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सुल्तानपुर: सांसदों की अदला-बदली कितनी कारगर साबित होगी

By राजीव ओझा
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की एक और चर्चित लोकसभा सीट है सुल्तानपुर। इस बार सुल्तानपुर की चर्चा कैंडिडेट स्वैप को लेकर है। मतलब प्रत्याशियों की अदला-बदली। इस लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण और हालात कुछ इस तरह बन रहे थे कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट स्वैप का अनोखा प्रयोग कर डाला। सुल्तानपुर और पीलीभीत के मौजूदा सांसदों की अदला-बदली कर उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया है। अदला-बदली मां-बेटे यानी मेनका गाँधी और वरुण के बीच की गई है। यहाँ से गठबंधन प्रत्याशी बाहुबली सोनू सिंह को लेकर भी चर्चा है। पिछले लोकसभा चुनाव में वरुण गाँधी के चुनाव प्रचार के दौरान सोनू सिंह ने सारथी की भूमिका निभाई यही और क्षेत्र में वरुण के लिए काफी मेहनत की थी। लेकिन बीजेपी में जब दाल नहीं गली तो गठबंधन का दामन थाम लिया। जो कभी वरुण के सारथी थे वो इस चुनाव में उनकी मां मेनका को चुनौती दे रहे हैं। दो बार विधायक रह चुके चंद्रभद्र सिंह उर्फ़ सोनू सिंह का क्षेत्र में काफी प्रभाव है। वैसे मेनका गाँधी का राजनीतिक कद अपने पुत्र वरुण की तुलना में काफी बड़ा है। बीजेपी को लगता है कि सुल्तानपुर में सोनू सिंह उनके सामने बड़ी चुनौती नहीं खड़ी कर पाएंगे।

चुनाव प्रचार में मां – बेटे के तीखे तेवर

चुनाव प्रचार में मां – बेटे के तीखे तेवर

वैसे मेनका ने सुल्तानपुर में आते ही ध्रुवीकरण का दांव चल दिया। उन्होंने मुसलमानों से चेतावनी के अंदाज वोट मांगे। इसके लेकर बवाल मचा। इसके चलते चुनाव आयोग ने मेनका के चुनाव प्रचार पर दो दिन का प्रतिबन्ध भी लगाया था। वरुण गांधी ने अपनी मां के चुनाव प्रचार के दौरान सुल्तानपुर में सोनू सिंह पर जम कर हमला बोला। इस तरह चढ़ते तापमान के साथ सुल्तानपुर का राजनीतिक तापमान बहुत बढ़ गया है। अपनी मां और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का चुनाव प्रचार करने सुल्तानपुर पहुंचे सांसद वरुण गांधी ने भी विपक्षियों पर जमकर निशाना साधा। वरुण गांधी ने कहा कि सुल्तानपुर स्वाभिमानी लोगों का जिला है। उन्होंने कहाकि मैं एक गांव गया तो वहां के लोगों ने गठबंधन प्रत्याशी पर धमकी देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहाकि आप लोगों को किसी से कोई डरने की जरुरत नहीं है। आप लोग केवल एक से ही डरो, वह है भगवान, बाकी कोई आपका कुछ नहीं कर सकता। अपने पाप और गुनाहों से केवल डरना चाहिए यहां किसी पोनू और टोनू से डरने की बात नहीं है। मैं संजय गांधी का लड़का हूं और इन जैसों से जूते के फीते खुलवाता हूं। मैं आपके बीच में खड़ा हूं, कोई माई के लाल में हिम्मत नहीं कि आवाज़ उठाकर बात करे मेरे सामने। उन्होंने कहा कि मैं अपनी गर्दन कटवा दूंगा लेकिन आपका गर्दन झुकने नहीं दूंगा।

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सुल्तानपुर का मुकाबला इस बार कांटे का

