बिहार में पप्पू-राजद-कांग्रेस की लड़ाई: हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे
नई दिल्ली। तेजस्वी यादव, पप्पू यादव को माफ करने के मूड में नहीं है। मतभेद अब अदावत में तब्दील है। पप्पू यादव की वजह से तेजस्वी की कांग्रेस से तल्खी बढ़ गयी है। तेजस्वी का आरोप है कि पप्पू यादव भाजपा का मोहरा हैं और वे किशनगंज, पूर्णिया, मधेपुरा और बेगूसराय में गठबंधन को हराने के लिए काम कर रहे हैं। पप्पू यादव से अदावत साधने के लिए ही राजद ने सुपौल सीट पर अपने समर्थक को खड़ा किया है। सुपौल में रंजीत रंजन के लिए कांग्रेस ने तेजस्वी से सुलह की कोशिश की, लेकिन नाकाम रही। अब तेजस्वी कांग्रेस पर दबाव बना रहे हैं कि वह रंजीत रंजन के जरिये पप्पू पर नकेल कसे।
कांग्रेस को किशनगंज और पूर्णिया में पप्पू से खतरा
तेजस्वी यादव ने अब पप्पू पर भाजपा के एजेंट होने का आरोप लगा दिया है। तेजस्वी ने कहा है कि भाजपा-जदयू को फायदा पहुंचाने के लिए पप्पू किशनगंज, पूर्णिया, मधेपुरा और बेगूसराय में महागठबंधन के खिलाफ काम कर रहे हैं। जब पप्पू यादव किशनगंज और पूर्णिया में खुद कांग्रेस के उम्मीदवार को हराने के लिए मुहिम चला रहे हैं तो फिर वह किस बिना पर सुलह की कोशिश कर रही है। किशनगंज में कांग्रेस के डॉ. जावेद और पूर्णिया से कांग्रेस के उदय सिंह मैदान में हैं। किशनगंज में मुसलमानों के बाद यादव जाति भी प्रभावशाली है। अगर यादव वोटों का बिखराव होता है तो जदयू को फायदा मिल सकता है। पूर्णिया तो पप्पू यादव की कर्मभूमि ही है। यहां पप्पू यादव का इतना प्रभाव रहा है कि वे निर्दलीय भी लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। अगर वे उदय सिंह के खिलाफ अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेंगे तो नुकसान कांग्रेस का ही होगा। तेजस्वी का कहना है कि पप्पू जितना राजद के लिए नुकसानदेह हैं उतना ही कांग्रेस के लिए भी।
बेगूसराय में पप्पू को कन्हैया से सहानुभूति
तेजस्वी इस बात से खफा है कि पप्पू बेगूसराय सीट पर सीपीआइ के कन्हैया कुमार को मदद पहुंचा रहे हैं। बेगूसराय में राजद के तनवीर हसन चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में वे दूसरे नम्बर पर रहे थे। इस बार राजद उन्हें जीताऊ उम्मीदवार के रूप में देख रहा है। इसी वजह से राजद ने इस सीट पर कन्हैया को समर्थन नहीं दिया था। 2014 में भाजपा के भोला सिंह को 4 लाख 28 हजार , राजद के तनवीर हसन को 3 लाख 69 हजार और सीपीआइ के राजेन्द्र सिंह को 1 लाख 92 वोट मिले थे। पिछले चुनाव में राजद को सीपीआइ से बहुत अधिक वोट मिले थे इस लिए ये सीट उसने अपने पास रखी। लेकिन पप्पू यादव की कन्हैया से सहानुभूति राजद के आड़े आ रही है। तेजस्वी के मुताबिक महागठबंधन को पप्पू यादव की वजह से चार सीटों पर परेशानी हो रही है।
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मधेपुरा में राजद के शरद यादव को परेशानी
तेजस्वी की सबसे अधिक नाराजगी पप्पू यादव के मधेपुरा से चुनाव लड़ने पर है। यहां राजद ने सीनियर लीडर शरद यादव को मैदान में उतारा है। पप्पू की चुनौती से शरद यादव की स्थिति कमजोर नजर आ रही है। पिछले चुनाव में पप्पू यादव ने राजद के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव जीता था। आपसी झगड़े के बाद राजद ने जब पप्पू को टिकट नहीं दिया तो वे अपनी पार्टी जाप के बैनर पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसी खुन्नस में राजद ने सुपौल में अपने एक विधायक को निर्दलीय खड़ा कर दिया है। अगर मधेपुरा में शरद यादव हारे तो सुपौल में पप्पू की पत्नी रंजीत रंजन भी जीत नहीं पाएंगी। यानी हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे। दो यादवों के टकराने से महागठबंधन को निश्चित रूप से नुकसान होगा।
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पप्पू की घेराबंदी
तेजस्वी के मुताबिक पप्पू यादव न केवल राजद बल्कि कांग्रेस के लिए भी मुसीबत बने हुए हैं। तब फिर उन पर रहम कैसे किया जा सकता है। तेजस्वी कांग्रेस को यही बात समझाने की कोशिश कर रहे हैं। राजद पप्पू यादव को अलग थलग करने के लिए रंजीत रंजन को जरिया बना रहा है। दूसरी तरफ पप्पू यादव अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं। वे कहते रहे हैं कि लालू यादव के बाद वे ही यादवों के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। इस बात को साबित करने के लिए उनका मधेपुरा से चुनाव जीतना जरूरी है। वे पहले भी लालू के विरोध के बावजूद चुनाव जीतते रहे हैं। इस बार तो लालू यादव चुनाव प्रचार में भी नहीं हैं। इससे पप्पू को अपनी राह आसान लगती है। इस लिए कांग्रेस और राजद के तमाम दबावों के बावजूद वे मैदान में डटे हुए हैं। तेजस्वी, पप्पू यादव की इसी ताकत को तोड़ना चाहते हैं।
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