SP-BSP-RLD के गठबंधन के साथ जुड़े यूपी के 2 और दल, गोरखपुर में बदलेंगे समीकरण!
सपा-बसपा और आरएलडी के महागठबंधन में यूपी के ही दो और राजनीतिक दल भी जुड़ गए हैं।
नई दिल्ली। यूपी में 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। मंगलवार को समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के महागठबंधन में प्रदेश के ही दो और राजनीतिक शामिल हो गए। लखनऊ में सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि अब निषाद पार्टी और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) भी महागठबंधन के साथ जुड़ गए हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि गठबंधन में इन दो दलों के साथ जुड़ने से गोरखपुर लोकसभा सीट पर आने वाले चुनाव में असर दिखेगा। उन्होंने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के ऊपर समाजवादी पार्टी का ये गठबंधन भारी पड़ेगा।
निषाद पार्टी को 2 सीटें दे सकती है सपा
गौरतलब है कि यूपी में सपा-बसपा और आरएलडी के बीच हुए सीटों के समझौते के तहत बहुजन समाज पार्टी को 38, समाजवादी पार्टी को 37 और राष्ट्रीय लोकदल को 3 सीटें दी गई हैं। निषाद पार्टी गोरखपुर के अलावा एक और लोकसभा सीट की मांग समाजवादी पार्टी से कर रही है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव अपने कोटे से दो सीटें- महराजगंज और गोरखपुर निषाद पार्टी को दे सकते हैं। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।
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गोरखपुर क्यों है खास?
आपको बता दें कि 2018 में गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने निषाद पार्टी के नेता प्रवीण निषाद को साइकिल के निशान पर चुनाव लड़वाया था। वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने इस चुनाव में सपा का समर्थन करते हुए अपनी ओर से कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने भाजपा के उम्मीदवार उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21881 वोटों के अंतर से हराया था। यह सीट योगी आदित्यानाथ के यूपी का सीएम बनने के बाद उनके इस्तीफा देने से खाली हुई थी। गोरखपुर में निषाद समाज का काफी प्रभाव माना जाता है।
अखिलेश ने किया भाजपा पर हमला
इससे पहले मंगलवार सुबह अखिलेश यादव ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर भी हमला बोला। अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए कहा, 'भाजपा के चुनावी मुद्दे: 1) विपक्ष 2) विपक्ष 3) चौकीदार। भाजपा के प्रचारक: 1) राज्यपाल 2) सरकारी एजेंसियां 3) मीडिया। भाजपा की चुनावी रणनीति: 1) सोशल मीडिया 2) नफ़रत 3) पैसा। भाजपा के 5 साल की उपलब्धि: 1) भीड़तंत्र 2) किसानों का अपमान 3) बेरोजगारी। एक अन्य ट्वीट में अखिलेश यादव ने कहा, 'विकास पूछ रहा है... भाजपा अपनी रैलियों में केवल विपक्ष की ही बातें क्यों कर रही है? क्या भाजपा के पांच साल के शासनकाल में उनकी अपनी कोई भी सकारात्मक उपलब्धि नहीं है? जनता के आक्रोश और हार के डर से भाजपा के नेता और कार्यकर्ता गर्मी का बहाना करके चुनाव प्रचार से बच रहे हैं।