पश्चिम बंगाल की चुनावी हिंसा पर EC का बड़ा फैसला, भेजी सुरक्षाबलों की 578 कंपनियां
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के दौरान पश्चिम बंगाल (West Bengal) में हिंसा की खबरें आती रही हैं। चौथे चरण के मतदान के दौरान बीजेपी ने सभी पोलिंग बूथ पर केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती की मांग की थी। चुनाव आयोग ने इस पर कार्रवाई करते हुए 5वें चरण में मतदान के दौरान सभी पश्चिम बंगाल के सभी पोलिंग स्टेशनों पर केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती को मंजूरी दे दी है। चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक, मतदान केंद्र पर पोलिंग वाले कमरे में ना तो पश्चिम बंगाल पुलिस और ना ही केंद्रीय बलों को जाने की अनुमति होगी।
केंद्रीय सुरक्षा बलों की 578 कंपनियां तैनात
5वें चरण में वोटिंग के दौरान बूथ पर पोलिंग वाले कमरे में बंगाल पुलिस और सुरक्षाबलों को जाने की अनुमति नहीं होगी जब तक पीठासीन अधिकारी द्वारा ना बुलाया जाए। पांचवें चरण में मतदान के लिए केंद्रीय सुरक्षाबलों की 578 कंपनियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा किसी भी स्थिति से निपटने के लिए 142 क्विक रिसपॉन्स टीम को भी रिजर्व में रखा गया है।
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142 क्विक रिस्पॉन्स टीम को भी रिजर्व रखा जाएगा
बता दें कि चौथे चरण के मतदान के दौरान भी पश्चिम बंगाल में हिंसा की खबरें आई थी। आसनसोल में कुछ पोलिंग बूथों पर केंद्रीय बलों की तैनाती नहीं की गई थी जिसको लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जाहिर की थी। इस पोलिंग बूथ पर टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए थे, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। वहीं, आसनसोल में बीजेपी उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो की कार में तोड़फोड़ की गई थी। टीएमसी कार्यकर्ताओं और सुरक्षाबलों के बीच आसनसोल में बूथ नंबर पर 199 पर भी धक्का-मुक्की हुई। काफी देर तक सुरक्षाबलों और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच नोंकझोंक होती रही।
पश्चिम बंगाल में मतदान के दौरान हिंसा के बाद चुनाव आयोग सख्त
बाबुल सुप्रियो ने मांग की थी कि सभी पोलिंग बूथ पर केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती की जाए ताकि लोग वोट कर सकें। उन्होंने ममता बनर्जी की सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। बीजेपी ने बंगाल में मतदान के दौरान हिंसा को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत की थी और मांग की थी कि सभी पोलिंग बूथों पर केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती की जाए। बता दें कि बंगाल में लोकसभा चुनाव के सभी चार चरणों में हिंसा की खबरें आई हैं जिसको लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठ रहे हैं।