CBI को मैनेज करने के लिए लालू यादव ने क्या-क्या नहीं किया?
नई दिल्ली। क्या लालू यादव ने सीबीआइ से राहत पाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली को कोई पैगाम दिया था? क्या लालू यादव ने इसके बदले नीतीश सरकार को गिराने की पेशकश की थी? सुशील मोदी के इन सवालों पर राजनीतिक बहस हो सकती है लेकिन ये सच है कि लालू यादव सीबीआइ को मैनेज करने की कोशिश करते रहे हैं। सीबीआइ के पूर्व डायरेक्टर जोगिंदर सिंह ने खुद इस संबंध में लिख कर खुलासा किया था। उन्होंने अपने लेखों और किताब में इस बात का विस्तार से जिक्र किया है कि लालू ने कैसे सीबीआइ जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी।
1996 की राजनीतिक पृष्ठभूमि
1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी। लेकिन किसी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला था। सबसे बड़ी पार्टी भाजपा थी। अटल बिहारी वाजपेयी वाजपेयी की सरकार बनी। लेकिन बहुमत नहीं जुटाने के कारण 13 दिन में गिर गयी। तब वैकल्पिक सरकार के गठन के लिए कोशिश शुरू हुई। ज्योति बसु के नाम पर सहमति बन गयी थी लेकिन सीपीएम ने उनको प्रधानमंत्री बनने की इजाजत नहीं दी। 1996 का लोकसभा चुनाव बिहार में चारा घोटला की चर्चा के बीच ही हुआ था। 1991 में लालू ने 32 सांसद जीता कर दिल्ली भेजे थे। 1996 में कुछ ग्राफ गिरा तो उनकी पार्टी 22 सीटों पर ठहर गयी। ज्योति बसु का नाम कटने के बाद फिर सर्वमान्य नेता की खोज शुरू हुई। लालू यादव भी इस होड़ में थे। लेकिन चारा घोटाला में आरोप लगने के बाद वामदल उनके खिलाफ थे। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने खुद को इस रेस से अलग कर लिया। अंत में कर्नाटक के मुख्यमंत्री और जनता दल नेता एच डी देवगौड़ा के नाम पर सहमति बनी। देवगौड़ा प्रधानमंत्री बन गये।
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जोगिंदर सिंह बने CBI चीफ
एचडी देवगौड़ा जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपनी पसंद के अधिकारी जोगिंदर सिंह को सीबीआइ का डायरेक्टर बनाया। वे कर्नाटक कैडर के आइपीएस थे और देवगौड़ा के साथ काम करने का अच्छा अनुभव था। जब जोगिंदर सिंह को सीबीआइ की कमान मिली तो लालू यादव मन ही मन खुश हुए कि चलो पीएम भी अपना और सीबीआइ चीफ भी अपना। लेकिन उनकी ये खुशी कुछ ही दिनों में काफूर हो गयी। लालू यादव ने सीबीआइ को प्रभावित करने के लिए जितने भी कोशिशें की वो सब नाकाम हो गयीं। पटना हाईकोर्ट की निगरानी और सीबीआइ के सख्त अधिकारियों ने चारा घोटला की जांच को अंजाम तक पहुंचाया। इसकी वजह से ही आज लालू यादव को सजा मुमकिन हो पायी।
राहत के लिए देवगौड़ा से भिड़े
1997 के जनवरी में चारा घोटला की जांच तेज हो चुकी थी। लालू प्रसाद इसमें घिरते जा रहे थे। इस वाकये को पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब में लिखा है। सीबीआइ के ज्वाइंट डायरेक्टर यूएन विश्वास लालू से पूछताछ की तैयारी में थे। लालू परेशान थे कि सीएम रहते उनसे सीबीआइ पूछताछ करेगी। केन्द्र में अपनी सरकार का भी कोई फायदा नहीं मिल रहा था। एक दिन परेशान लालू ने देवगौड़ा को फोन लगाया । लालू ने देवगौड़ा से कहा कि ये सब आप क्या करवा रहे हैं। ये अच्छा नहीं हो रहा। इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। इस पर देवगोड़ा ने कहा कि इस जांच की निगरानी पटना हाईकोर्ट कर रहा है। सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर सकती। जनवरी 1997 में जनता दल संचालन समिति की दिल्ली में बैठक थी। इसमें लालू यादव भी शामिल हुए। मुलाकात के बाद लालू ने देवगौड़ा से कहा, आपको प्रधानमंत्री बनवा कर मैनें बहुत बड़ी गलती की। देवगौड़ा ने भी लालू को करारा जवाब दिया, भारत सरकार और सीबीआइ कोई भैंस नहीं कि उसको इधर से उधर हांक दिया जाए। शासन कानून से चलता है। इसके बाद लालू ने देवगौड़ा को हटाने के लिए कोशिश शुरू कर दी।
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गुजराल ने क्या किया?
