SP-BSP महागठबंधन बनते ही कांग्रेस को झटका, पूर्व विधायक BSP में शामिल
मायावती पर टिकट के बदले 5 करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाने वाले नेता ने कांग्रेस छोड़ BSP का दामन थाम लिया है।
नई दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन का ऐलान होते ही यूपी के सियासी समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। महागठबंधन में कांग्रेस को शामिल ना किए जाने के बाद पार्टी ने ऐलान किया है कि वह यूपी में सभी 80 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी। इस बीच यूपी की गाजियाबाद सीट पर कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। गाजियाबाद में पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा कांग्रेस छोड़ बीएसपी में शामिल हो गए हैं। अमरपाल शर्मा को महागठबंधन से गाजियाबाद लोकसभा सीट के एक प्रबल दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है।
कौन हैं अमरपाल शर्मा?
अमरपाल शर्मा 2012 के विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद की साहिबाबाद विधानसभा सीट से भाजपा के सुनील शर्मा को हराकर बसपा के टिकट पर विधायक का चुनाव जीते थे। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से बाहर निकाल दिया था। उस समय अमरपाल शर्मा ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर टिकट के बदले 5 करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाया था। हालांकि बसपा में शामिल होते समय अमरपाल शर्मा ने कहा कि उन्होंने मायावती पर कोई आरोप नहीं लगाया। 2017 के विधानसभा चुनाव में अमरपाल शर्मा कांग्रेस के टिकट पर साहिबाबाद से चुनाव लड़े लेकिन हार गए। अमरपाल शर्मा पर गाजियाबाद के खोड़ा में भाजपा नेता गजेंद्र भाटी उर्फ गज्जी की हत्या का भी आरोप है। बसपा में शामिल होते हुए अमरपाल शर्मा ने कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए।
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क्या है गाजियाबाद का गणित?
गाजियाबाद के जातीय समीकरणों को देखते हुए अमरपाल शर्मा को लोकसभा टिकट के प्रबल दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है। गाजियाबाद लोकसभा सीट पर करीब 1.5 से 2 लाख ब्राह्मण मतदाता हैं। वहीं अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या करीब 5 से 6 लाख और मुस्लिम वोट 3 से 4 लाख के करीब है। ऐसे में ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगाना बसपा के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। हालांकि बसपा के टिकट दावदारों की सूची में गाजियाबाद शहर सीट से पूर्व विधायक सुरेश बंसल का नाम भी सुर्खियों में है। सुरेश बंसल 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान में यूपी के मंत्री अतुल गर्ग को हराकर विधायक बने थे। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
किसके खाते में गाजियाबाद सीट
दरअसल सियासी गलियारों में चर्चा है कि यूपी की गाजियाबाद लोकसभा सीट महागठबंधन में बीएसपी के खाते में जा सकती है। इसकी वजह यह है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में गाजियााबाद सीट पर बीएसपी तीसरे नंबर पर रही थी, जबकि समाजवादी पार्टी चौथे नंबर पर। महागठबंधऩ में सपा-बसपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर माना जा रहा है कि यूपी में जहां जिस पार्टी को ज्यादा वोट मिले, वो सीट उस पार्टी के खाते में जाएगी। ऐसे में गाजियाबाद सीट पर बसपा अपना उम्मीदवार उतार सकती है। गाजियाबाद लोकसभा सीट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है और 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां दूसरे नंबर पर रही थी।
2014 में किस पार्टी को मिले कितने वोट
आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद सीट पर भाजपा उम्मीदवार और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने रिकॉर्ड 567260 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। जनरल वीके सिंह ने 758482 वोट हासिल कर कांग्रेस उम्मीदवार और वर्तमान में यूपी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर (191222 वोट) को हराया था। वहीं, बसपा उम्मीदवार मुकुल उपाध्याय को 173085 और सपा के सुधन रावत को 106984 वोट मिले थे। वोटों के इस गणित पर नजर डालें तो महागठबंधन के बाद भी गाजियाबाद में भाजपा मजबूत स्थिति में है। बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में ही महागठबंधन की ओर से प्रत्याशी के नाम का ऐलान हो सकता है।
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