लोकसभा चुनाव 2019 के वो नेता, जिनके बयानों से मच गया सियासी बवाल
नई दिल्ली- वैसे हर चुनाव में नेता अपने बिगड़े बोल की वजह से माहौल को बिगाड़ देते हैं, लेकिन मौजूदा लोकसभा चुनाव में कुछ नेताओं ने लोकतंत्र की सारी मर्यादाएं बार-बार पार की हैं। इनमें से कुछ तो ऐसे हैं, जिनपर चुनाव आयोग के डंडों का भी असर नहीं हुआ और कुछ समय के लिए प्रचार अभियान से दूर रहने के बावजूद उन्होंने फिर से जहर उगलने की कोशिश की। यहां हम उन कुछ चुनिंदा बयान बहादुरों की चर्चा करेंगे, जिन्होंने अपनी बिगड़ैल जुबान से सुर्खियां तो बटोरी हैं, लेकिन अपनी हरकतों से लोकतंत्र के महापर्व के उत्साह को फीका किया है।
आजम खान, समाजवादी पार्टी
इस बार के चुनाव में विवादित नेताओं की फेहरिस्त में सबसे अव्वल नाम समाजवादी पार्टी (SP) के आजम खान (Azam Khan) का है। यूं तो विवादों से उनका हमेशा से नाता है। लेकिन इस चुनाव में यूपी के रामपुर की एक चुनावी रैली में उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी बीजेपी की उम्मीदवार जया प्रदा पर बहुत ही आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिसके चलते वे चुनाव आयोग की नाराजगी के शिकार हो गए। उनका 'खाकी अंडरवेयर' वाला बयान इतना कुख्यात हुआ कि चुनाव आयोग को उनके खिलाफ फौरन एक्शन लेने पर मजबूर होना पड़ा और उन्हें 72 घंटे के लिए चुनाव प्रचार से दूर कर दिया गया। इसके अलावा उनके खिलाफ एक एफआईआर भी की गई और उन्हें राष्ट्रीय महिलाओ आयोग से नोटिस भी थमाया गया।
अब्दुल्लाह आजम खान, समाजवादी पार्टी
जब चुनाव आयोग की कार्रवाई के चलते आजम खान की बोलती बंद थी, तो उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम खान (Abdullah Azam Khan) अपनी बदजुबानी के कारण चर्चा में आ गए। उन्होंने पिता की तर्ज पर ही सीधे जयाप्रदा पर ही गंदी बात कर दी। उनके शब्द हैं, "हमें अली भी चाहिए, बजरंगबली भी चाहिए, लेकिन अनारकली नहीं चाहिए।" उनके इस बयान पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने उन्हें भी नोटिस भेजा। बाद में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को एक बयान जारी कहना पड़ा कि, "पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता महिला के बारे में गंदी टिप्पणी नहीं करेगा। एसपी हमेशा महिलाओं का आदर करने में विश्वास करती है।" अलबत्ता आजम खान की बदजुबानी के लिए उन्हें ऐसी प्रतिक्रिया दिखाने की जरूरत महसूस नहीं हुई थी और उनकी पत्नी डिंपल यादव भी उसे छोटी-मोटी बात कहकर टाल चुकी थीं। बाद में अब्दुल्लाह आजम खान (Abdullah Azam Khan) ने यह सफाई देने की कोशिश की कि उनकी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
नवजोत सिंह सिद्धू, कांग्रेस
अपने बड़बोलेपन के चलते मशहूर कांग्रेस नेता एवं पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी चुनावी माहौल बिगाड़ने में दूसरे बयान बहादुरों से कम नहीं हैं। उन्होंने बिहार के एक मुस्लिम बहुल इलाके में मुसलमानों से मोदी को हटाने के लिए धर्म के आधार पर एकजुट होने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, "आप लोग खुद को अल्पसंख्यक न समझें। आप यहां बहुसंख्यक हैं। आपकी आबादी करीब 64 फीसदी है।" इस बयान के लिए चुनाव आयोग ने सिद्धू पर भी 72 घंटे तक प्रचार की पाबंदी लगा दी। आयोग ने गुजरात में पीएम मोदी को 'चोर' कहने के लिए भी उन्हें नोटिस थमाया है।
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कैलाश विजयवर्गीय, बीजेपी