एचडी देवगौड़ा को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा। फिर एक सर्वमान्य नेता की खोज शुरू हुई। इस बार लालू यादव ने इंद्र कुमार गुजराल का नाम आगे कर दिया। उनके नाम पर सहमति बन गयी। गुजराल को ये बात मालूम नहीं थी कि उनका नाम पीएम पद के लिए तय हुआ है। वे उस समय अपने घर में सो रहे थे। लालू ने फोन किया कि गुजराल जी, गाड़ी भेज रहे हैं, आ जाइए। आपको प्रधानमंत्री बनना है। पहले तो उन्हें भरोसा नहीं हुआ लेकिन लालू यादव के बार-बार कहने पर वे आये। उस समय इंद्र कुमार गुजराल बिहार से राज्यसभा के सांसद थे। लालू ने ही उन्हें राज्यसभा में भेजा था। इस तरह लालू ने एक फिर अपने करीबी आदमी को प्रधानमंत्री बनवा दिया था। एक दिन लालू यादव ने टेलीविजन पर जोगिंदर सिंह को कहते सुना कि चारा घोटाला मामले में लालू यादव के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिल गये हैं। सीबीआइ जल्द ही उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी। इतना सुनते ही लालू आग बबूला हो गये। उन्होंने तुरंत पीएम गुजराल को फोन लगाया। लालू ने गुजराल को हड़काया, ये सब क्या बकवास करा रहे हैं आप। एक प्रधानमंत्री को हटाकर आपको बनाया और आप भी वहीं काम कर रहे हैं। जब गुजराल ने अपनी मजबूरी बतायी तो लालू नाराज हो गये।
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जोगिंदर सिंह का तबादला
चारा घोटला में सीबीआइ लालू यादव के खिलाफ चार्जशीट दायर करने और गिरफ्तारी की तैयारी में थी। दूसरी तरफ सीबीआइ पर राजनीतिक दबाव बढ़ने लगा था। एक दिन प्रधानमंत्री गुजराल ने जोगिंदर सिंह को बुलाया और लालू यादव पर कुछ नरमी बरतने की बात कही। तब जोगिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री से पूछा, क्या इस केस में आपकी कोई रुचि है तो गुजराल ने इंकार कर दिया। कुछ दिनों के बाद गुजराल ने फिर जोगिंदर सिंह को लालू को कुछ राहत देने की बात कही। इस पर उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा, आप इसके लिए लिखित इजाजत दीजिए तभी ऐसा करूंगा। गुजराल निरुत्तर हो गये। इस घटना के कुछ दिनों बाद जोगिंदर सिंह को सीबीआइ के डायरेक्टर पद से हटा दिया गया। उनका तबादला गृह मंत्रालय में कर दिया गया। लालू के दबाव में सरकार ने जोगिंदर सिंह को इस तबादले के बारे में बताया भी नहीं। उन्हें अपने तबादले की खबर एक पत्रकार से मिली थी। जोगिंदर सिंह ने लिखा है कि चारा घोटाला में सीबीआइ की बढ़ती सक्रियता के कारण उन्हें यह सजा दी गयी थी। जोगिंदर सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी लिखित बातें आज साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं।