शाहनवाज के बहाने नीतीश ने भाजपा को चेताया, वो पंगा लेने वाले को माफ नहीं करते
नई दिल्ली। नीतीश कुमार ने शाहनवाज हुसैन के बहाने एक बार फिर भाजपा को उसकी हैसियत बतायी है। नीतीश अपनी सार्वजनिक आलोचना बर्दाश्त नहीं करते। लोकसभा चुनाव प्रचार के ठीक पहले उन्होंने भाजपा को हद में रहने की नसीहत दी है। नीतीश कुमार यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि बिहार एनडीए में वे ही नेता नम्बर एक हैं। सीट बंटवारे के समय नीतीश ने इस बात को साबित भी किया था।
शाहनवाज के बहाने भाजपा पर वार
भाजपा के नेता शाहनवाज हुसैन ने 24 मार्च को एक ट्वीट किया था। उन्होंने इस ट्वीट में कहा था कि वे इसलिए चुनाव नहीं लड़ पाएंगे क्यों नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने उनकी सीट ले ली। कुछ दिनों तक नीतीश ने शाहनवाज के इस ट्वीट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन एक कार्यक्रम में वे अपनी नाराजगी को छिपा नहीं पाये। उन्होंने शाहनवाज हुसैन के ट्वीट को गैरजिम्मेदाराना बताया और इस मसले पर भाजपा से सफाई देने को कह दिया। पिछले कुछ महीने से नीतीश-भाजपा में हनीमून का मौसम चल रहा था। सब कुछ हंसी खुशी गुजर रहा था। लेकिन नीतीश सतर्क थे। जैसे ही उन पर आरोप लगा उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को खरी-खरी सुना दी। शाहनवाज हुसैन राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। उनकी किसी भी गलती पर सफाई तो अमित शाह ही देनी पड़ेगी। किसी का नाम लिये बिना नीतीश ने अपने मन की कह दी।
अब भागलपुर सीट पर घमासान, शाहनवाज हुसैन के बयान पर भड़के नीतीश ने कही बड़ी बात
ड्राइविंग सीट पर बैठे हैं नीतीश
बिहार में एनडीए के रहनुमा नीतीश ही हैं। नीतीश के साथ रहना भाजपा की मजबूरी है। बिहार की राजनीति में तीन ध्रुव हैं, नीतीश, लालू और भाजपा। चुनावी लेखाजोखा में ये साफ हो चुका है कोई एक ध्रुव अकेले कुछ नहीं कर सकता। जीत के लिए दो का मिलना एकदम जरूरी है। इस हकीकत ने भाजपा के हाथ पैर बांध रखे हैं। मोदी की तकदीर के लिए उसे नीतीश की झिड़की सहनी पड़ रही है। टिकट बंटवारे के समय भी नीतीश की ही चली थी। 2014 में दो सीटों पर जीतने वाले नीतीश को 17 सीटें मिल गयीं। नीतीश कुमार ने जो चाहा वो पाया। यहां तक भाजपा की जीती हुई पांच सीटें ले लीं। एक- दो प्रत्याशियों ने ना नुकुर की लेकिन फिर चुप बैठ गये। शाहनवाज हुसैन तो फिर भी भागलपुर में हारे हुए थे। नीतीश को इसी बात पर गुस्सा आया है। जब भाजपा के किसी सिटिंग एमपी ने नाम लेकर उन पर हमला नहीं किया तो हारे हुए शाहनवाज हुसैन ने क्या खा -पी कर ऐसा किया। नीतीश ने पहले शाहनावाज हुसैन को हैसियत बतायी, फिर दिल्ली में बैठे नेताओं को भी इसमें समेट लिया।
छवि को लेकर सतर्क रहते हैं नीतीश
नीतीश कुमार अपनी छवि को लेकर खासा सजग रहते हैं। किसी गलत मामले में उनके नाम को घसीटा जाए, नीतीश को बिल्कुल भी गवारा नहीं । शाहनवाज ने अगर उनका नाम नहीं लिया होता तो बात इतनी नही बढ़ती। और सबसे बड़ी बात सीट का बंटवारा तो सबकी सहमति से हुआ था। फिर अब विवाद क्यों ? व्यक्तिगत आक्षेप करने वालों पर नीतीश रहम नहीं करते। वे चाहे उनकी पार्टी के नेता हों या फिर सहयोगी। शिवानंद तिवारी को नीतीश ने राज्यसभा भेजा था। लेकिन जब उन्होंने नीतीश को निरंकुश कह दिया तो मामला बिगड़ गया। अब शिवानंद की हालत किसी से छिपी नहीं है। उपेन्द्र कुशवाहा 2000 में पहली बार विधायक बने थे। नीतीश ने नये नवेले विधायक को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया था। जब कुशवाहा ने नीतीश को आंख दिखायी तो अंजाम भुगतना पड़ा। राजनीति गलियारे में आज उन्हें दर बदर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। जॉर्ज फर्नांडीस को नीतीश गुरु मानते थे, लेकिन मिजाज बदला तो उन्हें भी गुमनामी के अंधेरे में फेंक दिया। लालू यादव, शरद य़ादव जैसे कई और नाम इस सूची में शामिल हैं जिनको नीतीश का कोपभाजन बनना पड़ा है। नीतीश कुमार आत्मकेन्द्रीत राजनीतिज्ञ हैं। वे बोलते कम हैं। लेकिन मौका ताड़ कर चौका लगा देते हैं। 2019 के चुनाव से पहेल ही नीतीश ने भाजपा को अगाह कर दिया है कि वह उनसे पंगा न ले।
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