खगड़िया: कैसर पर किस्मत हो सकती है मेहरबान, फिर कर सकते हैं किला फतह?
नई दिल्ली। खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में चुनाव के बाद जो फीडबैक मिल रहे हैं उसके मुताबिक इस सीट पर माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण ध्वस्त हो गया है। कई श्रोतों से मिल रही खबरों के मुताबिक खगड़िया में वीआइपी के नेता मुकेश सहनी को यादव और मुस्लिम वोटरों का भरपूर समर्थन नहीं मिल पाया है। राजद के नेता यादव वोट को सहनी के पाले में ट्रांसफर नहीं करा पाये हैं। इस सीट पर लोजपा के उम्मीदवार महबूब अली कैसर को थोक भाव में अल्पसंख्यक वोट मिलने की खबर है। यहां 23 अप्रैल को चुनाव हुआ था। एक सप्ताह के आकलन के बाद कहा जा रहा है कि लोजपा के दलित वोट और भाजपा के सवर्ण वोट कैसर की झोली में जाने से उनकी स्थिति मजबूत है।
सोशल मीडिया ने लगा दी व्हाट!
फिल्मी दुनिया नाम और दाम कमा कर बिहार लौटे मुकेश सहनी पहली बार इतनी बड़ी भूमिका में हैं। विकासशील इंसान पार्टी बना कर बहुत तामझाम के साथ राजनीति में उतरे हैं। खगड़िया में निषाद जाति की बड़ी संख्या है। सेफ सीट समझ कर यहां से चुनाव लड़ा। लेकिन कहा जा रहा है कि चुनाव के पहले सोशल मीडिया पर वायरल एक ऑडियो ने उनका बना बनाया खेल बिगाड़ दिया। इस ऑडियो क्लीप की सत्यता किसी ने नहीं परखी। इसमें कुछ समुदाय विशेष पर प्रतिकूल टिपण्णी की गयी थी। खबरों के मुताबिक इससे मुकेश सहनी को नुकसान उठाना पड़ा है। यादव और मुस्लिम मत जो पहले तक सहनी की तरफ झुके लग रहे थे, अचानक उनका मन बदल गया। एनडीए का उम्मीदवार होने के बाद भी अल्पसंख्यकों ने महबूब अली कैसर को जम कर वोट किया। महबूब अली कैसर सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते हैं। मुस्लिम समाज में उनकी बहुत प्रतिष्ठा है। कैसर 2014 में भी लोजपा से ही जीते थे। लेकिन पिछले पांच साल में वे अपने क्षेत्र में बहुत कम सक्रिय रहे। इससे वोटरों में नाराजगी थी। लेकिन ऑडियो क्लीप से ऐसी प्रतिक्रिया हुई कि लोग नाराजगी को भूल गये।
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माय समीकरण ध्वस्त
जदयू नेता और नीतीश सरकार के मंत्री दिनेश चंद्र यादव खगड़िया, सहरसा और मधेपुरा इलाके के प्रभावशाली नेता हैं। वे साफ सुथरी छवि के नेता हैं और यादव समाज में उनकी अच्छी पैठ है। एनडीए ने दिनेश चंद्र यादव को प्रतिष्ठित मधेपुरा सीट पर चुनाव लड़ाया है। दिनेश चंद्र यादव ने महबूब अली कैसर के लिए बहुत मेहनत की थी। उन्होंने अपने प्रभाव से कई गांवों में यादव वोट कैसर को ट्रांसफर कराये हैं। खगड़िया सीट मुकेश सहनी को दिये जाने से यहां के दबंग यादव नेता रणवीर यादव पहले से खफा थे। यादव वोटरों में नाराजगी का दिनेश चंद्र यादव ने फायदा उठाया। यादव वोटों में बंटवारा होने से मुकेश सहनी को बहुत नुकसान होता दिख रहा है। यादव मतों में विभाजन और मुस्लिम मतों के पलट जाने से यहां माय समीकरण बिखर गया है।
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सम्राट चौधरी फैक्टर
परबत्ता विधानसभा क्षेत्र, खगड़िया लोकसभा सीट का हिस्सा है। परबत्ता में कुशवाहा वोटरों की बड़ी तादाद है। पूर्व मंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी की परबत्ता में अच्छी पकड़ है। उन्होंने महबूब अली कैसर के पक्ष में गांव-गांव जा कर प्रचार किया था। अब कहा जा रहा है कि कैसर को कुशवाहा समुदाय ने भी भरपूर समर्थन किया है। रालोसपा नेता उपेन्द्र कुशवाहा खुद को कुशवाहा समुदाय का सबसे बड़ा नेता मानते हैं। लेकिन वे भी मुकेश सहनी को अपना आधार मत नहीं दिला सके। इस तरह मुकेश सहनी को महागठबंधन का हिस्सा होने के बाद भी उनको घटक दलों से कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है।