प्रियंका गांधी वाड्रा सक्रिय राजनीति में कूदीं और राहुल ने उन्हें सीधे महासचिव बना दिया, तो मीडिया में उनकी नाक को लेकर चर्चा चल रही थी। कुछ लोग यह साबित करने पर तुले हुए थे कि वाड्रा की नाक उनकी दादी इंदिरा गांधी से मिलती है। इसी बहस में बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय भी कूद पड़े और कह दिया कि कांग्रेस को अपने मजबूत नेताओं पर भरोसा नहीं है और वह 'चॉकलेटी फेस' के आधार पर वोट चाहती है। एक और बीजेपी नेता विनोद नारायण झा ने भी प्रियंका को लेकर अशोभनीय टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उनमें कोई क्वालिटी नहीं है, सिर्फ ये है कि वह 'बहुत सुंदर' हैं, लेकिन कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि सुंदरता के आधार पर वोट नहीं लिए जा सकते।
योगी आदित्यनाथ, बीजेपी
मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को ताक पर रखकर वोट मांगने वालों में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का भी नाम सुर्खियों में रहा है। उन्हें भी अपने बयान के लिए 72 घंटे की बैन का सामना करना पड़ा है। उन्होंने यूपी की एक रैली में कहा था, "अगर कांग्रेस, एसपी, बीएसपी को अली पर विश्वास है, तो हमें भी बजरंग बली पर विश्वास है।" हालांकि, योगी अपने बयान पर खुद का बचाव करते रहे और पाबंदी के दौरान प्रदेश के मंदिरों में घूम-घूम कर अपना समय बिताया और टीवी चैलनों पर चर्चा के विषय बने रहे।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, बीजेपी
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (Sadhvi Pragya Thakur) इस चुनाव का ऐसा नाम है, जिनकी भोपाल से उम्मीदवारी घोषित होने के साथ ही विवाद पर विवाद जुड़ते चले गए हैं। सबसे बड़ा सियासी तूफान तब उठा, जब उन्होंने पूर्व एटीएस चीफ हेमंत करकरे (Hemant Karkare) की शहादत को लेकर एक विवादित बयान दे डाला। उन्होंने आरोप लगाया कि हिरासत के दौरान करकरे ने उन्हें बहुत प्रताड़ित किया था और बहुत ही गंभीर यातनाएं दी थीं। तभी उन्होंने कह दिया था कि 'उनका सर्वनाश हो जाएगा। एक महीने से कुछ समय बाद ही आतंकी हमले में उनकी मौत हो गई थी।' बाद में उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांग ली। लेकिन, फिर से उन्होंने अयोध्या के विवादित ढांचे को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी। उन्होंने कह दिया कि उन्हें 'गर्व है कि 1992 में ढांचा गिराने में वो भागीदार रहीं।' इसके लिए चुनाव आयोग ने उन पर भी 72 घंटे की पाबंदी लगा दी और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत एक एफआईआर भी दर्ज की गई।
के चंद्रशेखर राव, टीआरएस
इस चुनाव में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) पर भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा है। उन्होंने करीमनगर की एक रैली में एंटी-हिंदू टिप्पणी की थी, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत होने और सौहार्द बिगड़ने का खतरा था। चुनाव आयोग ने प्राथमिक तौर पर उन्हें दोषी मानते हुए एक नोटिस थमाया है।
मेनका गांधी, बीजेपी
मौजूदा लोकसभा चुनाव में विवादित बयान देने वालों में बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का भी नाम शामिल है। उन्होंने एक चुनावी सभा में कहा था कि अगर मुसलमान उन्हें वोट नहीं देते हैं, तो वह किसी मदद के लिए उनके पास आएं भी नहीं। उन्होंने एक और बयान ये भी दिया था कि वह वोट के आधार पर गावों को ए, बी, सी, डी में बांट देंगी और उसी के आधार पर विकास का काम करेंगी। चुनाव आयोग ने उनके मुसलमानों वाले बयान पर दो दिनों के प्रचार पर रोक लगाई और दूसरे बयान की कड़ी आलोचना की और भविष्य में फिर ऐसा नहीं करने की हिदायत भी दी।
