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महाराष्ट्र में दोनों गठबंधन की हैं अपनी चुनौतियां

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नई दिल्ली- लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटें बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई हैं। यूपीए और एनडीए दोनों ही राज्य में साथियों को साथ लेकर चलने पर पूरा जोर लगा रही हैं। बीजेपी और शिवसेना ने सियासी नूरा कुश्ती के बीच फिलहाल सीटों पर तो तालमेल बना लिया है। लेकिन, कांग्रेस पार्टी की अगुवाई वाले गठबंधन में अभी तक पेंच फंसा हुआ है।

गठबंधन बनाने-बिगाड़ने में हिंदुत्व का रोल अहम
इंडिया टुडे पोर्टल के मुताबिक अभी तक के राजनीतिक हालात पर गौर करें तो किसी भी गठबंधन के बनने या बिगड़ने में हिंदुत्व का मुद्दा अहम रहने वाला है। महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी की अगुवाई वाला महागठबंधन इसलिए अटका हुआ है, क्योंकि भारिप बहुजन महासंघ सत्ता में आने के बाद आरएसएस पर नियंत्रण करने की मांग पर अडिग है। प्रकाश अंबेडकर की बीबीएम ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के साथ मिलकर वंचित बहुजन अगाड़ी नाम का एक फ्रंट बनाया है। अंबेडकर ने साफ कर दिया है कि उनका फ्रंट तभी महागठबंधन में शामिल होगा, जब कांग्रेस संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर नियंत्रण करने का लिखित भरोसा देगी। दरअसल महागठबंधन को उम्मीद है कि अगर यह फ्रंट उनके साथ आ जाता है, तो उसे 13 प्रतिशत दलित वोटों का फायदा मिल सकता है। वहीं, कांग्रेस की सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ भी बातचीत कर रही है। एनसीपी को लगता है कि एमएनएस के महागठबंधन में आने से मुंबई और उसके आसापास की कम से कम 10 लोकसभा सीटों पर औसतन 70 हजार वोटों का लाभ मिल सकता है।

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बीजेपी-शिवसेना में तालमेल के बाद सीटों पर रस्साकशी
दूसरी तरफ बीजेपी और शिवसेना में 25 और 23 सीटों पर लड़ने का समझौता जरूर हो गया है, लेकिन कुछ मुद्दों को लेकर पेंच अभी भी फंसा हुआ है। दरअसल, उद्धव ठाकरे कम से कम आधी लोकसभा सीटों पर दावा ठोंक रहे थे। यही नहीं, सितंबर में अगर राज्य विधानसभा में गठबंधन जीतती है, तो आधे समय के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी का भी भरोसा चाहते थे। अमित शाह ने किसी तरह से फिलहाल उन्हें गठबंधन के लिए तो तैयार कर लिया है। लेकिन, अभी बीजेपी के लिए पालघर लोकसभा सीट परेशानी का सबब बनी हुई है। अगर ठाकरे के दबाव में वह ये सीट छोड़ती है, तो उसके पास ठाणे की चार में से सिर्फ भिवंडी सीट ही रह जाएगी। अभी बीजेपी के पास ठाणे की पालघर और भिवंडी सीटें हैं, जबकि शिवसेना के पास कल्याण और ठाणे की शहरी सीटें हैं।

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