सभी VVPAT पर्चियों की जांच की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने देश में हुए आम चुनावों के लिए 23 मई को होने वाली मतों की गिनती के दौरान वीवीपैट मशीनों की पर्ची का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के आंकड़ों के साथ शत प्रतिशत मिलान करने की मांग वाली जनहित याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। आयोग ने कहा कि सभी मामलों में ईवीएम और वीवीपैट को पार्टियों के उम्मीदवारों के सामने अच्छे से सील किया गया था और विडियोग्रफी की गई थी। सभी आरोप आधारहीन हैं।
दरअसल चेन्नई के टेक फॉर ऑल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि तकनीकी तौर पर वीवीपीएटी से जुड़ी ईवीएम सही नहीं हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कि आप न्यूसेंस क्रिएट कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने गोवा और उड़ीसा के अलावा ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से सभी ईवीएम का वीवीपीएटी से मिलान करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'इस मामले पर पहले ही मुख्य न्यायाधीश की बेंच फैसला दे चुकी है फिर आप इस मामले को वेकेशन बेंच के सामने क्यों उठा रहे हैं?' इस याचिका को बकवास बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यही करते रहे तो इससे लोकतंत्र को नुकसान होगा।
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न्यायमूर्ति मिश्र ने कहा, 'हम प्रधान न्यायाधीश के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकते हैं..... यह बकवास है। यह याचिका खारिज की जाती है।' इससे पहले सात मई को शीर्ष अदालत ने 21 विपक्षी दलों की ओर से दायर समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी।