रामपुर में बहस जयप्रदा पर नहीं, आज़म के जीत के अंतर पर है
नई दिल्ली। आज़म ख़ां पर लगे 72 घंटे के बैन के दरमियान रामपुर में चुनाव प्रचार का जिम्मा उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म ख़ां ने संभाला था। बुधवार की शाम ईदगाह चौराहे पर उनकी एक सभा थी, जिसके लिए 7.30 का वक्त तय था। हालांकि आंधी और बारिश के कारण जब टेंट उखड़ गए, कुर्सियां बिखर गईं तो लगा शायद ये सभा रदृ हो जाए। उसी शाम शहर में जयप्रदा के बेटे की एक पब्लिक मीटिंग थी और वो रदृ हो चुकी थी।
आज़म ख़ां की गिनती समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में होती है। वो रामपुर शहर से 9 बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं और पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। आज़म खां की रामपुर में विकासपुरुष की हैसियत है, शहर में विकास के जितने भी पत्थर हैं, उन पर उन्हीं का नाम खुदा है। शहरी इलाके के ज्यादातर वोटरों की राय है कि ये चुनाव एकतरफा है और यहां बहस जयप्रदा की जीत पर नहीं बल्कि आज़म खां के जीत के अंतर पर है।
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मुस्लिम उम्मीदवारों का रहा है रामपुर में दबदबा
रामपुर हिंदुस्तान की उन चुनिंदा सीटों में से है, जिन्हें मुस्लिम बाहुल्य माना जाता है। 1952 से लेकर 2014 तक हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस यहां 10 बार जीत दर्ज कर चुकी है, जिनमें 4 बार कांग्रेस के टिकट पर रामपुर के नवाब ज़ुल्फिकार अली खां और दो बार उनकी बीवी बेग़म नूर बानों चुनाव जीत चुकी हैं। 1977 में यहां भारतीय लोकदल के टिकट पर जीतने वाले राजेंद्र कुमार शर्मा पहले गैर मुस्लिम कैंडिडेट रहे। 1991 में दोबारा उन्होंने ही बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता था।
बीजेपी
रामपुर
में
1998
और
2014
में
चुनाव
जीत
चुकी
है।
1998
में
बीजेपी
नेता
मुख्त़ार
अब्बार
नक़वी
ने
कांग्रेस
की
कैंडिडेट
बेग़म
नूर
बानो
को
हराया
था।
2014
में
बीजेपी
के
टिकट
पर
नेपाल
सिंह
ने
लोकसभा
चुनाव
जीता
था,
हालांकि
उस
चुनाव
में
उनके
ख़िलाफ़
सपा,
बसपा
और
कांग्रेस
तीनों
ही
पार्टियों
ने
मुस्लिम
कैंडिडेट्स
दिए
थे।
नेपाल
सिंह
की
जीत
का
अंतर
भी
50
हजार
से
कम
वोटों
का
था।
समाजवादी
पार्टी
ने
रामपुर
से
दो
बार
चुनाव
जीता
है
और
दोनों
बार
ही
उसकी
उम्मीदवार
जयप्रदा
रही
हैं,
जो
कि
इस
बार
बीजेपी
की
उम्मीदवार
हैं।
कांग्रेस
ने
इस
बार
संजय
कपूर
को
टिकट
दिया
है।
आज़म खां के पक्ष में है वोटों का समीकरण
रामपुर में टाइल्स का कारोबार करने वाले नादिर मियां कहते हैं कि इस बार आज़म खां ही जीतेंगे, रामपुर का वोटर पिछली ग़लती नहीं दोहराने वाला। रामपुर लोकसभा क्षेत्र में 16 लाख से ज्यादा वोटर हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक जिले में लगभग 51 फीसदी मुस्लिम आबादी है और 45 फीसदी हिंदू। ऐसे में वोटों का समीकरण आज़म खां के पक्ष में है। शहर के वोटर महफ़ूज मियां ने बताया कि ये चुनाव हिंदू बनाम मुस्लिम नहीं बल्कि विकास के मसले पर है। मोदी सरकार की नोटबंदी योजना से कारोबार का नुकसान हुआ है।
स्थानीय भाजपा नेता वेदप्रकाश आहुजा का कहना है कि जयप्रदा की रामपुर के ग्रामीण इलाकों में पकड़ है, शहर में ज्यादा कामकाज आज़म ख़ां का ही है. जयप्रदा ने गांवों में जो काम किया है, उसका उन्हें फायदा होगा. मुस्लिम जयाप्रदा को वोट देंगे या नहीं इस सवाल पर बीजेपी के एक मुस्लिम नेता कैमरे पर तो कहते हैं कि उन्हें एक से डेढ़ लाख वोट मिलेंगे, कैमरा हटते ही कहते हैं कि बीजेपी को 20 से 25 हजार मुस्लिम वोट ही मिल पाएंगे।
जयाप्रदा कांग्रेस के टिकट पर खड़ी होती तो?
रामुपर
में
रेलवे
टिकट
बुकिंग
का
बिजनेस
करने
वाले
एक
युवा
आशु
अली
कहते
हैं
कि
जयप्रदा
कैंडिडेट
ठीक
हैं,
मगर
उन्होंने
पार्टी
ठीक
नहीं
चुनी।
बीजेपी
के
बजाय
वो
कांग्रेस
के
टिकट
पर
खड़ी
होती
तो
आज़म
ख़ां
को
टक्कर
दे
सकती
थीं।
रामपुर
की
मशहूर
रज़ा
लाइब्रेरी
के
सामने
खड़े
एक
ई-रिक्शा
चलाने
वाले
बुजूर्ग
से
भी
कहते
हैं
कि
जयप्रदा
कांग्रेस
के
टिकट
पर
खड़ी
होती
तो
जीत
जातीं।बहरहाल
ईदगाह
चौराहे
पर
अब्दुल्ला
आज़म
ख़ां
जब
बारिश
भींगते
हुए
जनसभा
को
संबोधित
कर
रहे
होते
हैं
तो
मेरे
बगल
में
खड़े
एक
बुजूर्ग
कहते
हैं
कि
लड़का
बोल
अच्छा
रिया
है,
आज़म
साहब
की
कमी
नहीं
लग
रही।
(अवनीश
पाठक
पत्रकार
व
राजनीतिक
विश्लेषक
हैं.
इन
दिनों
वो
उत्तर
प्रदेश
और
बिहार
के
चुनावी
दौरे
पर
हैं.)