होर्डिंग में फोटो को लेकर मायावती ने अपने नेताओं को जारी किया खास फरमान
यूपी में सीटों का बंटवारा तय होते ही मायावती ने अपने नेताओं के लिए एक खास फरमान जारी किया है।
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीतियां बनाने में जुट गई हैं। यूपी में महागठबंधन बनने के बाद अब सियासी निगाहें पूरी तरह से देश के इस सबसे बड़े प्रदेश पर टिकी हुई हैं। मंगलवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति के तहत पार्टी के नेताओं को एक खास फरमान जारी किया। 'होर्डिंग में फोटो' लगाने से संबंधित इस फरमान का बीएसपी के नेताओं से अनिवार्य तौर पर पालन करने के लिए भी कहा गया है। बहुजन समाज पार्टी के एमएलसी और हाल ही में नियुक्त किए गए मंडल-जोन इंचार्ज भीमराव अंबेडकर ने पार्टी नेताओं को इस नए निर्देश की जानकारी दी है।
ना मानने वालों पर होगी कार्रवाई
सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ बने महागठबंधन में सीटों का बंटवारा तय होने के बाद चुनाव की रणनीति बनाने में जुटी मायावती ने अब एक खास फरमान जारी करते हुए कहा है कि पार्टी का कोई भी प्रत्याशी या नेता, होर्डिंग या बैनर पर बसपा अध्यक्ष के बराबर साइज की अपनी फोटो नहीं लगाएगा। बहुजन समाज पार्टी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि पार्टी के प्रत्याशियों को होर्डिंग लगाने से पहले मंडल प्रभारियों से स्वीकृति लेनी होगी। बसपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के सामने ऐसे कुछ मामले आए हैं, जहां नेताओं ने होर्डिंग में अपनी फोटो महापुरुषों या मायावती के फोटो के बराबर या उनसे भी बड़े साइज की लगाई थी। आदेश में कहा गया है कि अगर किसी नेता के द्वारा ऐसा किया जाता है तो इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी में गिना जाएगा।
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2019 के लिए क्या है मायावती की रणनीति
आपको बता दें कि यूपी में बने महागठबंधन के तहत बसपा को 38, सपा को 37 और आरएलडी को 3 सीटें दी गई हैं। कांग्रेस को हालांकि गठबंधन में जगह नहीं दी गई है, लेकिन अमेठी और रायबरेली सीट पर महागठबंधन ने प्रत्याशी ना उतारने का फैसला लिया है। वहीं दूसरी तरफ खबर है कि मायावती उत्तर प्रदेश में एक बार फिर जाति का कार्ड खेलने जा रही हैं। इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, महागठबंधन में यूपी की 80 में से 38 सीटें मिलने के बाद मायावती ने बीएसपी के ज्यादातर टिकट ब्राह्मण समाज के लोगों को दिए हैं। साथ ही खबर यह भी है कि इस बात की संभावना बेहद कम है कि मायावती खुद यूपी की किसी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ें। मायावती ने बसपा के हिस्से में आई सीटों पर किसी भी अन्य जाति की तुलना में ब्राह्मणों को सबसे ज्यादा टिकट दिए हैं। माना जा रहा है कि मायावती अपनी इस रणनीति के जरिए भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को झटका देने की तैयारी में हैं।
2007 वाला समीकरण बनाने की तैयारी
दरअसल, मायावती यूपी में एक बार फिर से 2007 के विधानसभा चुनावों का परिणाम दोहराने की कोशिश में नजर आ रही हैं। 2007 के विधानसभा चुनावों में मायावती ने दलित-ब्राह्मण समीकरण के जरिए यूपी में जीत का परचम लहराया और प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। खबर है कि बहुजन समाज पार्टी को मिली 38 लोकसभा सीटों में से ज्यादातर पर मायावती टिकट फाइनल कर चुकी हैं। बसपा के थिंक टैंक का मानना है कि यूपी में दलित-मुस्लिम और समाजवादी पार्टी के ओबीसी वोटों के साथ अगर उसे ब्राह्मण समाज के वोट मिल जाएं तो वो भाजपा और कांग्रेस पर बढ़त हासिल कर सकती है। सियासी जानकारों का मानना है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों और ठाकुरों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई है, हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में यह लड़ाई पीछे छूट गई थी, लेकिन अब मायावती आगामी चुनाव में इसे फिर से भुनाने की उम्मीद में हैं।
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