'रामलीला की सीता जैसी है भाजपा, पर्दे के पीछे पीती है सिगरेट'
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दरभंगा। लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर सभी प्रमुख सियासी दल चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा भी एक चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए पहुंचे, जहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तुलना रामलीला में सीता का रोल निभाने वाले कलाकार से किया है। उन्होंने कहा, "भाजपा का दो चेहरा है। हम एनडीए में रहकर आए हैं, नजदीक से देखकर आए हैं। ये अंदर अलग हैं, बाहर अलग हैं। एक वो है जो पर्दे के बाहर दिखता है और दूसरा जो पर्दे के पीछे दिखता है।"
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भाजपा को लेकर क्या बोले कुशवाहा, देखिए VIDEO
दरभंगा में महागठबंधन के उम्मीदवार अब्दुल बारी सिद्दीकी का प्रचार करने पहुंचे आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, "यहां रामलीला खूब होती है। रामलीला में इधर के लोगों का ज्यादा अनुभव है। रामलीला आप लोगों ने देखा है ना? रामलीला जब होता है तो मंच सजता है, पर्दा लगा रहता है। सभी पात्र होते हैं। जब पर्दा उठता है तो कलाकार आते हैं। उन्हीं में से एक व्यक्ति मां सीता का रूप धारण करके आता है। इस दौरान रामलीला देख रहीं माताएं-बहनें उन्हें देखकर सिर झुका लेती हैं। इतना सम्मान दिया जाता है। पर्दा के बाहर का रूप देवी का लेकिन अगर पर्दे के पीछे जाकर देख लीजिए तो वही सीता जी सिगरेट पीती रहती हैं। बस यही हाल भारतीय जनता पार्टी का है।"
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दरभंगा में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे उपेंद्र कुशवाहा
बता दें कि आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल थे। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री भी रहे, हालांकि इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने एनडीए से अलग रूख कर लिया। उपेंद्र कुशवाहा इस बार बिहार में कांग्रेस-आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ हैं।
'भाजपा का दो चेहरा है, हम एनडीए में रहकर आए हैं, नजदीक से देखकर आए हैं'
उपेन्द्र कुशवाहा लगातार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। एक दिन पहले समस्तीपुर में एक चुनावी सभा के दौरान उन्होंने कहा कि साल 2014 में मोदी का इसलिए साथ दिया था कि वो पहली बार पिछड़ा समाज से देश के प्रधानमंत्री बनने वाले थे, लेकिन बाद में पता चला कि वे बनावटी पिछड़ा हैं। उन्होंने पिछड़ा समाज को ठगने का काम किया है। उनकी सच्चाई जानकर ही उनसे अलग होकर महागठबंधन में शामिल होने का फैसला किया। पिछले पांच साल में केन्द्र सरकार ने कोई काम नहीं किया।