बिहार की राजनीति में अब टेक्नोक्रेट्स की पूछ बढ़ी, आठ डॉक्टर चुनावी मैदान में
नई दिल्ली। बिहार की राजनीति का चेहरा अब बदल रहा है। दबंगों की दखल पहले से कम हो रही है। अब प्रोफशनल लोगों को तवज्जो मिलने लगी है। लगभग सभी दल टेक्नोक्रेट पर भरोसा करने लगे हैं। सोच में बदलाव के कारण ही 2019 के लोकसभा चुनाव में अलग-अलग दलों से आठ डॉक्टर चुनाव मैदान में हैं। बिहार में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टर चुनावी ताल ठोक रहे हैं।
महागठबंधन से चार डॉक्टर उम्मीदवार
इस बार महागठबंधन से चार डॉक्टर चुनावी अखाड़े में किस्मत आजमा रहे हैं। सबसे पहला नाम है राजद की मीसा भारती का।
डॉ. मीसा भारती
उन्होंने 2014 में पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ा था। इस बार भी मैदान में हैं। मीसा भारती एमबीबीएस की गोल्डमेडलिस्ट हैं। उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है। ये अलग बात है कि डॉक्टरी में टॉप करने के बाद भी उन्होंने कभी प्रैक्टिस नहीं की। फुल टाइम पॉलिटिशियन हैं। फिलहाल राज्यसभा की सांसद हैं।
कांग्रेस से डॉ. अशोक कुमार
कांग्रेस ने डॉ. अशोक कुमार उर्फ अशोक राम को समस्तीपुर क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। अशोक राम भी पटना मेडिकल कॉलेज के प्रोडक्ट हैं। उनके पिता बालेश्वर राम बिहार के पूर्व मंत्री थे। पिता की विरासत संभालने वे भी राजनीति में आ गये। 1985 में पहली बार विधायक बने। 1989 में वे बिहार सरकार में मंत्री भी बने। अभी वे समस्तीपुर के रोसड़ा रिजर्व सीट से विधायक हैं।
कांग्रेस से डॉ. मोहम्मद जावेद
डॉ. मोहम्मद जावेद किशनगंज लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। उन्होंने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज जम्मू कश्मीर से एमबीबीएस की पढ़ाई की है। मोहम्मद जावेद के पिता मोहम्मद हुसैन आजाद बिहार के दिग्गज कांग्रेस नेता थे। वे 33 साल तक कांग्रेस के विधायक रहे। डॉ. जावेद भी पिता के नक्शे कदम पर चल कर राजनीति में आये। वे भी चार टर्म से विधायक हैं। जब कांग्रेस सांसद मौलाना असरारुल हक का निधन हो गया तो अब कांग्रेस ने इस सीट से मोहम्मद जावेद को मैदान में उतारा है।
वीआइपी से डॉ. राजभूषण
महागठबंधन से मुजफ्फरपुर सीट पर चुनाव लड़ने वाले राजभूषण चौधरी निषाद पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर हैं। वे विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के उम्मीदवार हैं। इनका घर मुजफ्फरपुर के अहियापुर में है। समस्तीपुर के रोसड़ा में प्रैक्टिस करते हैं। डॉक्टरी के अलावा ये निषाद जाति के उत्थान के लिए सामाजिक रूप से सक्रिय भी हैं। निषाद विकास संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। 2018 में मुकेश सहनी ने जब विकासशील इंसान पार्टी बनायी तो राजभूषण चौधरी को कोषाध्यक्ष का पद दिया गया। अब मुकेश सहनी ने इनको मुजफ्फरपुर जैसी प्रतिष्ठित सीट पर उम्मीदवार बनाया है। राजभूषण पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। कभी इसी सीट पर समाजवादी अशोक मेहता और जार्ज फार्नांडीस जीत चुके हैं। अब राजनीति का यह नवोदित चेहरा मैदान में है।
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एनडीए की तरफ से तीन डॉक्टर उम्मीदवार
जदयू ने डॉ. वरुण कुमार को सीतामढ़ी से अपना उम्मीदवार बनाया है। डॉ. वरुण लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं। वे सीतामढ़ी में नंदीपत मेमोरियल निजी अस्पताल अस्पताल चलाते हैं। 2015 में वे तब चर्चा में आये थे जब इनकम टैक्स की टीम ने उनके क्लीनिक और आवास पर छापा मारा था। कहा जाता है कि डॉ. वरुण ने डॉक्टरी से बहुत पैसा बनाया है। विधान पार्षद देवेश चन्द्र ठाकुर ने तो 10 करोड़ में टिकट बेचने का आरोप तक लगाया था। बहरहाल लोकसभा चुनाव में वे अब एनडीए की तरफ से चुनौती पेश कर रहे हैं।
जदयू से डॉ. आलोक
इस बार के लोकसभा चुनाव में जदयू ने एक और डॉक्टर पर बाजी लगायी है। इनका नाम है डॉ. आलोक कुमार सुमन। उन्हें गोपलागंज से उम्मीदवार बनाया गया है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। डॉ. आलोक बहुत समय तक गोपालगंज सदर अस्पताल में काम कर चुके हैं। अब प्रैक्टिस करते हैं। राजनीति में उनकी दिलचस्पी रही है। 2013 में वे भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन में कुछ दिनों पहले उन्होंने भाजपा छोड़ कर जदयू का दामन थाम लिया। जदयू में जाने के साथ ही उनकी चुनाव लड़ने की अटकलें शुरू हो गयीं थी। यब भाजपा की जीती हुई सीट है। डॉ. आलोक पर इस सीट को बचाये रखने की चुनौती है।
भाजपा से डॉ. संजय जायसवाल फिर मैदान में
डॉ संजय जायसवाल पश्चिमी चम्पारण से भाजपा के उम्मीदवार हैं। 2014 में भी वे विजयी हुए थे। उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की है। उनके पिता डॉ. मदन जायसवाल भाजपा के सांसद थे। अब वे उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
आप से डॉ. रघुनाथ कुमार
सीतामढ़ी लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी से डॉ. रघुनाथ कुमार उम्मीदवार हैं। इस तरह सीतामढ़ी में दो डॉक्टर चुनावी मैदान में हैं।