Loksabha Elections 2019: एयरस्ट्राइक के बाद मोदी सरकार की लोकप्रियता में जबरदस्त बढ़ोतरी, रोजगार जैसे मुद्दे पीछे छूटे- सर्वे
नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा के चयन के लिए चुनाव आयोग ने आम चुनावों की तारीख का ऐलान कर दिया है। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही इस बात पर चर्चा होने लगी है कि आखिर इस चुनाव में आम लोगों के लिए अहम मुद्दे क्या हैं। पिछले दिनों जिस तरह से पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने सख्त तेवर दिखाते हुए पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की उसके बाद से लगातार इस मुद्दे पर राजनीति हो रही है। इन तमाम शोरगुल के बीच आम लोगों से जुड़े कई अहम मुद्दे पीछे छूट गए हैं। सीवोटर-आईएएनएस के ओपीनियन ट्रैकर की मानें तो बेराजगारी जैसा बड़ा मुद्दा एयर स्ट्राइक के बाद पीछे छूट गया है और लोगों के बीच यह चुनावी मुद्दा नजर नहीं आ रहा है।
29 फीसदी लोगों का मानना राष्ट्रीय सुरक्षा बड़ा मुद्दा
इस वर्ष की शुरुआत में बेरोजगारी देश का सबसे बड़ा मुद्दा था, 29 फीसदी लोगों ने इस अहम मुद्दा बताया था। लेकिन 7 मार्च को हुए सर्वे में यह कम होकर 22 फीसदी पर आ गया है। वहीं इस वर्ष की शुरुआत में राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा अहम नहीं था और महज 2.6 फीसदी लोगों ने इस बड़ा मुद्दा बताया था। लेकिन पुलवामा आतंकी हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद पूरी तरह से राजनीतिक माहौल बदल गया है और 26 फीसदी लोग राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा मुद्दा मानते हैं।
इसे भी पढ़ें- कांग्रेस के 'चौकीदार चोर है' नारे का बीजेपी ऐसे देगी करारा जवाब, 6 लाख लोगों से की बात
रोजी-रोटी, रोजगार का मुद्दा पीछे छूटा
चुनाव विश्लेषक यशवंत देशमुख का कहना है कि हम शायद पहली बार ऐसा देख रहे हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को लोगों ने अहम मुद्दे जैसे रोजी-रोजी और बेरोजागरी को पीछे छोड़ दिया है। पिछले कुछ समय की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोदी सरकार की लोकप्रियता काफी बढ़ी, वहीं इससे उलट राहुल गांधी जिनकी छवि में बदलाव हो रहा था, उनकी लोकप्रियता में एयर स्ट्राइक के बाद एक बार फिर से गिरावट देखने को मिली है।
51 फीसदी लोग मोदी सरकार से संतुष्ट
7 मार्च को जो लोगों से जो राय ली गई उसमे 51 फीसदी लोगों का कहना है कि मोदी सरकार के कामकाज से बेहद संतुष्ट हैं। वहीं 1 जनवरी को लोगं से जब राय ली गई थी तो महज 36 फीसदी लोगों ने सरकार के कामकाज से संतुष्टि जाहिर की थी। चुनाव विश्लेषक यशवंत देशमुख का कहना है कि 1 जनवरी से 7 मार्च के बीच दो बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। पहला बड़ा टर्निंग प्वाइंट अंतरिम बजट था और दूसरा पुलवामा आतंकी हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक।
सुरक्षा के मुद्दे पर यूपीए सरकार से आगे निकली मोदी सरकार
पुलवामा आतंकी हमले के बाद जिस तरह से मौजूदा सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की उसने सरकार की स्थिति को मजबूत किया है। वहीं मनमोहन सरकार के दौरान 26/11 मुंबई हमले के बाद जिस तरह से पाक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं की गई उसने पूर्व की यूपीए सरकार को बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है। यशवंत देशमुख का कहना है कि मोदी सरकार ने सुरक्षा के मुद्दे पर बड़ी कार्रवाई करके यूपीए-1 और यूपीए-2 को कहीं पीछे छोड़ दिया है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इंदिरा गांधी के बाद पाकिस्तान के भीतर घुसकर कार्रवाई करने का आदेश सिर्फ मोदी सरकार ने ही दिया है।
राहुल की लोकप्रियता में गिरावट
इस वर्ष की शुरुआत में राहुल गांधी की लोकप्रियता में काफी हद तक बढ़ोतरी देखने को मिली थी और उनके पक्ष में 23 फीसदी लोगों ने वोट किया। लेकिन पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक ने राहुल की लोकप्रियता गिरी है और वह अब महज 8 फीसदी पर आ गई है। बहरहाल देखने वाली बात है कि जब पहले चरण का मतदान होगा उस वक्त तक लोगों के मूड और राजनीतिक परिदृश्य में क्या बदलाव देखने को मिलता है।