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महागठबंधन में अखिलेश के हिस्से आया 'जिला गाजियाबाद', क्या ढहा पाएंगे BJP का किला?

क्या है गाजियाबाद का सियासी गणित? क्या यहां भाजपा को चुनौती दे पाएंगे सपा मुखिया अखिलेश यादव? पढ़िए

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नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा ने सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करते हुए गुरुवार को अपने-अपने हिस्से में आई सीटों की एक संयुक्त सूची जारी कर दी। इस सूची के हिसाब से समाजवादी पार्टी यूपी की 37 और बहुजन समाज पार्टी 38 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। महागठबंधन में तीन सीटें राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी को दी गई हैं, जबकि अमेठी और रायबरेली को कांग्रेस के लिए छोड़ दिया गया है। अखिलेश यादव और मायावती के बीच हुए सीटों के समझौते में पश्चिमी यूपी की गाजियाबाद लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। गाजियाबाद सीट भाजपा का एक मजबूत गढ़ मानी जाती है। तो क्या सपा-बसपा और आरएलडी मिलकर इस सीट के समीकरण बदल पाएंगे?

क्या है गाजियाबाद में जीत के पुराने रिकॉर्ड

क्या है गाजियाबाद में जीत के पुराने रिकॉर्ड

नए परिसीमन के तहत गाजियाबाद लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई। इससे पहले यह हापहु-गाजियाबाद लोकसभा सीट कहलाती थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद सीट से वर्तमान गृह मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह चुनाव लड़े। राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल को 90681 वोटों के अंतर से हराया। इसके बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से वर्तमान केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह चुनाव लड़े और उन्होंने 567260 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की। इस सीट पर पिछले 30 सालों के चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो केवल 2004 के लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस नेता सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने जीत का परचम लहराया था। इससे पहले 1991, 1996, 1998 और 1999 तक लगातार चार बार यहां से भाजपा के रमेश चंद तोमर सांसद रहे। इन आंकड़ों के हिसाब से देखें तो गाजियाबाद लोकसभा सीट भाजपा का एक मजबूत गढ़ रही है। ऐसे में यहां महागठबंधन के सामने जीत दर्ज करना एक बड़ी चुनौती साबित होगा।

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जाति के समीकरण किसके पक्ष में?

जाति के समीकरण किसके पक्ष में?

अखिलेश यादव और मायावती ने यूपी की 75 सीटों का बंटवारा करते हुए जातीय समीकरणों का खास ध्यान रखा है। पहले चर्चा थी कि दोनों के बीच 'रनर अप' फॉर्मूले के तहत सीटों का बंटवारा होगा, लेकिन जारी हुई लिस्ट को देखें तो सपा-बसपा के बीच कुल 26 सीटों पर अदला-बदली हुई है। संकेत साफ हैं कि जातीय समीकरण को तरजीह देते हुए यह लिस्ट तैयार की गई है। गाजियाबाद सीट पर नजर डालें तो यहां करीब 27 लाख वोटर हैं। इनमें से ठाकुर, ब्राह्मण, वैश्य और त्यागी मतदाताओं की संख्या करीब 34 फीसदी है। वहीं अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या करीब 5 से 6 लाख और मुस्लिम वोट 3 से 4 लाख के करीब है। इनके अलावा ओबीसी मतदाताओं की संख्या यहां 35 फीसदी है, जिनमें जाट, गुर्जर और यादव आदि जातियां शामिल हैं। पिछले चुनावों के आंकड़ों को देखें तो यहां सवर्ण मतदाताओं का रुझान भाजपा के प्रति ही रहा है।

वो चेहरे, जिनपर दांव लगा सकती है सपा

वो चेहरे, जिनपर दांव लगा सकती है सपा

समाजवादी पार्टी के खाते में गाजियाबाद सीट आने के बाद पार्टी नेताओं के बीच उम्मीदवार के चेहरे को लेकर चर्चा तेज हो गई है। गाजियाबाद में सपा लोहिया वाहिनी के महानगर अध्यक्ष विक्रांत पंडित से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं की टीम एकजुट है और बेहद मजबूत है। उनका कहना है कि टिकट का फैसला शीर्ष नेतृत्व ही करेगा लेकिन जो नाम फिलहाल टिकट की दौड़ में चर्चाओं मे सबसे आगे हैं, उनमें- अभिषेक त्यागी, अभिषेक गर्ग, रामकिशोर अग्रवाल, राशिद मलिक और सुरेंद्र कुमार 'मुन्नी' का नाम है। विक्रांत शर्मा का कहना है कि कई दूसरे दलों के नेता भी हमारे पार्टी नेताओं के संपर्क में हैं, लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जिस चेहरे को उम्मीदवार के तौर पर उतारेंगे, पार्टी कार्यकर्ता मजबूती से उसे चुनाव लड़ाएंगे।

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English summary
Lok Sabha Elections 2019: In BJP Stronghold Ghaziabad, Samajwadi Party To field Alliance Candidate.
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