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क्या साध्वी प्रज्ञा की बाइक मालेगांव ब्लास्ट में हुई थी इस्तेमाल, क्या कहती है NIA, ATS की चार्जशीट?

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नई दिल्ली- भोपाल से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2008 के मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी हैं। उस धमाके में 6 लोग मारे गए थे। इस मामले में अभी उनके खिलाफ मुंबई के एक कोर्ट में अनलॉफुल एक्टिविटिज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत कठोर धाराओं में मुकदमा चल रहा है। वो फिलहाल जमानत पर हैं। मालेगांव के अलावा कई और मामलों की जांच में भी उनका नाम सामने आया था, जिसमें कथित तौर पर हिंदुवादी संगठनों का हाथ बताया जाता है। मालेगांव केस में एक बात अबतक दो एजेंसियों की जांच में सामने आई है कि धमाके में इस्तेमाल हुई बाइक उन्हीं के नाम पर रजिस्टर्ड थी। लेकिन, वो धमाके में या धमाके की साजिश रचने में शामिल थीं या नहीं इसपर कोर्ट में अभी ट्रायल चल रही है। अलबत्ता एनआईए (NIA) ने अपनी जांच में उन्हें क्लीन चिट दी हुई है।

महाराष्ट्र एटीएस (ATS) का दावा

महाराष्ट्र एटीएस (ATS) का दावा

महाराष्ट्र एटीएस (ATS) ने 20 जनवरी, 2009 को दायर की गई अपनी चार्जशीट में मालेगांव धमाके में प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ उनकी बाइक (LML Freedom ) को अहम सबूत बताया था। इस चार्जशीट के मुताबिक ठाकुर ने अपने दो नजीदीकियों को बम प्लांट करने के लिए अपनी बाइक इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। उनमें से एक आरोपी पहले से ही उनकी बाइक उपयोग कर रहा था। इसके अलावा एटीएस (ATS) ने दो और आरोपियों मेजर रमेश उपाध्याय और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के बीच उनको लेकर हुई बातचीत को भी बड़ा सबूत माना था। एटीएस ने आरएसएस के एक सदस्य यशपाल भड़ाना के बयान को भी बड़ा सबूत माना था, जिसमें उसने 11 अप्रैल, 2008 को भोपाल में कथित साजिश को लेकर हुई बैठक की बात कही थी। दावे के मुताबिक उस बैठक में साध्वी ने कहां था, "वह काम के लिए लोगों को ऐरेंज करेंगी।" इस केस में उनकी गिरफ्तारी 24 अक्टूबर, 2008 को हुई थी। हालांकि महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी जांच में कई धमाकों की बड़ी साजिश (हिंदु संगठनों द्वारा) में कई बार उनका नाम आने का दावा किया था, लेकिन चार्जशीट सिर्फ 2008 के मालेगांव धमाके में ही दायर की थी, जिसमें उनकी बाइक का इस्तेमाल होने की बात सामने आई थी। गौरतलब है कि प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी के लगभग महीने भर बाद ही एटीएस चीफ हेमंत करकरे 26 नवंबर, 2008 को मुंबई हमले के दौरान पाकिस्तानी आतंकवादियों के अटैक में मारे गए थे।

एनआईए (NIA) का दावा

एनआईए (NIA) का दावा

13 अप्रैल, 2011 को यह केस केंद्र सरकार ने एनआईए (NIA) को सौंप दिया, जिसने 2016 में इसमें अपनी चार्जशीट दायर की। उस चार्जशीट में एनआईए (NIA) ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। उसने कर्नल पुरोहित पर मुकदमा चलाने की बात तो कही, लेकिन यह भी जोड़ा की सबूत कमजोर हैं। उसने सभी आरोपियों से महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA)के तहत आरोप हटा लिए और तत्कालीन एटीएस चीफ हेमंत करकरे की जांच को भी गलत बताया। हालांकि, इससे पहले एनआईए की स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रोहिणी सलैन ने एजेंसी पर धीरे बढ़ने का दबाव डालने का भी आरोप लगाया। अपनी चार्जशीट में एनआईए (NIA) ने कहा कि बाइक ठाकुर के नाम पर तो थी, लेकिन उसका इस्तेमाल दूसरा आरोपी धमाके से दो साल पहले से ही कर रहा था। गवाहों का हवाला देकर एजेंसी ने कहा कि बाइक की मरम्मत और देखभाल का खर्चा भी वही उठा रहा था। एनआईए (NIA) ने ये भी कहा कि प्रज्ञा साजिश में शामिल थीं, इसको लेकर जितने भी बयान एटीएस (ATS) ने रिकॉर्ड किए थे, वह मैजिस्ट्रेट के सामने (धारा 164 CrPC) नहीं लिए गए थे। सारे बयान मकोका (MCOCA) के तहत पुलिस अफसरों के सामने लिए गए थे। एनआईए ने कहा कि मकोका (MCOCA) हटा लिया गया है, इसलिए उसके तहत लिए गए सारे बयान का कोई कानूनी आधार नहीं रह जाता।

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क्या है कानूनी स्थिति?

क्या है कानूनी स्थिति?

एनआईए (NIA) की चार्जशीट के आधार पर एनआईए (NIA) की स्पेशल कोर्ट ने साध्वी ठाकुर को जमानत दे दी। हालांकि, दिसंबर 2017 के आदेश में अदालत ने प्रज्ञा की ओर से इस मुकदमे से बरी किए जाने की मांग को खारिज करते हुए पुरोहित और साध्वी दोनों को अनलॉफुल एक्टिविटिज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत केस चलाने को कहा। अक्टूबर 2018 में कोर्ट ने ठाकुर और 6 बाकी आरोपियों के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटिज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) की धारा 16 (आतंकवादी वारदात) एवं धारा 18 ( आतंकी वारदात की साजिश रचने) और आईपीसी (IPC) का धाराओं, जैसे- हत्या, आपराधिक साजिश और समुदायों के बीच दुश्मनी बढ़ाने की धाराओं में आरोप तय कर दिया। इस केस में अभी ट्रायल जारी है।

बाकी मामलों में क्या है स्थिति?

बाकी मामलों में क्या है स्थिति?

मालेगांव धमाके के अलावा साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम कई और मामलों से जुड़ा था। इसमें 2006 के सुनील जोशी हत्याकांड में मध्य प्रदेश की देवास कोर्ट से फरवरी 2017 में सभी आरोपी बरी हो चुके हैं। 2007 के अजमेर दरगाह ब्लास्ट केस में राजस्थान एटीएस ने प्रज्ञा को भी साजिश का आरोपी बनाया था। एनआईए (NIA) ने इस मामले में प्रज्ञा के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट फाइल किया है।

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English summary
lok sabha elections 2019: case against BJP candidate Sadhvi Pragya
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