लोकसभा चुनाव 2019: धार और रतलाम-झाबुआ में होगी आमने-सामने की लड़ाई
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के मालवा में इंदौर छोड़कर सभी सीटों पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए है। धार में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व सांसद छतरसिंह दरबार को प्रत्याशी बनाया है। धार संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने दिनेश गिरवाल को प्रत्याशी घोषित किया है, जो चौंकाने वाला है, क्योंकि पूर्व सांसद गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी और सूरज भानसिंह सोलंकी भी टिकट की आशा लगाए थे। सूरज भानसिंह सोलंकी के पिता शिव भानसिंह सोलंकी तो मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके है। कांग्रेस ने धार से जिन्हें उम्मीदवार बनाया है, उनके नाम की घोषणा ही चौंकाने वाली थी, लेकिन ऐसा लगता है कि टिकट वितरण में कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। क्योंकि गिरवाल को ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थक माना जाता है।
सिंधिया के कई समर्थक टिकट के लिए कर रहे थे भागदौड़
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई समर्थक धार से टिकट के लिए भाग-दौड़ कर रहे थे। दत्तीगांव के जमींदार राज्यवर्धन सिंह, कुलदीप बुंदेला और उमंग सिंगार ने दिनेश गिरवाल के पक्ष में माहौल बनाया। गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी इस इलाके के प्रमुख शराब कारोबारी बालमुकुंद गौतम का समर्थन पा चुके थे। गौतम भी कांग्रेस के विधायक रह चुके है। गिरवाल ने यहां से बाजी मार ली। कुछ समय पहले ही धरमपुरी के विधायक पांचीलाल मेढ़ा ने शराब माफिया के खिलाफ मोर्चा खोला था। माना जाता है कि पांचीलाल मेढ़ा बालमुकुंद सिंह गौतम और राजूखेड़ी दोनों को निशाना बना रहे थे।
धार संसदीय क्षेत्र में इंदौर जिले की विधानसभा महू भी शामिल है। पहले महू इंदौर संसदीय क्षेत्र में शामिल था, लेकिन संसदीय क्षेत्र के पुनर्गठन में महू धार से जा मिला। महू सामान्य विधानसभा सीट है। जबकि धार की अधिकांश विधानसभा सीटें सुरक्षित है। महू के मतदाताओं को भी धार से जोड़ना पसंद नहीं आया और इसीलिए लोकसभा चुनाव के वक्त महू के मतदाता उतने उत्साहित नहीं रहते। बालमुकुंद सिंह गौतम महू के पास बेटमा और घाटा बिल्लौद इलाके में रहते हैं और इसी इलाके में उनका प्रमुख कारोबार भी है और निवास भी। राजूखेड़ी विरोधियों ने कांग्रेस आलाकमान के सामने यह बात साबित की कि बालमुकुंद सिंह गौतम और राजूखेड़ी को इस क्षेत्र के लोग पूरा समर्थन नहीं देते और इस तरह टिकट पाने की दौड़ में गिरवाल आगे निकल गए।
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कांग्रेस की लड़ाई में भाजपा को फायदा!
अब धार-महू संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस में सेबोटॉज की बातें की जा रही है। यह माना जा रहा है कि आपसी मतभेद धार लोकसभा सीट भाजपा की झोली में डाल देंगे। भारतीय जनता पार्टी को भी धार-महू लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार के चयन में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भाजपा के दिग्गज यहां से आसान जीत चाहते है। कांग्रेस ने एक तरह से उनका काम आसान कर दिया है।
धार संसदीय क्षेत्र से ही लगी हुई रतलाम-झाबुआ सीट पर भी कड़ी प्रतिस्पर्धा है। कांग्रेस ने यहां से कांतिलाल भूरिया को प्रत्याशी बनाया हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट है। क्योंकि कांतिलाल भूरिया पूर्व केन्द्रीय मंत्री हैं और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कांतिलाल भूरिया के पुत्र विक्रांत भूरिया को झाबुआ विधानसभा सीट पर 4 महीने पहले हार का सामना करना पड़ा था, क्योंकि कांग्रेस की भीतरी लड़ाई इतनी गहरी थी और विद्रोही उम्मीदवार ने भी अपनी ताकत दिखा दी थी। कांतिलाल भूरिया ने उसी से सबक लेकर ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत बनानी शुरू की है और सघनतम जनसंपर्क कर रहे हैं।
जय आदिवासी युवा संगठन के डॉक्टर हीरालाल ने बनाई कांग्रेस से दूरी
मनावर से कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) के डॉक्टर हीरालाल अलावा मनावर से विधायक है। इस बार उन्होंने कांग्रेस से दूरी बना ली है। यही हाल रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में भी है। वहां जयस का इतना प्रभाव नहीं है, लेकिन रतलाम में डॉक्टर अभय ओहरी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में है। इस कारण रतलाम झाबुआ संसदीय क्षेत्र में भी चुनाव कांटे का बनता नजर आ रहा है। विक्रांत भूरिया को विधानसभा चुनाव में हराने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले जेवियर मेढ़ा लोकसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। सार्वजनिक मंचों से भी वे यह बात बार-बार कह रहे है कि लोकसभा चुनाव में वे बगावती तेवर नहीं दिखाएंगे। भारतीय जनता पार्टी ने रतलाम-झाबुआ सीट से विधायक डामोर को टिकट दिया है, जो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में इंजीनियरिंग चीफ थे। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ी और अब पूर्णकालीक राजनीति कर रहे हैं।
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