मायावती, बीएसपी
बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) पर भी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के लिए दो दिनों का बैन लग चुका है। उन्होंने मुसलमान मतदाताओं से कहा था कि वह अपने वोट बंटने न दें और यह सुनिश्चित करें कि मुसलमानों के वोट सिर्फ महागठबंधन के उम्मीदवारों को ही मिले। चुनाव आयोग ने इसे धार्मिक आधार पर वोटरों को प्रभावित करने का गुनाह माना और उनके खिलाफ कार्रवाई की। हालांकि, माया और उनके समर्थकों ने इस कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग पर ही हमला बोल दिया।
सुरेंद्र नारायण सिंह, बीजेपी
यूपी के बीजेपी विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह को भी अपनी बिगड़ी जुबान के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। उन्होंने बीएसपी अध्यक्ष मायावती पर यह टिप्पणी की थी कि वो रोज फेसियल कराती हैं, बाल रंगती हैं, ताकि युवा लगें। उन्होंने माया के खिलाफ ऐसा इसलिए कहा था, क्योंकि मायावती ने पीएम मोदी के बारे में कहा था कि वह राजाओं वाला जीवन जीते हैं। एक दूसरे विवादास्पद बयान में बलिया के विधायक ने डांसर सपना चौधरी के खिलाफ तब अभद्र टिप्पणी की थी, जब उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा हो रही थी। तब सुरेंद्र सिंह ने कहा था, "डांसर को लाकर राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी की तरह ही अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।"
गिरिराज सिंह, बीजेपी
केंद्रीय मंत्री और बिहार के बेगूसराय सीट से भाजपा उम्मीदवार इस बार भी अपने विवादास्पद बयान के लिए काफी चर्चा में रहे। उन्होंने मुसलमानों के बारे में कहा था कि, 'आपको मरने के बाद एक गज जमीन चाहिए। अगर आप वंदे मातरम नहीं कहेंगे, तो यह राष्ट्र आपको कभी नहीं भूलेगा।' इसके लिए चुनाव आयोग को उन्हें कारण बताओ नोटिस देना पड़ा है और उनके खिलाफ मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन के लिए एफआईआर भी दर्ज की गई है।
महेश शर्मा, बीजेपी
केंद्रीय मंत्री और नोएडा के सांसद महेश शर्मा पर भी बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी का आरोप है। उन्होंने राहुल गांधी को 'पप्पी' और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए 'पप्पू की पप्पी' शब्दों का इस्तेमाल किया था। गौतम बुद्ध नगर में चुनाव रैली के दौरान का उनका यह विडियो खूब वायरल हुआ था। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर ममता बनर्जी यहां कथक करने आएंगी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री गाना गाने आएंगे तो उन्हें कौन सुनेगा?
जयदीप कावड़े, पीआरपी
बदजुबानों की इन बदजुबानी से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी नहीं बच पाई हैं। पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी (PRP) के नेता जयदीप कावड़े (Jaydeep Kawade) ने बहुत ही गंभीर और बेहद नींदनीय तंज कसा था। उन्होंने ईरानी के बारे में कहा था कि, "उनकी बिंदी की साईज से उनके पतियों की संख्या का पता चलता है।"
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