Krishna Janmashtami पर बेंगलुरु में भगवान कृष्ण का 108 नदियों के जल से किया जा रहा महाभिषेक
बेंगलुरु। इस्कॉन मंदिर में हर बार की तहर इस बार भी कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भव्य उत्सव मनाया जा रहा है। इस अवसर पर मंदिर की सुंदर सजावटऔर भगवान केे श्रृंगार का अलौकिक दृश्य देखने को मिल रहा है। जन्मोत्सव में कान्हा को अभिषेक के बाद पहनाए जाने वाले नये वस्त्र और आभूषण हर बार की तरह बहुत ही खास है। इसके अलावा कृष्ण गोपाल के अभिषेक, पूजा, आरती और चढ़ाया जाने वाला भोग की बहुत खास है। जन्मोत्सव के समय भगवान के महाअभिषेक और भव्य रूप के दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेशों से लगभग एक लाख कान्हा के भक्त जुटे हुए हैं।
भगवान
कृष्ण
का
108
नदियों
का
जल
से
किया
जाएगा
महाअभिषेक
इस्कॉन
में
जन्माष्टमी
उत्सव
आज
सुबह
से
शुरू
हो
चुका
है
जो
कल
शनिवार
तक
चलेगा।
मुख्य
अभिषेक
में
पंचामृत
के
साथ
सुगंधित
तेल
उपयोग
किए
जाएंगे।इस
अवसर
पर
कान्हा
का
108
नदियों
का
जल,
108
तरह
की
औषधियों
और
15
तरह
के
फलों
के
रस
और
35
तरह
के
फूलों
से
महा-अभिषेक
होगा।
राधा-कृष्ण
की
प्रतिमाओं
को
चांदी
के
झूले
में
रखा
जाएगा,
जिनकी
सेवा
आम
श्रद्धालु
भी
कर
सकेंगे।
2 घंटे तक होगा अभिषेक
अभिषेक 24 की रात 10 बजे के लगभग शुरू होगा जो रात 12 बजे समाप्त होगा। जन्मोत्सव रात 1 बजे तक निरंतर चलेगा। 36 घंटे जन्मोत्सव का उत्सव मनाया जाएगा।
सोने-चांदी
के
आभूषणों
में
जड़े
हैं
अमेरिकन
डायमंड
कृष्ण
जन्माष्टमी
उत्सव
के
लिए
करीब
20
लाख
के
आभूषण
तैयार
कराए
गए
है,
इसमें
सोने-चांदी
के
आभूषणों
को
अमेरिकन
डायमंड
के
साथ
तैयार
किया
गया
है।
इनमें
मत्स्य
डिजाइन
के
कर्णफूल,
बटरफ्लाय
डिजाइन
का
बड़ा
कंठहार
शामिल
है।
सारी
ज्वेलरी
तमिलनाडु
के
कुंभकोणम
से
मंगवाई
गई
है,
जो
मेटल
कारीगरी
के
लिए
प्रसिद्ध
है।
भगवान
के
लिए
करीब
3
लाख
रुपए
की
लागत
से
पूरे
उत्सव
के
दौरान
पहनी
जाने
वाली
ड्रेस
तैयार
की
गई
हैं।
इन्हें
कांचीपुरम
सिल्क
में
बनवाया
गया
है।
पंचरात्र
आगमा
विधि
से
जन्मोत्सव
मनेगा
जन्मोत्सव
की
पूरी
प्रक्रिया
पुराणों
में
बताई
गई
पंचरात्र
आगमा
विधि
के
अनुसार
ही
होगी।
उसी
के
अनुसार
संपूर्ण
सामग्रियों
और
विधि
के
साथ
मंगला
आरती
से
लेकर
रात्रि
अभिषेक
तक
सारी
विधियां
पूरी
की
जाएंगी।
दो
दिन
में
आरतियां
सुबह
मंगला
आरती
से
लेकर
पूरे
दो
दिन
में
होने
वाली
12
आरतियों
में
नाग,
शंख,
चक्र,
गरूड़,
घंटाल,
मंडल,
हनुमान,
रथ,
हंस,
गज,
मत्स्य
और
कुर्म
की
डिजाइन
वाली
दीपमालाओं
का
उपयोग
किया
जाएगा,
जो
विशेष
रूप
से
जन्माष्टमी
उत्सव
के
लिए
तैयार
की
गई
हैं।
108
तरह
के
व्यंजनों
का
भोग
भगवान
को
108
तरह
के
व्यंजनों
का
भोग
लगाया
जाएगा,
जो
मंदिर
के
ही
4
अलग-अलग
किचन
में
तैयार
होंगे।
1
लाख
लड्डुओं
और
1
लाख
दोने
खिचड़े
का
प्रसाद
मंदिर
में
आने
वाले
श्रद्धालुओं
को
बांटा
जाएगा।मंदिर
में
जन्मोत्सव
के
दौरान
करीब
एक
लाख
श्रद्धालु
दर्शन
करने
आने
का
अनुमान
है।
श्रीकृष्ण
जन्मोत्वस
महुर्त
पंडितों
के
अनुसार
श्रीकृष्ण
जन्माष्टमी
23
और
24
अगस्त
को
मनाई
जा
रही
है।
पंचांग
भेद
के
कारण
इस
बार
दो
दिन
जन्माष्टमी
का
योग
बन
रहा
है।
23
को
अष्टमी
तिथि
है,
लेकिन
रोहिणी
नक्षत्र
नहीं
है।
24
को
सुबह
उदय
तिथि
अष्टमी
रहेगी,
साथ
ही
रोहिणी
नक्षत्र
भी।
अंतरराष्ट्रीय
श्रीकृष्ण
भावनामृत
संघ
(इस्कॉन)
में
23
(तड़के
4
बजे)
से
श्रीकृष्ण
जन्मोत्वस
शुरू
हो
चुका
है
जो
24
अगस्त
की
रात
1
बजे
तक
लगातार
चलेगा।
मूल
उत्सव
24
को
ही
मनाया
जाएगा।
इस
तरह
करीब
36
से
38
घंटे
तक
श्रीकृष्ण
जन्मोत्सव
की
धूम
रहेगी।
600
वालिंटियर्स
करेंगे
सेवा
इस्कॉन
बेंगलुरु
के
वाइस
प्रेसिडेंट
स्वामी
वासुदेव
केशव
दास
ने
बताया
ने
बताया
कि,
दो
दिन
तक
उत्सव
का
उल्लास
रहेगा।
करीब
600
वालिंटियर्स
सेवाएं
देंगे।
मुख्य
मंदिर
परिसर
में
भगवान
का
अभिषेक
होगा।
इसके
अलावा
बेंगलुरु
में
10
अलग-अलग
स्थानों
पर
एक
साथ
जन्माष्टमी
उत्सव
का
आयोजन
होगा,
ताकि
लोगों
को
दूर
तक
मुख्य
मंदिर
में
आने
की
तकलीफ
ना
उठानी
पड़े।
24
को
सुबह
रोहिणी
नक्षत्र
लगेगा
और
उदय
तिथि
भी
अष्टमी
होगी।
इस
कारण
मुख्य
उत्सव
और
श्रीकृष्ण
जन्म
24
को
ही
मनाया
जाएगा।