लोकसभा चुनाव में हार के बाद महागठबंधन पर सामने आया मायावती का पहला बयान
लोकसभा चुनाव में हार के बाद मायावती ने बनाई नई रणनीति, महागठबंधन पर दिया ये बयान
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में 'किंगमेकर' की भूमिका में आने से चूकीं बसपा सुप्रीमो मायावती अब अपनी अगली रणनीति की तैयारियों में जुट गई हैं। दरअसल, यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए बना सपा-बसपा और आरएलडी का महागठबंधन मोदी की आंधी में बिखर गया और 80 में से महज 15 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाया। महागठबंधन में शामिल चौधरी अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल का इस लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुल पाया। वहीं, मायावती की बसपा को 10 और अखिलेश यादव की सपा को केवल 5 सीटें ही मिल पाईं। लोकसभा चुनाव में मिली इस हार के बाद मायावती ने मंगलवार को दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई और उनके सामने अपनी नई रणनीति का खुलासा किया। इस दौरान मायावती ने यूपी में बने महागठबंधन को लेकर भी बड़ा बयान दिया।
महागठबंधन पर क्या बोलीं मायावती
मायावती ने मंगलवार को दिल्ली में बसपा के सभी नवनिर्वाचित सांसदों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई। बैठक में मायावती ने यूपी की नगीना सीट से जीते सांसद गिरीश चंद्र जाटव को पार्टी के संसदीय बोर्ड का नेता और जौनपुर सीट से जीते श्याम सिंह यादव को उपनेता नियुक्त किया। इनके अलावा जेडीएस छोड़कर बसपा में शामिल हुए और यूपी की अमरोहा सीट से चुनाव जीते दानिश अली को संसदीय बोर्ड में मुख्य कॉर्डिनेटर के तौर पर नियुक्त किया गया। इस दौरान मायावती ने यूपी में महागठबंधन को लेकर अपने पुराने रुख पर कायम रहते हुए कहा कि प्रदेश में यह गठबंधन जारी रहेगा। साथ ही मायावती ने अपनी नई रणनीति का ऐलान करते हुए कहा कि वो 2019 के चुनाव नतीजों को लेकर हर लोकसभा सीट का गहराई से मूल्यांकन करेंगी।
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वोट ट्रांसफर पर मायावती कर रही हैं विश्लेषण
बसपा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद मायावती गठबंधन की हर सीट पर सहयोगी दलों के बीच आपसी वोट ट्रांसफर को लेकर भी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं। इसके लिए वो सीटवार चुनाव नतीजों का गहराई से विश्लेषण कर रही हैं। आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बने महागठबंधन के तहत बहुजन समाज पार्टी 38 सीटों पर, समाजवादी पार्टी 37 सीटों पर और आरएलडी 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। अमेठी और रायबरेली दो सीटों को कांग्रेस के लिए छोड़ा गया था, जहां महागठबंधन ने अपने प्रत्याशी खड़े नहीं किए थे। हालांकि कांग्रेस केवल एक ही सीट रायबरेली पर जीत दर्ज कर पाई, जहां से सोनिया गांधी चुनाव जीतीं। अमेठी सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा।
किन-किन सीटों पर जीती सपा-बसपा
इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने यूपी की सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, जौनपुर, अंबेडकर नगर, लालगंज, श्रावस्ती, गोसी और गाजीपुर सीट पर जीत दर्ज की। कुछ सीटें ऐसी थीं, जिनपर बसपा उम्मीदवार बेहद कम अंतर से हारे। इनमें यूपी की मछलीशहर सीट भी शामिल है, जहां बीएसपी के कैंडिडेट को महज 330 वोटों के अंतर से हार मिली। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुला था। वहीं, समाजवादी पार्टी के खाते में इस चुनाव में केवल पांच सीटें आजमगढ़, मैनपुरी, मुरादाबाद, सम्भल और रामपुर गईं। 2014 में भी सपा 5 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। इस बार मुलायम सिंह यादव के तीन सदस्यों डिंपल यादव को कन्नौज, अक्षय यादव को फिरोजबादा और धर्मेंद्र यादव को बदायूं में हार का सामना करना पड़ा। आरएलडी 2014 में अपना खाता नहीं खोल पाई थी और इस बार भी पार्टी कोई सीट नहीं जीत पाई। आरएलडी मुजफ्फरनगर, बागपत और मथुरा सीट पर चुनाव लड़ी थी।
सपा में भी हो सकते हैं बड़े फेरबदल
वहीं, इससे पहले अखिलेश यादव ने भी लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक अहम बैठक बुलाई। इस बैठक में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी पहुंचे थे। बैठक में आए सपा कार्यकर्ताओं ने एक सुर में कहा कि पार्टी के अंदर से ऐसे नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जाए, जो बड़े पदों पर बैठे हैं और जिनका जमीनी आधार जीरो है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि चापलूसी के जरिए पद पाने वाले नेता सपा के जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हैं। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं की अनदेखी किए जाने की कई शिकायतें सपा मुखिया अखिलेश यादव तक पहुंचीं हैं, जिन्हें देखते हुए आने वाले दिनों में संगठन में बड़ा बदलाव किया जा सकता है। बैठक के दौरान मुलायम ने भी कार्यकर्ताओं की बातें सुनीं। वहीं, इस बैठक को लेकर सूत्रों के हवाले से खबर है कि अब अखिलेश यादव पार्टी में मुलायम सिंह यादव की रणनीति पर काम करते हुए संगठन में फेरबदल करेंगे। यानी जातियों के बड़े नेताओं को पार्टी में अहम जिम्मेदारी दी जाएगी।
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