चिट फंड संशोधन बिल लोकसभा में पारित, सरकार ने उठाए कई अहम कदम
नई दिल्ली। चिटफंड की आड़ में हो रही धोखाधड़ी रोकने के लिए बुधवार को लोकसभा में चिट फंड अमेंडमेंट बिल 2019 को लंबी चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। अब यह बिल राज्य सभा में पेश किया जाएगा। इस बिल में चिटफंड क्षेत्र का विकास करने और उद्धोग के समक्ष आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए प्रस्ताव शामिल है। बिल केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने पेश किया।
वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने 'चिट फंड (संशोधन) विधेयक 2019' पर सदन में दो दिन चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पॉन्जी कंपनियों तथा चिटफंड कंपनियों में फर्क है और इस अंतर को बताने वाली जानकारी लोगों तक पहुँचना आवश्यक है। रिजर्व बैंक सहित नौ वित्तीय संस्थानों में जो चिटफंड कंपनियाँ पंजीकृत हैं उनमें लोगों का पैसा सुरक्षित है जबकि अनियमित पॉन्जी कंपनियों में पैसा डूब जाता है।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि चिटफंड सालों से छोटे कारोबारी और गरीब बर्ग के लोगों के लिए निवेश का स्रोत रहा है। लेकिन इसमें कुछ पक्षकारों ने इसमें अनियमितताओं को लेकर चिंता जताई थी। जिसके बाद सरकार ने एक पारमर्श समूह बनाया है। चिटफंड संशोधन बिल में कई प्रावधान किए गए हैं। इसमें ये भी कहा गया है कि चिटफंड कंपनियां बेहतर तरीके से विकास कर सके। इसके लिए भी जरूरी प्रावधान हुआ है, चिटफंड में व्यक्तिगत और कंपनियों की निवेश की सीमा बढ़ाई गई है।
चिटफंड में व्यक्तिगत निवेश की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया है। वहीं कंपनियों के लिए यह सीमा 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 18 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही चिट फंड चलाने वाले प्रबंधक फोरमैन के लिए कमीशन का हिस्सा पांच फीसद से बढ़ा कर सात फीसद किया गया है। वहीं इसका भी प्रावधान है कि कम से कम दो सदस्य मौजूद हो वह भले ही वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए हो। फोरमैन इस पूरी प्रक्रिया की रिकार्डिग करेगा।
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