कौन थीं बिहार की पहली महिला सांसद, पहली महिला केंद्रीय मंत्री?
पटना। बिहार की पहली महिला सांसद कौन हैं ? 1952 की पहली लोकसभा में बिहार से कितनी महिलाएं चुनी गयीं थीं ? केन्द्रीय मंत्री बनने वालीं बिहार की पहली महिला सांसद कौन थी ? क्या तब से आज तक महिलाओं की राजनीतिक हैसियत में कोई बदलाव आया है ? इन सवालों के जवाब बहुत निराश करने वाले हैं। 67 साल पहले बिहार से तीन महिला सांसद चुनी गयीं थीं। जब कि 2014 में भी केवल तीन महिलाओं ने ही लोकसभा में बिहार का प्रतिनिधित्व किया।
बिहार की पहली महिला सांसद
1952 में जब पहली लोकसभा का गठन हुआ था उस समय चुनाव क्षेत्रों के नाम कुछ अलग तरह से निर्धारित किये गये थे। एक सीट से दो- दो उम्मीदवार जीतते थे। 1952 में पहली लोकसभा के लिए तीन महिला उम्मीदवार सांसद चुनीं गयीं थीं। मुंगेर सदर सह जमुई लोकसभा क्षेत्र से नयन तारा दास निर्वाचित हुईं थीं। जब कि भागलपुर दक्षिण क्षेत्र से सुषमा सेन विजयी हुई थीं। 1952 में पटना पूर्वी भी एक लोकसभा क्षेत्र था। इस सीट पर कांग्रेस की तारकेश्वरी सिन्हा विजयी हुईं थीं। तारकेश्वरी सिन्हा को भारत की सबसे सुंदर महिला नेताओं में एक माना जाता है। उन्हें ब्यूटी विथ ब्रेन कहा जाता था। उनका नाम कांग्रेस की चर्चित हस्तियों में शामिल है। इस तरह नयन तारा दास, सुषमा सेन और तारकेश्वरी सिन्हा बिहार की पहली महिला सांसद हैं। तीनों ही कांग्रेस की उम्मीदवार थीं।
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सुषमा सेन और नयनतारा का योगदान
सुषमा सेन का जन्म कोलकाता में हुआ था। उन्होंने लंदन के कैम्बिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। भारत आने पर वे महात्मा गांधी से प्रभावित हुईं और समाज सेवा से जुड़ गयीं। फिर वे महिला उत्थान आंदोलन से जुड़ गयीं। भागलपुर पहले बंगाली आबादी का बहुत बड़ा केन्द्र था। रवीन्द्र नाथ टैगोर, शरत चंद्र, फिल्म अभिनेता अशोक कुमार, किशोर कुमार और अनूप कुमार जैसे कई चर्चित हस्तियां यहां से जुड़ी है। सुषमा सेन ने भी भागलपुर को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। उन्होंने भागलपुर में महिला कॉलेज खोला। अस्पताल में महिला वार्ड बनवाया। वे बिहार काउंसिल ऑफ वीमेन की अध्यक्ष भी रहीं। नयन तारा दास का जन्म मुंगेर के पुरानीगंज में 1915 में हुआ था। वे भी पढ़े लिखे बंगाली परिवार से ताल्लुक रखती थीं। भागलपुर और मुंगेर जिले आपस में सटे हुए हैं, इस लिए मुंगेर में भी बंगाली प्रभाव रहा है। 1934 में मुंगेर में विनाशकारी भूकंप आया था। हजारों भवन ध्वस्त हो गये थे। कई लोग मारे गये थे। उस समय महात्मा गांधी मुंगेर आये थे। नयन तारा दास और सुषमा सेन ने उस समय बचाव और राहत कार्य में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। तभी से सुषमा सेन और नयन तारा का कांग्रेस में कद बढ़ गया था। 1952 के चुनाव में कांग्रेस ने दोनों को लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा और दोनों जीतीं।
बिहार की पहली महिला केन्द्रीय मंत्री
तारकेश्वरी सिन्हा बिहार की पहली महिला केन्द्रीय मंत्री हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1958 में उन्हें वित्त राज्य मंत्री बनाया था। उस समय तारकेश्वरी सिन्हा की उम्र केवल 32 साल थी। उन्होंने अतिप्रतिष्ठित लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की थी। उन्हें आर्थिक मामलों का जानकार माना जाता था। उस समय मोरारजी देसाई वित्त मंत्री थे। मोरारजी स्वभाव से बहुत कड़क थे। लेकिन तारकेश्वरी सिन्हा ने अपनी योग्यता के बल पर वित्त राज्यमंत्री का काम बखूबी संभाला। तारकेश्वरी सिन्हा का संबंध बिहार के एक जमींदार घराने से था। बहुत कम उम्र में ही वे राजनीति में शामिल हो गयी थीं। 26 साल की उम्र में ही उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था।
क्या बदला?
2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार से तीन महिला उम्मीदवार सांसद चुनीं गयीं थीं। शिवहर से भाजपा की रमा देवी, सुपौल से कांग्रेस की रंजीत रंजन और मुंगेर से लोजपा की वीणा देवी। 67 साल बाद भी बिहार की तस्वीर नहीं बदली। 1952 में भी तीन महिलाएं ही सांसद चुनी गयीं थी।