लोकसभा चुनाव 2019: 'विजयी भव' के आशीर्वाद के लिए पत्नियों ने संभाला प्रचार का मोर्चा
रांची। झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर अंतिम चार चरणों में 29 अप्रैल, छह मई, 12 मई और 19 मई को वोट डाले जायेंगे। 29 अप्रैल के मतदान के लिए पलामू, लोहरदगा और चतरा में नामांकन भरने का काम खत्म हो गया है। छह मई के मतदान के लिए रांची, खूंटी, हजारीबाग और कोडरमा तथा 12 मई के लिए गिरिडीह, धनबाद, जमशेदपुर और चाईबासा में पर्चा दाखिल करने का काम चल रहा है। इसके साथ ही चुनाव प्रचार अभियान भी उफान पर है। वोटरों को आकर्षित करने के लिए उम्मीदवार प्रचार का हरसंभव तरीका अपना रहे हैं। चुनावी माहौल में स्वाभाविक तौर पर उम्मीदवारों के घरों का माहौल भी बदल गया है और उनके परिजन भी प्रचार के नये-नये तरीके खोज रहे हैं। इस गहमा-गहमी के बीच उम्मीदवारों की पत्नियों की जिम्मेदारी भी बढ़ गयी है। घर के भीतर और बाहर के कई काम उन्हें निबटाने पड़ रहे हैं। पति के खान-पान से लेकर उनकी सेहत तक का खास ध्यान रखने के अलावा उनके पक्ष में वोटरों को आकर्षित करने के लिए ये पत्नियां आगे आ गयी हैं। झारखंड के कई उम्मीदवारों की पत्नियों ने अभी से ही अपने पतियों के प्रचार की कमान संभाल ली है। धूप-गर्मी की परवाह किये बिना वे अपने पति के लिए वोट मांगने निकल पड़ी हैं।
सुबोधकांत सहाय की पत्नी रेखा सहाय कर रहीं हैं जनसंपर्क
झारखंड की राजधानी रांची के विभिन्न इलाकों में आजकल दिन की प्रचंड गर्मी के बावजूद करीब दो दर्जन महिलाओं-पुरुषों का झुंड अक्सर किसी न किसी इलाके में घर-घर घूमता नजर आता है। झुंड में सबसे आगे एक महिला होती है। वह घरों के दरवाजे पर पहुंचती है। साड़ी के पल्लू से सिर ढंक कर महिला हाथ जोड़ कर घर वालों को प्रणाम करती है और अपना नाम रेखा सहाय बताती है। इसके बाद रेखा सहाय घर के लोगों का हालचाल पूछती हैं और कांग्रेस प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय के पंजा छाप में वोट देने की अपील करती है। महज एक मिनट की इस मुलाकात में ही घर के लोग खासे प्रभावित नजर आने लगते हैं। यह सिलसिला अंधेरा छाने तक जारी रहता है। कांग्रेस प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय जहां ग्रामीण इलाकों का दौरा कर रहे हैं और अपने सहयोगियों के साथ रणनीति बनाने में व्यस्त रहते हैं, उनकी पत्नी अपने सहयोगियों के साथ हर दिन जनसंपर्क में निकलती हैं। रेखा सहाय के करीबियों के अनुसार उन्होंने मतदान के दिन तक रांची संसदीय क्षेत्र के कम से कम एक लाख मतदाताओं से संपर्क करने का लक्ष्य रखा है। वह हर दिन पांच से छह घंटे तक जनसंपर्क कर रही हैं और लगभग पांच हजार लोगों से भेंट कर रही हैं।
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अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा भी सघन जनसंपर्क में लगी हैं
बगल के खूंटी संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा भी सघन जनसंपर्क में लगी हैं। अर्जुन मुंडा के नामांकन के दौरान मीरा मुंडा लगातार साथ रहीं और बाद में वह प्रचार के लिए निकलीं। स्थानीय भाषा में बात करने के कारण वह बहुत जल्दी महिलाओं से घुल-मिल जाती हैं। घर के भीतर बैठ कर बात करना और ग्रामीण महिलाओं को समझाना उनकी खासियत है। इसलिए खूंटी संसदीय क्षेत्र में महिलाओं के बीच आजकल मीरा मुंडा की चर्चा उनके पति की अपेक्षा अधिक हो रही है। महिलाएं उनकी बातों पर भरोसा भी करती हैं।
जयंत सिन्हा की पत्नी पुनीता कुमार भी कर रही हैं चुनाव प्रचार
हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही आलम देखने को मिल रहा है। भाजपा प्रत्याशी जयंत सिन्हा की पत्नी पुनीता कुमार नामांकन भरने के दौरान अपने पति के मौजूद थीं। वह नामांकन के बाद हुई सभा में भी मंच पर थीं। अब वह शहर के मुहल्लों में प्रचार करने के लिए निकल रही हैं। उनके साथ कुछ महिलाएं होती हैं। वह हर घर के दरवाजे पर जाती हैं। साड़ी के पल्लू से सिर ढंक कर लोगों का अभिवादन करती हैं और अपने पति के लिए वोट मांगती हैं। इस दौरान वह अपने पति द्वारा किये गये काम को बताना भी नहीं भूलतीं। पुनीता कुमार की दिनचर्या इन दिनों बेहद व्यस्त हो गयी है। वह अपने पति के खान-पान से लेकर उनकी पोशाक का भी खास ध्यान रखती हैं। घर पर आनेवाले कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों की अगवानी की भी उन्होंने मुकम्मल व्यवस्था कर रखी है, ताकि कोई भी व्यक्ति निराश नहीं लौटे।
कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत की पत्नी अनुपमा भगत राजनीति में सक्रिय हैं
लोहरदगा के कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत की पत्नी अनुपमा भगत राजनीति में सक्रिय हैं। वह लोहरदगा नगर पर्षद की अध्यक्ष हैं। इस नाते वह सार्वजनिक जीवन में हैं। इन दिनों उनका अधिकांश समय अपने पति के लिए चुनाव प्रचार करने में बीत रहा है। वह अपने विश्वस्त सहयोगियों के साथ जनसंपर्क कर रही हैं और खास कर उन मुहल्लों में जा रही हैं, जहां अधिकतर गृहिणियां हैं। अनुपमा भगत का प्रचार अभियान सुबह ही शुरू हो जाता है। घर के पुरुषों के काम पर चले जाने के बाद वह महिलाओं से मिलती हैं। इसके अलावा वह रास्ते में मिलने वाले हरेक शख्स से हाथ जोड़ कर अपने पति के पक्ष में वोट देने की अपील करती हैं। सुखदेव भगत के पुत्र अभिनव सिद्धार्थ युवा कांग्रेस के महासचिव हैं। वह भी अपनी पार्टी के लिए लगातार जनसंपर्क में जुटे हैं। जहां उनके पिता नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहां अभिनव अपने साथियों के साथ पहुंचते हैं और लोगों को पंजा छाप में वोट देने की अपील कर रहे हैं।
झारखंड का चुनावी रण हुआ रोचक
गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से आजसू के उम्मीदवार चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी वैसे तो स्कूल शिक्षिका हैं और रामगढ़ जिले में पदस्थापित हैं, लेकिन उन्होंने अपने पति के प्रचार अभियान की कमान बखूबी संभाल रखी है। गिरिडीह संसदीय क्षेत्र उनके लिए अंजान नहीं है। वह अपने पति की जीत सुनिश्चित करने के लिए लगातार लोगों से संपर्क कर रही हैं। स्थानीय भाषा में बात करने के कारण महिलाओं, खास कर ग्रामीण इलाके में उनकी खासी लोकप्रियता है। वह न केवल अपने पति का प्रचार करती हैं, बल्कि महिलाओं से घरेलू बातचीत भी करती हैं। इसलिए महिलाएं उनसे खासा लगाव महसूस करने लगी हैं। खास बात यह है कि एक बार सुनीता चौधरी से बात करने के बाद ग्रामीण महिलाएं इतना प्रभावित हो जा रही हैं कि वे खुद केला छाप का प्रचार करने लगती हैं।
इसी तरह गोड्डा संसदीय क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम भी अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिला कर प्रचार अभियान में जुटी हुई हैं। गोड्डा में 19 मई को मतदान होना है और अभी वहां नामांकन भरने का काम भी शुरू नहीं हुआ है। लेकिन दुबे दंपति पिछले कई महीनों से जनसंपर्क में जुटा हुआ है। चाहे राजनीतिक कार्यक्रम हो या सामाजिक, धार्मिक आयोजन हो या कोई निजी समारोह, निशिकांत दुबे की परछाईं की तरह अनामिका गौतम साथ होती हैं। जब बात जनसंपर्क की आती है, तो अनामिका गौतम अपनी कुछ विश्वस्त सहयोगियों को साथ लेकर अलग-अलग मुहल्लों में निकलती हैं। नवयुवतियों के साथ कामकाजी महिलाओं में उनका अच्छा-खासा क्रेज है। अनामिका गौतम की खासियत यह है कि वह हर मुद्दे पर बातचीत करती हैं और अपने तर्कों से सामनेवाले को पूरी तरह संतुष्ट भी करती हैं। बेहद व्यवहार कुशल और मृदुभाषी अनामिका गौतम कड़ी धूप में भी अपने पति के लिए जनसंपर्क करने से नहीं चूकतीं।
इन तमाम उम्मीदवारों की चुनावी रणनीति का एक अहम हिस्सा उनकी पत्नियां हैं। चुनाव परिणाम क्या होगा, यह तो 23 मई को ही पता चल पायेगा, लेकिन इतना तय है कि इन महिलाओं ने झारखंड के चुनावी रण को अपनी वाकपटुता और अदम्य ऊर्जा से बेहद रोचक बना दिया है।
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