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चुनाव के पहले लालू का धमाका, क्या नीतीश-भाजपा के भरोसे में आएगी कमी?

By अशोक कुमार शर्मा
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पटना। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले लालू यादव की किताब ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है। मिस्टर क्लीन की छवि रखने वाले नीतीश कुमार की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गयी है। लालू, नीतीश को पलटू राम कहते रहे हैं। क्या नीतीश सचमुच पलटू राम हैं ? क्या सत्ता के लिए नीतीश कभी भी, किसी से भी हाथ मिला सकते हैं ? क्या राजनीति में वे भरोसे के काबिल नहीं है ? लालू यादव की किताब में दावा किया गया है कि भाजपा-जदयू की सरकार बनने के छह महीना बाद ही नीतीश ने प्रशांत किशोर के मार्फत महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था। इसे लालू ने खारिज कर दिया था। दूसरी तरफ प्रशांत किशोर ने लालू के इस खुलासे को झूठ बताया है। उनका कहना है कि वे लालू यादव से मिले जरूर थे लेकिन मुलाकात में जो बात हुई अगर उसको सार्वजनिक कर दें तो लालू शर्मिंदा हो जाएंगे। क्या लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने के इरादे से ये जानकारी सार्वजनिक की गयी है ? खुलासे के समय को देख कर ये सवाल पूछा जा रहा है।

गोपालगंज टू रायसीना : माई पोलिटिकल जर्नी

गोपालगंज टू रायसीना : माई पोलिटिकल जर्नी

लालू यादव ने अंग्रेजी लेखक नलिन वर्मा के साथ मिल एक किताब लिखी है जिसका नाम है- गोपालगंज टू रायसीना : माई पोलिटिकल जर्नी । इस किताब का अभी तक लोकार्पण नहीं हुआ है लेकिन जल्द ही होने वाला है। इस किताब में लालू यादव ने लिखा है कि 2017 में भाजपा के साथ सरकार बनाने के छह महीना बाद ही नीतीश का मन फिर डोल गया था। वे महागठबंधन में फिर शामिल होने के लिए चिरौरी कर रहे थे। वे धर्मनिरपेक्ष गोलबंदी में वापसी चाहते थे। उनके दूत और जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर इस इरादे से पांच बार उनसे मिले थे। प्रशांत किशोर ने लालू से कहा था कि अगर वे लिखित समर्थन पक्का कर दें तो जदयू महागठबंधन में लौट सकता है। लालू कहते हैं, तब तक नीतीश पर से मेरा भरोसा पूरी तरह टूट चुका था। अगर मैं प्रशांत किशोर का प्रस्ताव स्वीकर कर लेता महागठबंधन के दल मेरे बारे में क्या में क्या सोचते ? मेरी विश्वसनीयता भी खत्म हो जाती। मैंने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक करियर पर एक नजर

कितना असर पड़ेगा नीतीश पर?

कितना असर पड़ेगा नीतीश पर?

लोकसभा चुनाव का पहला चरण 11 अप्रैल से शुरू हो रहा है चुनाव प्रचार चरम पर है। इस बीच लालू यादव के खुलासे से नीतीश को नुकसान उठाना पड़ सकता है। एक सवाल लोगों को दुविधा में डाल देगा कि क्या नीतीश धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर अभी भी ढुलमुल स्थिति में है ? अगर भाजपा से असहज महसूस किया तो क्या फिर पाला बदल सकते हैं ? भाजपा जिस तरह से चुनाव प्रचार में सीमापार आतंकवाद और हिन्दू आतंकवाद को मुद्दे को उठा रही है क्या बाद में नीतीश को अखर सकती हैं ? ये बात तो तय है कि नीतीश अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि बनाये रखने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। वे इस बात को छिपाते भी नहीं। लालू यादव की किताब ने नीतीश के इसी सशंकित स्वभाव को सामने रखा है। नीतीश को पांच जीती हुई सीट दिये जाने से भाजपा कार्यकर्ता पहले से नाराज है। अगर लालू के खुलासे ने उनको थोड़ा भी विचलित किया तो एनडीए को नुकसान तय है।

क्या लालू ने नीतीश पर पलटवार किया है?

क्या लालू ने नीतीश पर पलटवार किया है?

कुछ दिनों पहले नीतीश कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि लालू यादव जेल से फोन के जरिये बाहरी लोगों से बात करते हैं। उन्होंने कहा था कि जेल के चाहे जो भी नियम हों लेकिन सच ये है कि लालू यादव जेल में रहते हुए फोन से बात करते हैं। सजायाफ्ता लालू यादव रांची के होटवार जेल में बंद थे। अब इलाज के लिए रिम्स में भर्ती हैं। अस्पताल के कमरे को ही जेल वार्ड बना दिया गया है। नीतीश के इस बयान के बाद लालू के वार्ड की तलाशी हुई थी। जेल में फोन रखना गैरकानूनी है। आरोप लगा रहा था कि लालू जेल से चुनाव को संचालित कर रहे हैं। जदयू ने आरोप लगाया था कि अगर लालू के करीबी भोला यादव के मोबाइल कॉल डिटेल्स को निकाला जाए तो सच सामने आ जाएगा। लालू यादव जमानत के लिए सक्रिय हैं। अगर उन पर फोन से बात करने का आरोप साबित हो गया तो जमानत मुश्किल है। कहा जा रहा है इस बात से तिलमिलाये राजद ने यह धमाका किया है।

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English summary
Lok Sabha Elections 2019: RJD Lalu Prasad Yadav Big claim Before Polls Will affect Nitish BJP confidence
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