पासवान की घुट्टी से बदले नीतीश कुमार के सुर, फिर रैली में बोले मोदी की 'जय हो'
नई
दिल्ली।
शाहनवाज
मसले
पर
भाजपा
को
आंख
तरेरने
वाले
नीतीश
कुमार
मंगलवार
को
बदले
हुए
अंदाज
में
दिखे।
चुनावी
मंच
पर
प्रधानमंत्री
की
शान
में
कशीदे
गढ़े।
उन्होंने
पहली
ये
बात
कबूल
की
कि
केन्द्र
के
पैसे
बिहार
में
सड़कें
चकाचक
हो
रही
हैं।
आखिर
नीतीश
में
ये
बदलाव
कैसे
हुआ?
दरअसर
रामविलास
पासवान
पिछले
कुछ
समय
से
बिहार
एनडीए
के
लिए
क्राइसिस
मैनेजर
बने
हुए
हैं।
एक
बार
फिर
वे
संकटमोचक
बन
कर
सामने
आये।
संकट मोचक रामविलास
सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में भी खूब किचकिच हुई थी। भाजपा बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती थी और नीतीश बराबरी का हक मांग रहे थे। तल्खी इतनी बढ़ गयी थी कि बात बिगड़ने वाली थी। उस समय रामविलास पासवान ने ही दखल देकर स्थिति संभाली थी। जब जमुई में एनडीए की संयुक्त रैली के ठीक पहले नीतीश ने शाहनवाज को लेकर भाजपा से नाराजगी जाहिर की तो पासवान सक्रिय हो गये। वे नहीं चाहते थे कि चुनाव प्रचार की शुरुआत में ही कोई विवाद हो। उन्होंने नीतीश कुमार से बात की। जमुई में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान एक साथ मंच पर आये तो जोश बुलंदी पर था।
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नीतीश कुमार ने गया की चुनावी सभा में कहा कि बिहार की प्रगति में केन्द्र भरपूर सहयोग कर रहा है। सिर्फ बिहार की सड़कों के लिए 50 हजार करोड़ रुपये दिये हैं। ये वही नीतीश कुमार हैं जो अब तक सड़क निर्माण में भेदभाव किये जाने को लेकर केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी की सरेआम खिंचाई करते रहे थे। इस मुद्दे पर भी नीतीश ने अपना रवैया बदल दिया। नीतीश ने कहा कि केन्द्र सरकार बिहार को हर क्षेत्र में विकास के लिए मदद कर रही है। पूर्णिया, दरभंगा, बिहटा में एयरपोर्ट का विस्तार हो रहा है। बरौनी रिफायनरी और फर्टिलाइजर का कायाकल्प हुआ। ये तारीफ जरूरत भी है और मजबूरी भी। दरअसल नीतीश और भाजपा के चुनावी दरख्त की एक ही शाख पर बैठे हैं। अगर शाख टूटी तो दोनों गिरेंगे। जीत हार से ही उनकी हैसियत तय होने वाली है। मन मिजाज को तो काबू में रखना ही होगा।
सड़क के मुद्दे पर यूटर्न
अक्टूबर 2018 की ही बात है। नीतीश ने एनएचआइ के अड़ियल रवैये को लेकर केन्द्र सरकार और उसके अधिकारियों की खुलेआम आलोचना की थी। इंजीनियरों के एक कार्यक्रम में नीतीश ने कहा था कि केन्द्रीय मंत्री किसी प्रोजेक्ट पर हामी भरते हैं लेकिन उनके अफसर काम नहीं करने देते। अगर ऐसा है तो हम सेंट्रल फंड के लिए मुंह नहीं ताकेंगे। अपने बूते काम को पूरा करेंगे। दरअसल नीतीश पटना एयरपोर्ट से शिवाल-बिहटा एलिवेटेड रोड में लेटलतीफी से से नाराज थे। नीतीश बार-बार केन्द्र सरकार को कोसते रहे हैं कि बिहार को वो 970 करोड़ रुपये नहीं लौटाये गये जो उसने एनएच के निर्माण और मरम्मत पर खर्च किये थे। ये पैसा केन्द्र को खर्च करना था लेकिन जरूरत को देख कर राज्य सरकार ने अपने फंड से किया था। सड़क के मुद्दे पर हाल तक नीतीश की नितिन गडकरी से ठनी हुई थी। लेकिन अब वही नीतीश सड़क के मुद्दे पर केन्द्र की तारीफें कर रहे हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव नीतीश के लिए भी लिटमस टेस्ट है। उन्हें साबित करना है कि बिहार का चुनावी चेहरा वही हैं।
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