सुल्तानपुर का मुकाबला इस बार कांटे का

बीजेपी ने सुल्तानपुर से इस बार वरुण की जगह उनकी माँ मेनका को बहुत सोच समझ कर मैदान में उतरा है। चुनाव की तिथि घोषित होने से काफी पहले से बीच बीच में इसतरह की खबरें आ रहीं थी कि वरुण गाँधी की सुल्तानपुर में बीजेपी के नेताओं से नहीं बन रही है और वह कांग्रेस में जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में बीजेपी आलाकमान के सामने वरुण को सुल्तानपुर से शिफ्ट कर पीलीभीत भेजने से बेहतर कोई विकल्प नहीं था। सुल्तानपुर से लगा हुआ है अमेठी और अमेठी से लगा लोकसभा क्षेत्र है रायबरेली। इन तीन लोकसभा सीटों में बंटे क्षेत्र को गांधी परिवार की राजनीतिक धुरी या कर्मभूमि कहना गलत न होगा। इन तीनो सीटों ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी ध्यान खींचा था है जब यहां से सोनिया गाँधी, उनका बेटा और भतीजा मैदान में थे। तब तीनों ने अपने अपने मैदान मार लिए थे। इस चुनाव में वरुण की जगह उनकी मां मेनका गाँधी हैं। वैसे इस बार राहुल गाँधी और मेनका, दोनों के लिए मुकाबला ज्यादा कठिन है।

सारथी अब गठबंधन के रथ पर सवार

सारथी अब गठबंधन के रथ पर सवार

दूसरी तरफ पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह उर्फ़ सोनू सिंह पर भरोसा करके सपा-बसपा ने उन्हें सुल्तानपुर से मेनका के खिलाफ अपना प्रत्याशी बनाया है। चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह पूर्व विधायक स्वर्गीय इंद्र भद्र सिंह के बड़े बेटे हैं। पिता की हत्या के बाद से उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल रहे हैं। चंद्र भद्र सिंह सोनू सपा व बसपा से दो बार विधायक रह चुके हैं। 2007 में चंद्रभद्र सिंह ने सपा के सिम्बल पर इसौली विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की और पहली बार विधायक बने, दो साल बाद 2009 में सपा से इस्तीफा देकर चन्द्रभद्र बसपा में शामिल हो गये। इसौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में चन्द्रभद्र ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। वहीं साल 2012 में इंद्रभद्र ने बसपा से नाता तोड़ पीस पार्टी के बैनर तले सुलतानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, जबकि उनके छोटे भाई यशभद्र सिंह मोनू ने इसौली से विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में दोनों को हार मिली। कुछ उठा पटक के चलते पार्टी से नाता तोड़ते हुए भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा सांसद वरुण गांधी के चुनाव में रात दिन हर स्तर पर जीत दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और वरुण गांधी को जीत हासिल हुई। लेकिन विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने वादा खिलाफी किया जिससे क्षुब्ध होकर चंद्र भद्र सिंह सोनू बसपा में शामिल हो गए। सपा बसपा महागठबंधन में सुल्तानपुर बसपा के खाते में आई है।

कांग्रेस के संजय सिंह बदल सकते हैं चुनाव का रुख

कांग्रेस के संजय सिंह बदल सकते हैं चुनाव का रुख

कांग्रेस के संजय सिंह ने भी मजबूती से अपनी दावेदारी पेश की है और कांग्रेस भाजपा का खेल बिगाड़ सकती है। 2009 में सुल्तानपुर से चुनाव जीत चुके कांग्रेस नेता संजय सिंह भी ने 2014 में उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा था और उनकी पत्नी अमिता सिंह मैदान में थीं, जिन्हें चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था। उस दौरान ऐसा कहा गया कि संजय गांधी से नजदीकी की वजह से उनके बेटे वरुण के खिलाफ संजय सिंह चुनाव मैदान में नहीं उतरे। लेकिन इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के मुकाबले गठबंधन का पलड़ा भारी नजर आता है। सुल्तानपुर में 12 मई को चुनाव होना है देखना है कि आखिर ल्तानपुर की जनता इस बार किसे अपना 'सुल्तान' चुनती है।

पांच में चार बीजेपी का कब्जा

गोमती किनारे बसे सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें इसौली, सुल्तानपुर, सदर, कादीपुर (सुरक्षित) और लम्भुआ सीटें आती हैं। मौजूदा समय में इनमें चार सीटों पर बीजेपी का कब्जा हैं और केवल एक सीट इसौली सपा के पास है।

पढ़ें, सुल्तानपुर लोकसभा सीट का पूरा प्रोफाइल

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English summary
Lok Sabha elections 2019 Sultanpur Constituency Analysis maneka gandhi varun gandhi
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