लोकसभा चुनाव 2019: कांग्रेस को कटिहार सीट मिलने की इनसाइड स्टोरी
पटना। कांग्रेस और राजद में अंदर ही अंदर जबर्दस्त उठापटक चल रही है। मोहब्बत के लबादे में अदावत के खंजर भोंके जा रहे हैं। रविवार को तकरार इतनी बढ़ गयी थी महागठबंधन टूटने की स्थिति में पहुंच गया था। जिस तरह से कांग्रेस ने कटिहार सीट हासिल की वो किसी राजनीतिक घात-प्रतिघात की हैरंतअंगेज कहानी है। इस पोलिटिकल थ्रिलर की इनसाइड स्टोरी कुछ यूं है।
लालू के रवैये से उपजा असंतोष
लालू प्रसाद ने सीट बंटवारे में जिस तरह कांग्रेस के साथ बेगानों जैसा सलूक किया उससे राहुल गांधी नाखुश थे। राहुल गांधी ने शुरू में बिहार कांग्रेस के नेताओं को 14 सीटों पर दावा करने के लिए कहा था। तोलमोल के बाद कांग्रेसे को 11 सीट देने पर चर्चा हुई। लेकिन लालू ने कांग्रेस को 11 की जगह नौ सीट ही दिये। इसके बाद भी लालू के के इशारे पर तेजस्वी कांग्रेस को झुकाते चले गये। तेजस्वी कांग्रेस की अनदेखी और वीआइपी पार्टी के नये नवेले नेता मुकेश सहनी पर मेहरबान हो रहे थे। मुकेश सहनी की नजर कटिहार सीट पर थी। तेजस्वी ने कांग्रेस पर दबाव बनाया कि तारिक अनवर कटिहार छोड़ कर किशनगंज चले जाएं। बिहार कांग्रेस के नेता तेजस्वी के दबाव में आ भी गये। तारिक अनवर से पूछा गया। वे हत्थे से उखड़ गये। उन्होंने कहा कि वे लड़ेंगे तो सिर्फ कटिहार से। मैं यहां से पांच बार सांसद रह चुका हूं, और यह मेरी सिटिंग सीट है, फिर क्यों दूसरी जगह जाऊं ? बात राहुल गांधी तक पहुंची।
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घात पर कांग्रेस का प्रतिघात
राहुल गांधी, लालू के रवैये से पहले ही नाखुश थे। कटिहार सीट पर राजद की हठधर्मिता पर उन्होंने सख्त रवैया अपनाने का फैसला लिया। रविवार को दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक से पहले की यह तय कर लिया गया कि मीटिंग में किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार सीट पर एकतरफा उम्मीदवार तय कर दिये जाएंगे। राजद को अपने कांग्रेस सूत्रों के हवाले जब ये बात मालूम हुई तो उसके होश उड़ गये। अभी तक राजद, कांग्रेस को दब्बू समझ रहा था। पहली बार राजद को महागठबंधन के टूटने का डर हुआ। राजद ने आनन-फानन में कांग्रेस को संयुक्त प्रेस वार्ता के लिए संदेश भेजा। बिहार कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता दिल्ली में थे। कांग्रेस ने कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद प्रेस वार्ता होगी। राजद अब समझौते पर राजी हो गया। उसके बाद दिल्ली से कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने पटना में बैठे प्रदेश प्रवक्ता डॉ. हरखू झा को टोलीफोन किया । हरखू झा को कहा गया कि वे राजद के संयुक्त प्रेस वार्ता में जाएं और बताएं कि किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार सीट कांग्रेस को मिली है। चूंकि राजद को अचनाक प्रेस वार्ता के लिए मजबूर होना पड़ा इस लिए अफरा-तफरी हो गयी। कांग्रेस और राजद के नेता बिना किसी तैयारी के आये थे इस लिए वे मीडिया के सवालों से घबराते भी रहे।
अगले फेज के चुनावों में भी हो सकती है तनातनी
कांग्रेस और राजद में सीटों की संख्या भले फाइनल हो गयी है लेकिन कौन कहां से लड़ेगा, ये तय नहीं हुआ है। कुछ सीटों को दोनों दल अपना-अपना बता रहे हैं। झारखंड में कांग्रेस का राजद से गठबंधन लगभग टूट ही गया है। राजद, झारखंड का खुन्नस बिहार में निकाल सकता है। अगर झारखंड के झगड़े की आग बिहार तक पहुंची तो महागठबंधन का आशियाना तबाह हो सकता है। दरभंगा, मधुबनी और बेतिया सीट फिर ठकराव हो सकता है। दरंभागा सीट तो राजद अपना मान रहा है। अब्दुल बारी सिद्दीकी का नाम फाइनल है। दूसरी तरफ कांग्रेस में गये कीर्ति आजाद भी खुद को यहां से उम्मीदवार मान रहे हैं। पहले फेज के चुनाव के बाद अदावत की ये आग और भड़केगी।
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