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अखिलेश से गठबंधन के बाद अब मायावती का ये दांव BJP को कर देगा परेशान

अखिलेश यादव के साथ महागठबंधन बनाने के बाद अब मायावती एक और बड़ा दांव चलने के मूड में हैं।

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नई दिल्ली। 2019 के चुनावी महासंग्राम को लेकर सियासी दलों ने अपने-अपने दांव लगाने शुरू कर दिए हैं। माना जा रहा है कि मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग अगले कुछ ही दिनों में चुनावी तारीखों का ऐलान कर सकता है। इस बीच केंद्र की सत्ता के लिए बेहद अहम माने जाने वाले और देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल भी लगातार करवट बदल रहा है। यूपी में सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ मिलकर महागठबंधन बनाने के बाद अब बसपा सुप्रीमो मायावती एक और नया दांव चलने के मूड में हैं। अपने इस दांव के जरिए मायावती भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में मुश्किल खड़ी कर सकती हैं।

क्या है मायावती का नया दांव?

क्या है मायावती का नया दांव?

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ महागठबंधन का गणित बिठाने के बाद अब मायावती उत्तर प्रदेश में एक बार फिर जाति का कार्ड खेलने जा रही हैं। खबर है कि महागठबंधन में यूपी की 80 में से 38 सीटें मिलने के बाद मायावती ने बीएसपी के ज्यादातर टिकट ब्राह्मण समाज के लोगों को दिए हैं। साथ ही खबर यह भी है कि इस बात की संभावना बेहद कम है कि मायावती खुद यूपी की किसी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ें। मायावती ने बसपा के हिस्से में आई सीटों पर किसी भी अन्य जाति की तुलना में ब्राह्मणों को सबसे ज्यादा टिकट दिए हैं। माना जा रहा है कि मायावती अपनी इस रणनीति के जरिए भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को झटका देने की तैयारी में हैं।

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2007 का समीकरण बनाने की कोशिश में मायावती

2007 का समीकरण बनाने की कोशिश में मायावती

दरअसल, मायावती यूपी में एक बार फिर से 2007 के विधानसभा चुनावों का परिणाम दोहराने की कोशिश में नजर आ रही हैं। 2007 के विधानसभा चुनावों में मायावती ने दलित-ब्राह्मण समीकरण के जरिए यूपी में जीत का परचम लहराया और प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। खबर है कि बहुजन समाज पार्टी को मिली 38 लोकसभा सीटों में से ज्यादातर पर मायावती टिकट फाइनल कर चुकी हैं। बसपा के थिंक टैंक का मानना है कि यूपी में दलित-मुस्लिम और समाजवादी पार्टी के ओबीसी वोटों के साथ अगर उसे ब्राह्मण समाज के वोट मिल जाएं तो वो भाजपा और कांग्रेस पर बढ़त हासिल कर सकती है। सियासी जानकारों का मानना है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों और ठाकुरों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है, हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में यह लड़ाई पीछे छूट गई थी, लेकिन अब मायावती आगामी चुनाव में इसे फिर से भुनाने की उम्मीद में हैं।

ये नाम हो चुके हैं फाइनल!

ये नाम हो चुके हैं फाइनल!

यूपी में बसपा की सीटों पर मायावती की तरफ से जिन उम्मीदवारों के नाम लगभग फाइनल हो चुके हैं, उनमें- अंबेडकरनगर से राकेश पांडे, सीतापुर से नकुल दूबे, खलीलाबाद से कुशल तिवारी, फतेहपुर सीकरी से सीमा उपाध्याय, कैसरगंज से संतोष तिवारी, भदोही से रंगनाथ मिश्रा, प्रतापगढ़ से अशोक तिवारी और मऊ लोकसभा सीट से अजय राय (भूमिहार ब्राह्मण) के नाम शामिल हैं। बताया जा रहा है कि अकेले पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही बहुजन समाज पार्टी छह ब्राह्मण चेहरे चुनाव मैदान में उतारेगी। इससे पहले मायावती ने बीते रविवार को अपनी पार्टी के कॉर्डिनेटर्स, जोनल प्रमुख, विधायकों, राज्यसभा सांसदों और पूर्व सांसदों से मुलाकात कर आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति के बारे में बताया। मायावती ने अपने तीन घंटे के लंबे भाषण में बीएसपी के संगठन को दो जोन में बांटते हुए, हर तीन डिविजन पर को-ऑर्डिनेटर्स की नियुक्ति की।

पहले ही हो चुका है सीटों का बंटवारा

पहले ही हो चुका है सीटों का बंटवारा

आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच महागठबंधन हुआ है। इस महागठबंधन के तहत बसपा को 38, सपा को 37 और आरएलडी को तीन सीटें दी गई हैं। कांग्रेस को महागठबंधन में जगह तो नहीं दी गई है, लेकिन अमेठी और रायबरेली सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी गईं हैं। हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर यह भी है कि वर्तमान राजनीतिक हालातों को देखते हुए कांग्रेस को महागठबंधन में शामिल करने को लेकर एक बार फिर से विचार किया जा रहा है।

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English summary
Lok Sabha Elections 2019: BSP Chief Mayawati To Play Caste Card Once Again In Uttar Pradesh.
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