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loksabha Election 2019: सपा-बसपा गठबंधन के पीछे क्या है बीएसपी अध्यक्ष मायावती का गेमप्लान

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नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर मायावती की पार्टी बीएसपी और अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के बीच महागठबंधन का ऐलान हो गया है। दोनों ही पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन का ऐलान किया। इस दौरान बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने महागठबंधन को लेकर उठ रहे सभी सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बीजेपी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि सपा-बसपा का ये गठबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ाने वाला है। बीजेपी ने यूपी और देश की जनता के साथ वादा खिलाफी की है, ऐसी जनविरोधी पार्टी को केंद्र की सत्ता में आने से रोकेंगे। कुल मिलाकर बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने जिस तरह से आम चुनाव से ठीक पहले सपा के साथ महागठबंधन की रणनीति अपनाई है, इसके पीछे उनका गेमप्लान बेहद खास है।

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पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए मायावती का दांव

पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए मायावती का दांव

2014 के लोकसभा चुनाव हों या फिर 2017 में संपन्न हुए यूपी विधानसभा चुनाव हों, दोनों में ही मायावती के नेतृत्व वाली बीएसपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में मायावती की पूरी कोशिश लगातार बीएसपी की खो रही जमीन को पुनः हासिल करना है। दिल्ली और यूपी में सत्ता से बेदखल होने के बाद पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए मायावती को उत्तर प्रदेश में अच्छी सीटों जरूरत है। ऐसे में सपा के साथ गठबंधन से पार्टी को उम्मीद है कि उन्हें फायदा मिल सकता है। मायावती के इस दांव का सीधा प्लान यही है कि एक बार फिर से पार्टी को यूपी में खड़ा किया जा सके।

दलित वोटों को बंटने से रोकना

दलित वोटों को बंटने से रोकना

2019 लोकसभा चुनाव में बीएसपी की जीत के लिए मायावती की पूरी कोशिश दलित वोटों को बंटने से रोकना है। महागठबंधन के जरिए पार्टी अपने कैडेट्स को साधने की रणनीति पर काम कर रही है। खास तौर से केंद्र में सत्ता संभाल रही बीजेपी को घेरने के लिए बीएसपी इस दौरान हुए दलितों के उत्पीड़न के मुद्दे को आगामी आम चुनाव में व्यापक तौर पर उठाने की योजना बना रही है। पार्टी यही चाहेगी कि किसी भी तरह से दलितों को अपने साथ जोड़कर रखा जा सके। इसकी वजह भी है क्योंकि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी को कुल 22 फीसदी वोट शेयर मिले थे और इस लिहाज से पार्टी दूसरे नंबर पर थी लेकिन वोट शेयर को सीटों में तब्दील करने के मामले में बीएसपी कामयाबी नहीं रही। जिसकी वजह से कम वोट शेयर पाने के बाद भी समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रही। इन्हीं आंकड़ों को देखते हुए मायावती इस बार किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहती हैं।

सत्ता में भागीदारी के लिए जितनी संभव ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना

सत्ता में भागीदारी के लिए जितनी संभव ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना

यूपी की सियासत केंद्र की दशा और दिशा तय करती है। यही वजह है कि इस बार के आम चुनाव में यूपी में मायावती की पार्टी को जितनी सीटें आएंगी बीएसपी का प्रभाव भी केंद्र में उतना ही बढ़ेगा। बीएसपी अध्यक्ष को इस बात की जानकारी है, यही वजह है कि उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ महागठबंधन की रणनीति अपनाई है। इसके पीछे मुख्य कारण ये है कि पिछले चुनाव में सपा-बसपा के बीच वोट बंट गए थे। जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला था। मायावती ये नहीं चाहेंगी कि इस बार भी ऐसा कुछ हो। यही वजह है कि उन्होंने अखिलेश यादव के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान साफ किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी से भाजपा और देश से मोदी सरकार का सफाया हो जाएगा।

ज्यादा सीटें हासिल कर केंद्र में सत्ता की भागीदारी के लिए बेहतर दांव लगाना

ज्यादा सीटें हासिल कर केंद्र में सत्ता की भागीदारी के लिए बेहतर दांव लगाना

सपा-बसपा गठबंधन के जरिए मायावती की रणनीति ये है कि यूपी में पार्टी ज्यादा सीटें हासिल करे। इससे पार्टी को कई फायदे मिल सकते हैं। सबसे बड़ी बात की अगर सीटें ज्यादा आएंगी तो केंद्र सत्ता की भागीदारी के लिए बेहतर दांव लगाया जा सकेगा। पार्टी को उम्मीद है कि सपा-बसपा के साथ आने से बीजेपी को यूपी में नुकसान होगा। ऐसे में अगर केंद्र में बीजेपी के अलावा किसी भी दूसरे दल की सरकार बनती है तो ज्यादा सीटें आने पर सत्ता की भागीदारी के लिए बेहतर दांव लगाया जा सकता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए गठबंधन में सपा और बसपा ने कांग्रेस को शामिल नहीं किया। सीटों के मामले में देखें तो सपा-बसपा दोनों पार्टियां इस बार 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। 4 सीटें छोड़ी गई हैं जिनमें दो सीटें कांग्रेस के लिए दो अन्य सहयोगियों के लिए हैं। कुल मिलाकर इस चुनाव के जरिए मायावती एक बार फिर से बीएसपी को नई मजबूती देना चाहती हैं, जिससे केंद्र में पार्टी मजबूत उपस्थिति दर्ज कर सके।

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English summary
loksabha Election 2019 game plan of bsp supremo mayawati after forming alliance with akhilesh yadav
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