मोदी के लिए खुलकर बैटिंग कर रहे हैं नीतीश, नजर 46% वोटों पर
पटना। नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थन में पूरी मुस्तैदी से खड़े हैं। चुनावी सभाओं में मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। मोदी पर हो रहे सियासी हमलों का करारा जवाब दे रहे हैं। कुछ असहमतियों के बाद भी नीतीश, मोदी की प्रशंसा में कोई कोताही नहीं कर रहे। बिहार के विकास में केन्द्र के योगदान का हर जगह जिक्र कर रहे हैं। दरअसल नीतीश की नजर 46 फीसदी वोट पर है। अगर ये मुमकिन हो गया तो नीतीश एनडीए की 32 सीटों के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं।
बिजली ने बिहार की तस्वीर बदली
बिजली के क्षेत्र में बिहार का कायापलट हुआ है। पहले बिहार के शहरों में मुश्किल से पांच-छह घंटे बिजली रहती थी। अब गांवों में 18 से 20 घंटे बिजली रहती है। पिछले तीन सालों में बिजली के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। सरकार का दावा है कि राज्य के सभी घरों में बिजली पहुंचा दी गयी है। बिजली की वजह से गांव के लोगों की सुविधाएं बहुत बढ़ी हैं। बिहार को पहले 700 मेगावाट बिजली मिलती थी अब 5200 मेगवाट बिजली मिलती है। इससे अमीर-गरीब सबके जीवन स्तर में तब्दीली आयी है। लोग इस फर्क को महसूस कर रहे हैं। गांव- गांव, घर-घऱ तक बिजली पहुंचाने में केन्द्र ने बिहार की बहुत मदद की है। 2013 में नीतीश ने कहा था कि अगर वे घर-घऱ बिजली नहीं पहुंचा पाए, तो वोट मांगने नहीं आएंगे। नीतीश ने अपना वायदा पूरा कर दिया है। अब वे केन्द्र और बिहार की मिली जुली सफलता पर लोगों से वोट मांग रहे हैं।
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सड़क से मंजिल की तलाश
सड़क निर्माण के क्षेत्र में भी बिहार ने बहुत प्रगति की है। स्टेट हाई वे हो या नेशनल हाईवे, दोनों के निर्माण पर लगातार काम हो रहा है। नीतीश कुमार चुनावी जनसभाओं में बार-बार इस बात का जिक्र करते हैं कि मोदी सरकार ने सड़कों के निर्माण के लिए 50 हजार करोड़ रुपये दिये हैं। राज्य में सड़कों का जाल फैलने से लोग दूर दराज के इलाकों से छह-सात घंटे में पटना पहुंच जा रहे हैं। जो टोले मुख्य सड़क से नहीं जुड़े थे उनको जोड़ने का काम किया जा रहा है। अगले साल तक ये काम पूरा जाएगा। केन्द्र के सहयोग से काम आगे बढ़ रहा है। नीतीश कुमार वोटरों से इसी काम की मजदूरी मांग रहे हैं। इसके अलावा नीतीश ये भी बता रहे हैं कि मोदी सरकार ने आम लोगों के बहुत काम किये हैं। गरीबों परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन और हर घर शौचालय योजना से लोगों का जीवन बेहतर हो रहा है।
नीतीश की नजर 46 फीसदी वोट पर
नीतीश कुमार भाजपा से दोबारा मिलने के बाद पॉलिटिकल इंजीनियरिंग पर लगातार काम कर रहे हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में मोदी मैजिक बिहार में फेल हो गया था। मोदी के प्रधानमंत्री रहते भाजपा की ये बड़ी हार थी। उस समय नीतीश, लालू यादव के साथ थे। अब नीतीश भाजपा के साथ हैं। स्थितियां बदल गयी हैं लेकिन नीतीश वोटिंग पैटर्न के अनुमान के लिए 2015 के वोट शेयर को आधार बना रहे हैं। इस वोट शेयर में मोदी से अधिक स्थानीय मुद्दे प्रभावी रहे। इस नीतीश लोकसभा चुनाव में भी बिहार के स्थानीय मुद्दे ही उठा रहे हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 24.4 फीसदी, जदयू को 16 फीसदी और लोजपा को 4.8 फीसदी वोट मिले थे। तीनों को जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा 46 फीसदी होता है। नीतीश जानते हैं कि अगर इस 46 फीसदी वोट पर पकड़ बना ली जाए तो चुनावी नैया पार लग जाएगी। जदयू और भाजपा ने मिल कर 2009 में कुल 32 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया था। यह एनडीए का अधिकतम प्रदर्शन है। 2019 में नीतीश इस रिकॉर्ड को तोड़ना चाहते हैं। इस लिए वे मोदी की तारीफ से पीछे नहीं हट रहे।
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