हिंदुत्वादी नेता संभाजी भिडे की अजीब मांग- अयोध्या में मूंछों वाले भगवान राम की लगे मूर्ति
नई दिल्ली। बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम है, जिसे लेकर तैयारियां लगातार जारी हैं, इस भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे, जिसके चलते पूरे अयोध्या में सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई है, अयोध्या इस वक्त छावनी में तब्दील हो गया है। कार्यक्रम के लिए सबसे पहला निमंत्रण 'राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद' मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को भेजा गया है। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपील करते हुए कहा है कि जिन लोगों को निमंत्रण भेजा गया है, केवल वही कार्यक्रम स्थल पर पहुंचें।
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'अयोध्या में मूंछों वाले भगवान राम की लगे मूर्ति'
तो वहीं इसी बीच हिंदुत्वादी नेता संभाजी (मनोहर) उर्फ भिडे ने भगवान राम की मूर्ति को लेकर एक अजीबो-गरीब मांग की है, संभाजी भिडे ने श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से अपील की है कि अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति मूंछ वाली लगनी चाहिए, उनका कहना है कि बिना मूंछों के राम चित्रकारों और मूर्तिकारी की ऐतिहासिक गलती है, जिसमें अब सुधार की जरूरत है।
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'बिना मूछों वाले भगवान का कोई मतलब नहीं है'
महाराष्ट्र के सांगली में मीडिया से बात करते हुए संभाजी ने कहा कि राम, लक्ष्मण और हनुमान तीनों पुरूष भगवान हैं, इसलिए इन तीनों की जो भी मूर्ति अयोध्या में लगे तो उसमें तीनों की मूछें होनी चाहिए, वरना मुझ जैसे नेता को लगेगा कि फिर मंदिर बनने का कोई लाभ नहीं है।
कोरोना के कारण जश्न को रोकना सरासर गलत: संभाजी
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस कमजोर हिंदू मानसिकता का नतीजा है, हिंदू कभी नहीं डरता है, कोरोना के इलाज के लिए दवा की जरूरत है, लोगों का पर्याप्त इलाज होना चाहिए ना कि अयोध्या के जश्न को रोकना चाहिए, कोरोना महामारी को रोकने के लिए हुआ लॉकडाउन हमारे शासकों द्वारा लिया गया एक गलत फैसला है।
कौन हैं संभाजी विनायक भिडे?
संभाजी विनायक भिडे महाराष्ट्र से एक हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ता हैं। वर्तमान में वे श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान के संस्थापक एवं प्रमुख हैं। वे अपने समर्थको के बीच "भिडे गुरुजी" के नाम से लोकप्रिय हैं। 1980 तक वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे, किन्तु कुछ विवाद के कारण अलग होकर उन्होने 1984 में श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान की स्थापना की, संभाजी भिडे का नाम भीमा कोरेंगाव हिंसा भडकाने में सामने आया था तो वहीं वर्ष 2009 में उनके संगठन ने दूसरे संगठनों के साथ मिलकर जोधा-अकबर फिल्म का विरोध किया था, जिसके बाद महाराष्ट्र के कई जिलों में हिंसा भड़क गई थी।