आडवाणी, जोशी की तरह क्या इंदौर से सुमित्रा का भी पत्ता हुआ साफ?
इंदौर। इंदौर से आठ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को भाजपा ने टिकट देने की घोषणा की थी। सुमित्रा महाजन ने 2014 में करीब 4 लाख 66 हजार 901 वोटों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। सुमित्रा महाजन को गत चुनाव में 8 लाख 54 हजार 972 वोट मिले थे, जो कुल वोट के 64 प्रतिशत से अधिक थे। उनके विरोधी को 29 प्रतिशत वोटों में ही संतोष करना पड़ा था। जीत के बाद सुमित्रा महाजन को मंत्री बनाए जाने की संभावनाएं थी, लेकिन वे बनीं लोकसभा की स्पीकर। स्पीकर के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण और विवादित फैसले भी किए।
सुमित्रा महाजन ने सभी लोकसभा चुनाव में एकछत्र जीत हासिल की थी। यह माना जाने लगा था कि उन्हें इंदौर में हरा पाना मुश्किल ही नहीं, असंभव है। यह समझा जाता था कि सुमित्रा महाजन को 75 साल की उम्र के बाद भी उम्मीदवार बना दिया जाएगा। उनकी तरफ से चुनाव की तैयारियां भी की जा चुकी थीं, लेकिन अभी तक आधिकारिक रूप से भाजपा ने उनके नाम की घोषणा नहीं की है।
सुमित्रा महाजन को टिकट देने का ऐलान अभी तक नहीं
भाजपा ने इस चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अनंत कुमार जैसे वरिष्ठ नेताओं के टिकट काट दिए है। इंदौर के टिकट के बारे में भाजपा के सूत्रों ने बताया था कि उन्हें टिकट दिया जा रहा है, लेकिन अभी तक सुमित्रा महाजन को टिकट देने का ऐलान नहीं हुआ है। इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में संशय की स्थिति है।
इंदौर लोकसभा क्षेत्र से 9वीं बार चुनाव लड़ने के इरादे से कुछ माह पूर्व सक्रिय हुई थी। लोग कहते थे कि सुमित्रा महाजन इंदौर लोकसभा क्षेत्र की चाबी (उम्मीदवारी) अपने पास ही रखना चाहती हैं और भाजपा में ऐसा कौन है, जो उनका टिकट काटे, लेकिन अब हालात बदल गए है, अगर आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के टिकट कट सकते है, तो सुमित्रा महाजन के बारे में भी फैसला हो सकता है। सुमित्रा महाजन के करीबी नेताओं का कहना है कि पार्टी दो महीने पहले ही उन्हें इंदौर से चुनाव लड़ाने का फैसला कर चुकी थी। उनके नाम की घोषणा भी जल्द ही हो जाएगी।
इसे भी पढ़ें:- लोकसभा चुनाव 2019: झारखंड के हर दल में बगावत से दंगल
कई नेता कर रहे हैं इंदौर सीट पर दावेदारी
लोकसभा की स्पीकर होते हुए भी इंदौर की स्थानीय राजनीति में खासा दखल रखने वाली सुमित्रा महाजन ने टिकट की बात पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन अपनी सक्रियता उन्होंने कम नहीं की। वे स्थानीय और छोटे कार्यक्रमों में भी नजर आती है और भाजपा मुख्यालय पर भी। सुमित्रा महाजन की अनुपस्थिति में भाजपा के अन्य नेता उम्मीदवारी की आशा में सक्रिय हैं।
इंदौर की सीएम के नाम से चर्चित इंदौर - 4 की विधायक और महापौर मालिनी गौड़ की उम्मीदवारी के चर्चे है, लेकिन इंदौर की महापौर को मध्यप्रदेश में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है और स्वच्छता में लगातार 3 साल तक पहले नंबर पर आने के कारण उनका नगर निगम का कार्यकाल उजला रहा है। चर्चा है कि भाजपा महिला की जगह महिला होने के नाते मालिनी गौड़ को टिकट दे सकती है। मालिनी गौड़ चाहती है कि अगर उन्हें दिल्ली की राजनीति में जाने का मौका मिले, तो वे अपनी विधायक की सीट अपने बेटे को सौंप दें और लोकसभा का मोर्चा संभाले। वे कह रही है कि पार्टी जो भी फैसला करेगी, मुझे मंजूर होगा।
क्या इंदौर से किसी बाहरी प्रत्याशी को मिलेगा मौका?
इंदौर की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व मंत्री और पूर्व महापौर कैलाश विजयवर्गीय भी बरास्ता दिल्ली, भोपाल आना चाहते हैं, लेकिन उन्हें पश्चिम बंगाल में भाजपा संगठन की जवाबदारी मिली हुई है। सुमित्रा महाजन के विरोधी माने जाने के बावजूद वे कह रहे है कि मैं लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा, क्योंकि पार्टी ने मुझे पश्चिम बंगाल में बड़ी जिम्मेदारी दी है। मैं वहां से पार्टी को अधिक से अधिक सीटें दिलवाऊंगा। इंदौर में जो भी प्रत्याशी होगा, मैं उसका समर्थन करूंगा। चर्चा यह भी है कि विजयवर्गीय अपने खास सिपहसालार विधायक रमेश मेंदोला को लोकसभा टिकट दिलवाने की कोशिश में है। इसके पीछे उनका लक्ष्य यह है कि सुमित्रा महाजन का कद थोड़ा कम हो और उनके सहयोगी का कद बढ़ें। विजयवर्गीय खेमे से ऐसी कोई कोशिश नहीं हो रही है कि सुमित्रा महाजन का टिकट कटे।
सुमित्रा महाजन ने गत 8 चुनावों में कांग्रेस के अलग-अलग नेताओं को पराजित किया है। अब कांग्रेस के पास उम्मीदवार की कमी है। भाजपा इसे जीती हुई सीट समझती है। चर्चा है कि जिस तरह नरेन्द्र सिंह तोमर को भोपाल से खड़ा किया जा रहा है, उसी तरह इंदौर से भी किसी बाहरी प्रत्याशी को मौका दिया जाए। यह बाहरी प्रत्याशी मध्यप्रदेश का भी हो सकता है और मध्यप्रदेश के बाहर का भी।
इसे भी पढ़ें:- मोदी के बाद अब राहुल का ‘जुमला', कैसे जुटाएंगे 3 लाख 60 हज़ार करोड़?