को क़ानूनी कार्रवाई में स्वीकार कर लिया जाए तो वो नाबालिग है.

लेकिन वो बार-बार ज़ोर देकर कहती है मैं बीस साल की हूं और जाऊंगी अपने उनके साथ ही.

उन्होंने हाथ पर ओम गुदवाया है लेकिन उनका प्रेमी मुसलमान है. घरवाले अड़े हैं कि वो अपनी बेटी को मुसलमान नहीं बनने देंगे.

लेकिन अब वो अपने मां-बाप के साध जाएगी या अपने प्रेमी के ये फ़ैसला उसे नहीं, अदालत को करना है.

इन सब घटनाओं के बीच, प्रेम को जहां होना है हो रहा है. भले ही अंजाम कुछ भी हो.

(इस रिपोर्ट में सभी लड़कियों के नाम बदले गए हैं)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Love crisis in UP: Love breaks down in Radha-Krishna's Braj Bhoomi
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X