क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

लोकसभा चुनाव 2019: पश्चिम बंगाल में बजा बीजेपी का बिगुल, अब ममता बनर्जी क्या करेंगी?

बंगाल के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के इस प्रदर्शन ने दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए ख़तरे की घंटी बजने लगी है. राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "बीजेपी का यह प्रदर्शन अब तृणमूल के लिए गहरी चिंता का विषय बन गया है. आने वाले दिनों में पार्टी के रणनीति और संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिल सकता है."


By प्रभाकर एम.
Google Oneindia News
बीजेपी समर्थक
Getty Images
बीजेपी समर्थक

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में ज़बरदस्त प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के माथे पर चिंता की लकीरों को गहरा कर दिया है.

ये पार्टी पहले से ही कहती रही थी कि लोकसभा चुनाव सेमीफ़ाइनल हैं और फ़ाइनल तो 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव ही होंगे.

अब इस सेमीफ़ाइनल में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के 23 सीटों के लक्ष्य के आस-पास पहुंच कर पार्टी ने फ़ाइनल में तृणमूल कांग्रेस के वर्चस्व के लिए एक बड़ा ख़तरा पैदा कर दिया है.

वैसे, जीत से उत्साहित प्रदेश बीजेपी नेताओं का दावा है कि अब राज्य में ममता बनर्जी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.

पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा तो पहले ही कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के 60 दिनों बाद ममता बनर्जी सरकार बदल जाएगी.

बीजेपी के एक अन्य नेता कैलाश विजयवर्गीय कहते हैं कि अब तृणमूल कांग्रेस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में महज 17 फ़ीसदी वोट के साथ दो सीटें जीतने वाली बीजेपी के वोटों का आंकड़ा 40 फ़ीसदी पहुंचने को जबरदस्त राजनीतिक उलटफेर कहा जा सकता है.

ममता बनर्जी
Getty Images
ममता बनर्जी

ममता ने जिसकी कल्पना नहीं की होगी...

बीजेपी के इस प्रदर्शन ने तमाम राजनीतिक पंडितों के पूर्वानुमानों को ख़ारिज कर दिया है. इसके साथ ही बंगाल की सभी 42 सीटें जीत कर केंद्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाने के ममता बनर्जी के सपने पर पानी फेर दिया है.

वैसे, ममता बनर्जी ने पार्टी के जीतने वाले उम्मीदवारों को बधाई देते हुए तमाम नतीजे अधिृकत रूप से सामने आने के बाद नतीजों की समीक्षा करने की बात कही है लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों ने उनके माथे पर चिंता की लकीरें जरूर बढ़ा दी हैं.

दरअसल, ममता बनर्जी को इस बात का अंदेशा तो था कि बीजेपी का प्रदर्शन अबकी बार पिछली बार से बेहतर रहेगा लेकिन यह इतना चौंकाने वाला होगा, इसकी उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी.

इस नतीजे ने एक दशक पहले 2009 के लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के प्रदर्शन की यादें ताजा कर दी हैं. तब तृणमूल कांग्रेस के सीटों की तादाद एक से बढ़ कर 19 तक पहुंच गई थीं. राज्य में तब वाममोर्चे की सरकार थी.

ये भी पढ़ें- 'प. बंगाल में छह महीने में सत्ता में आ जाएगी BJP'

ममता बनर्जी की किस्मत फ़िल्मी सितारों के हाथ में?

बीजेपी समर्थक
Getty Images
बीजेपी समर्थक

बंगाल में कैसे छा गई बीजेपी?

ममता पहले से ही बीजेपी, सीपीएम और कांग्रेस के बीच गोपनीय तालमेल होने के आरोप लगाती रही थीं. यानी उनको इस बात का अंदेशा तो पहले से ही था. उनका अंदेशा सच साबित हुआ है. सीपीएम के तमाम वोट अबकी बीजेपी के खाते में गई हैं.

इसके अलावा नागरिकता (संशोधन) विधेयक और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) जैसे मुद्दे भी असरदार साबित हुए हैं.

बीजेपी ने उम्मीद के मुताबिक झारखंड से सटे बांकुड़ा, पुरुलिया और झाड़ग्राम इलाकों में काफ़ी बेहतर प्रदर्शन किया है. उत्तर बंगाल में दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरदुआर जैसी सीटों पर जीत से पार्टी ने साफ़ कर दिया है कि बंगाल के लोग तृणमूल कांग्रेस के विकल्प के तौर पर उसे ही देख रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल में कुल 34 रैलियां की थीं. उनका असर भी नतीजों पर नजर आ रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक मईदुल इस्लाम कहते हैं, "कांग्रेस और सीपीएम के हाशिए पर सिमटने की वज़ह से उसके वोट बैंक पर बीजेपी ने क़ब्ज़ा कर लिया. कांग्रेस और सीपीएम के बीच तालमेल नहीं होने की वज़ह से वोटरों का जबरदस्त धुव्रीकरण हुआ और इसका नुकसान तृणमूल को उठाना पड़ा. इसके अलावा कुछ इलाकों में बीजेपी ने तृणमूल के अल्पसंख्यक वोट बैंक में भी सेंध लगाई है."

ये भी पढ़ें- ममता बनर्जी का चुनाव आयोग पर भड़कना कितना जायज़?

स्मृति ईरानी: मोदी विरोधी अनशन से राहुल का किला भेदने तक

ममता बनर्जी
Reuters
ममता बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां

हाल के वर्षों में इलाके में संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों की बढ़ती गतिविधियों और आदिवासियों के बीच बढ़ती पैठ ने बीजेपी का आधार मजबूत बना दिया.

पर्यवेक्षकों का कहना है कि सीपीएम और कांग्रेस के राजनीतिक हाशिए पर पहुंचने की वज़ह से तृणमूल कांग्रेस-विरोधी वोटरों को बीजेपी में ही बेहतर विकल्प नज़र आया और लोगों ने उसके पक्ष में खुल कर मतदान किया.

इसके अलावा ख़ासकर बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों में पार्टी को नागरकिता (संशोधन) विधेयक और नेशनल रजिस्टर आफ़ सिटीजंस (एनआरसी) जैसे मुद्दों का भी फ़ायदा मिला.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने चुनाव अभियान के दौरान इन दोनों मुद्दों को काफ़ी प्रमुखता दी थी.

बंगाल के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के इस प्रदर्शन ने दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए ख़तरे की घंटी बजने लगी है.

राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "बीजेपी का यह प्रदर्शन अब तृणमूल के लिए गहरी चिंता का विषय बन गया है. आने वाले दिनों में पार्टी के रणनीति और संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिल सकता है."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Lok Sabha Elections 2019: BJP's great entry in West Bengal, what will Mamata Banerjee do now?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X