मायावती ने राम नवमी को लेकर किया ट्वीट, 'अली-बजरंग बली' पर कही बड़ी बात
बसपा सुप्रीमा मायावती ने राम नवमी के अवसर पर शुभकामनाएं देने का ट्वीट करते हुए बड़ा बयान दिया है।
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियों के बीच देशभर में आज रामनवमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने राम नवमी के अवसर पर बिना नाम लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए बड़ा बयान दिया है। मायावती ने शनिवार को ट्वीट करते हुए कहा, 'रामनवमी की देश व प्रदेशवासियों को बधाई व शुभकामनाए तथा उनके जीवन में सुख व शान्ति की कुदरत से प्रार्थना। ऐसे समय में जब लोग श्रीराम के आदर्शों का स्मरण कर रहे हैं तब चुनावी स्वार्थ हेतु बजरंग बली व अली का विवाद व टकराव पैदा करने वाली सत्ताधारी ताकतों से सावधान रहना है।'
'अली-बजरंगबली पर मिला नोटिस'
आपको बता दें कि हाल ही में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मेरठ में आयोजित चुनावी रैली में बयान दिया था कि अगर कांग्रेस-बीएसपी और एसपी को 'अली' पर विश्वास है तो हमें भी बजरंगबली पर भरोसा है। योगी आदित्यनाथ के इस बयान को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा। वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती को देवबंद की रैली में धर्म के आधार पर वोट मांगने का बयान देने पर चुनाव आयोग नोटिस दे चुका है। योगी आदित्यनाथ को इससे पहले उनके उस बयान पर भी चुनाव आयोग का नोटिस मिला था, जिसमें उन्होंने गाजियाबाद की रैली में भारतीय सेना को मोदी की सेना बताया था।
ट्वीट पर भाजपा पर निशाना
गौरतलब है कि मायावती ट्विटर पर आने के बाद से लगातार भाजपा और मोदी सरकार पर ट्वीट कर निशाना साधती रहती हैं। जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी पर मायावती ने ट्वीट कर कहा, 'जलियांवाला बाग त्रासदी के आज 100 वर्ष पूरे हो गए। आजादी के लिए अपने प्राण की आहूति देने वाले शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित एवं उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना। काश भारत सरकार इस अति-दुःखद घटना के लिए ब्रिटिश सरकार से माफी मंगवाकर देश को संतोष दिलाने में सफल हो पाती।'
'ईवीएम से चुनाव जीतना चाहती है भाजपा'
वहीं, मायावती ने लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद शुक्रवार को ट्वीट कर भाजपा पर निशाना साथा। मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा, 'सत्ताधारी बीजेपी को इस लोकसभा चुनाव में आम जनता द्वारा बुरी तरह से नकारे जाने का ही परिणाम है कि अब बीजेपी वोट से नहीं बल्कि नोटों से, ईवीएम की धांधली से, पुलिस/प्रशासन तंत्र के दुरुपयोग से और ईवीएम में चुनाव कर्मचारियों से ही बटन दबवाकर आदि धांधलियों से चुनाव जीतना चाहती है। यदि देश के लोकतंत्र में आम जनता की आस्था को बचाए रखना है तो फिर चुनाव आयोग की यह संवैधानिक जिम्मेदारी बनती है कि वह इन बातों को गंभीरतापूर्वक संज्ञान ले और तत्काल आवश्यक उपाय करे ताकि अगले सभी चरण के चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष हो सकें।'