क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Lok Sabha Elections 2019: हाजीपुर में लोजपा और राजद के बीच कांटे की लड़ाई, अपनों के विरोध से दोनों दल सहमे

By Ashok Kumar Sharma
Google Oneindia News

पटना। हाजीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार अब आखिरी दौर में है। 6 मई को यहां चुनाव होने वाला है। यहां मुख्य मुकाबला लोजपा के पशुपति कुमार पारस और राजद के शिवचंद्र राम के बीच है। यह सीट दोनों के लिए बहुत खास है। इस सीट पर चुनाव के नतीजे से बिहार की भावी राजनीति का खाका तय होने वाला है। यहां कांटे की लड़ाई तो है लेकिन राजद और लोजपा, दोनों की भीतरघात से सहमे हुए हैं। ऊंट किसी करवट बैठ सकता है।

लोजपा के लिए यह प्रतिष्ठा वाली सीट है

लोजपा के लिए यह प्रतिष्ठा वाली सीट है

लोजपा के लिए यह प्रतिष्ठा वाली सीट है। लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान इस सीट से आठ बार सांसद चुने गये हैं। इस सीट पर 1989 में वे पांच लाख से अधिक मतों से जीत हासिल कर चुके हैं जो एक समय राष्ट्रीय रिकॉर्ड था।

लोजपा-राजद के बीच कड़ा मुकाबला

इस बार राम विलास के बदले उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस मैदान में हैं। दूसरी तरफ राजद के शिवचंद्र राम उनको चुनौती दे रहे हैं। हाजीपुर का चुनाव राजद के लिए भी अग्निपरीक्षा है। लालू यादव के उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव राघोपुर के विधायक हैं। लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव महुआ के विधायक हैं। जब कि शिवचंद्र राम राजापाकार के विधायक हैं। ये तीनों विधानसभा क्षेत्र, हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं। अगर पशुपति पारस की जीत होती है तो तेजस्वी और राजद के वजूद पर सवाल खड़ा हो जाएगा।

यह पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2019- हाजीपुर लोकसभा सीट के बारे में जानिएयह पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2019- हाजीपुर लोकसभा सीट के बारे में जानिए

आंतरिक विरोध से दोनों दल सहमे

आंतरिक विरोध से दोनों दल सहमे

पशुपति कुमार पारस लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनका राजनीतिक वजूद बड़े भाई रामविलास पासवान की लोकप्रियता पर टिका है। 2015 में विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। रामविलास पासवान की वजह से ही नीतीश कुमार ने पारस को बिना विधायक रहते हुए भी मंत्री बना लिया था। अब पारस पर अपने बड़े भाई की विरासत को बचाने की चुनौती है। उन्हें रामविलास पासवान के भाई होने का फायदा मिलता तो दिख रहा है लेकिन रामा सिंह के विरोध से उनके समर्थकों में चिंता है। रामा सिंह वैशाली के मौजूदा सांसद हैं। रामविलास पासवान से खटपट होने के बाद वे अब लोजपा से अलग हैं।

लड़ाई आसान नहीं किसी भी दल के लिए

लड़ाई आसान नहीं किसी भी दल के लिए

लोजपा ने वैशाली से पूर्व विधायक नीणा सिंह को उम्मीदवारा बनाया है। इससे रामा सिंह नाराज हैं और पारस को हराने के लिए जीन जान लगाये हुए हैं। हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में वे राजपूत मतों को पारस के खिलाफ गोलबंद करने में जुटे हैं। दूसरी तरफ राजद उम्मीदवार शिवचंद्र राम भी आंतरिक कलह से परेशान हैं। लालू यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने इस सीट पर बालेन्द्र दास को चुनाव मैदान में उतारा है। वे लालू-राबड़ी मोर्चा के बेनर तले चुनाव लड़ रहे हैं। बालेन्द्र दास को जो भी मत मिलेंगे वह राजद के हिस्से से ही कटेगा। जहां मुकाबला बराबरी का हो वहां थोड़े मतों का नुकसान भी घातक होगा। इसके अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री दशईं चौधरी भी इस सीट पर राकंपा के उम्मीदवार के रूप में अपना भाग्य आजामा रहे हैं।

यहां पढ़ें: लोकसभा चुनाव का विस्तृत कवरेज

Comments
English summary
As the mercury rises in May, so has the stakes for the political inheritors in Bihar, with just three phases of polling left before the 2019 Lok Sabha election results on May 23.Interesting War Between LGP vs RJD ON Hajipur Seat.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X