2019 Loksabha Elections: बनारस में मोदी के खिलाफ हार्दिक पटेल को उतारने की तैयारी में विपक्ष
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नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों ने रणनीतिक तैयारी तेज कर दी है। खास तौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को लेकर विपक्ष खास चक्रव्यूह रचने की तैयारी कर रहा है। यही वजह है कि इस बार विपक्ष की कोशिश पीएम मोदी के खिलाफ ऐसा उम्मीदवार उतारने की जिससे लड़ाई और तगड़ी बन सके। उत्तर प्रदेश में विपक्ष के महागठबंधन बनने की संभावनाओं के बीच माना ये भी जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ वाराणसी से इस बार विपक्ष का एक ही साझा उम्मीदवार उतारा जाय। इसके लिए जो नाम सबसे आगे माना जा रहा है वो है पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का। आखिर विपक्षी दलों के इस दांव की क्या है वजह, बताते हैं आगे...
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क्या वाराणसी में होगा नरेंद्र मोदी Vs हार्दिक पटेल?
सूत्रों के मुताबिक विपक्षी पार्टियां वाराणसी संसदीय सीट से इस बार नरेंद्र मोदी के खिलाफ हार्दिक पटेल को उतारने की योजना बना रही हैं। उनकी इस रणनीति की सबसे बड़ी वजह ये है कि हार्दिक पटेल ने गुजरात में बीजेपी को खासा परेशान करके रखा था। इसके अलावा वाराणसी संसदीय क्षेत्र में कुर्मी वोटरों की अच्छी तादाद है और हार्दिक पटेल को टिकट देने से इसका फायदा उन्हें मिल सकता है। इसके अलावा हार्दिक पटेल का आक्रामक तेवर भी इस चुनाव में उन्हें फायदा पहुंचा सकता है।
पीएम मोदी को लेकर विपक्ष बना रहा खास प्लान
वाराणसी में नरेंद्र मोदी Vs हार्दिक पटेल के पीछे विपक्ष की योजना ये भी है कि इससे बीजेपी के रणनीतिकारों पर एक दबाव बनेगा। उन्हें प्रधानमंत्री के इस संसदीय क्षेत्र पर खास फोकस करना होगा और विशेष रणनीति बनानी होंगी। विपक्ष को उम्मीद है कि ऐसा होने की सूरत में दूसरी सीटों पर पार्टी ज्यादा ध्यान नहीं दे सकेगी जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है। बता दें कि पिछली बार वाराणसी लोकसभा सीट पर नरेंद्र मोदी के मुकाबले में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल उतरे थे। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
कौन हैं हार्दिक पटेल
पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संस्थापक और संयोजक हार्दिक पटेल की लोकप्रियता की शुरुआत विसनगर रैली से हुई। दरअसल साल 2015 में गुजरात के विसनगर में विशाल रैली करके हार्दिक पटेल पहली बार सुर्खियों में आए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, लगातार उनकी लोकप्रियता का ग्राफ आगे बढ़ा और उनकी चर्चा राष्ट्रीय राजनीति में भी होने लगी है। गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी हार्दिक पटेल का असर देखने को मिला था। भले ही बीजेपी एक बार फिर से गुजरात में काबिज हुई हो लेकिन हार्दिक पटेल की वजह से उन्हें कुछ सीटों पर खामियाजा उठाना पड़ा।
विसनगर रैली से आमरण अनशन तक
पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल ने हाल ही में पाटीदार आरक्षण, किसानों की कर्ज माफी समेत कई मुद्दों को लेकर आमरण अनशन किया। उनका अनशन 25 अगस्त से शुरू हुआ जो कि 19वें दिन 12 सितम्बर 2018 को खत्म हुआ। इस दौरान उनकी तबीयत भी बिगड़ी लेकिन वो पीछे हटने को तैयार नहीं थे। हालांकि बाद में वरिष्ठ पाटीदार नेताओं और सहयोगियों के आग्रह पर उन्होंने अपना उपवास खत्म कर दिया। हार्दिक पटेल जिस तरह से पटेल समुदाय को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं इसी का असर है कि उन्हें पाटीदारों का समर्थन मिल रहा है और ये दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
लगातार बढ़ रहा हार्दिक की लोकप्रियता का ग्राफ
हार्दिक पटेल पर राजद्रोह के भी आरोप लगे जिसमें उन्हें नौ महीने जेल में रहना पड़ा, निर्वासन का सामना करना पड़ा और छह महीने पड़ोसी राज्य में गुजारना पड़ा। हार्दिक पटेल लगातार गुजरात की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश में जुटे रहे हैं। उनकी ओर से ये हमेशा कहा गया है कि वो एक नेता नहीं बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता हैं, हालांकि सच ये भी है कि वो जो भी करते हैं उसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में जरूर होती है। उनकी इसी अंदाज को विपक्षी पार्टियां इस लोकसभा चुनाव में भुनाना चाहती हैं। यही वजह है कि उन्हें नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष की ओर से संयुक्त प्रत्याशी बनाने की चर्चा हो रही है।
हार्दिक पटेल की पारिवारिक पृष्ठभूमि
हार्दिक पटेल का संबंध गुजरात के पटेल समुदाय से है। उनके पिता का नाम भरतभाई पटेल है। उन्होंने अहमदाबाद के सहजानंद कॉलेज से स्नातक किया है। गुजरात में आबादी का पांचवां हिस्सा पटेल समुदाय का है। पटेल समुदाय आरक्षण और ओबीसी दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पिछले कई सालों से आंदोलन कर रहा है। इस आंदोलन की कमान हार्दिक पटेल ने संभाल रखी है।