क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

लोकसभा चुनाव 2019: टिकट बंटने से पहले, अपने ही हो रहे हैं बागी

By वाई एन झा, वरिष्ठ पत्रकार
Google Oneindia News

रांची। झारखंड में हरेक राजनीतिक दल अब चुनाव की तैयारी में जुट गया है। उम्मीदवारों के चयन के लिए बैठकों और विचार-विमर्श का दौर जारी है। चुनावी तैयारियों के मामले में हरेक दल की गतिविधियां अलग-अलग होने के साथ एक मोर्चे पर हर दल में एक बात को लेकर समानता दिख रही है। यह समानता है उसके भीतर से उठनेवाली बगावती आवाज। झारखंड के हर दल को अपने ही घर के भीतर से उठनेवाली बगावती आवाजों से रू-ब-रू होना पड़ रहा है। दलों के नेता इन बागियों को समझाने-बुझाने के साथ मतदाताओं के बीच सब कुछ ठीक होने का संदेश दे रहे हैं, लेकिन उनका प्रयास कितना सफल हो रहा है, यह तो जमीन पर ही दिखाई दे रहा है। ऐसा नहीं है कि केवल एक दल के भीतर से बगावत की आवाज सुनाई दे रही है। यह आवाज किसी दल में सीट छोड़ने को लेकर है, तो किसी अन्य में टिकट नहीं देने को लेकर, कहीं जातीय या धार्मिक आधार पर पार्टी नेतृत्व पर दबाव डालने की कोशिश की जा रही है, तो कहीं पिछले चुनाव के रिकॉर्ड के आधार पर चुनाव मैदान में उतरने की बात कही जा रही है।

भाजपा के निवर्तमान सांसद और विधायक की चेतावनी

भाजपा के निवर्तमान सांसद और विधायक की चेतावनी

ऐसा नहीं है कि बगावत के स्वर केवल विपक्षी दलों के भीतर ही उठ रहे हैं। भाजपा और उसकी सहयोगी आजसू के भीतर भी विद्रोह की आवाज बुलंद हो रही है। गिरिडीह के निवर्तमान सांसद रविंद्र कुमार पांडेय को जैसे ही पता चला कि इस बार उनका टिकट कटनेवाला है, उन्होंने चेतावनी दे डाली कि पार्टी नेतृत्व गिरिडीह सीट छोड़ने के फैसले पर पुनर्विचार करे, अन्यथा इसके बुरे परिणाम हो सकते हैं। उधर गिरिडीह के एक अन्य दावेदार और बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो ने सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन अपने समर्थकों के जरिये पार्टी नेतृत्व से साफ कहा कि गिरिडीह के बदले उन्हें धनबाद से लड़ने दिया जाये। बताते चलें कि भाजपा ने तालमेल के तहत गिरिडीह सीट आजसू के लिए छोड़ दी है।

<strong>इसे भी पढ़ें:- लोकसभा चुनाव 2019 : झारखंड में वाम दलों ने क्यों की आंखें लाल? </strong>इसे भी पढ़ें:- लोकसभा चुनाव 2019 : झारखंड में वाम दलों ने क्यों की आंखें लाल?

आजसू के भीतर समझौते को लेकर सुगबुगाहट

आजसू के भीतर समझौते को लेकर सुगबुगाहट

लोकसभा चुनाव में पहली बार तालमेल के साथ मैदान में उतरनेवाली आजसू को भाजपा से गिरिडीह सीट का गिफ्ट तो मिल गया, लेकिन इससे उसकी परेशानी कम नहीं हुई है। पार्टी ने पहले तीन सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा की थी और अब केवल एक सीट पर समझौता कर लेना उसके नेताओं-कार्यकर्ताओं को पच नहीं रहा है। आजसू का कोई भी नेता सामने आकर विरोध तो नहीं कर रहा है, लेकिन निजी तौर पर उनका मानना है कि पार्टी नेतृत्व ने एक सीट पर समझौता कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। पार्टी को किसी भी कीमत पर अपने घोषित स्टैंड से पीछे नहीं हटना चाहिए था। इससे लोगों में गलत संदेश गया है। इतना ही नहीं, पार्टी के एक धड़े का कहना है कि सरकार की सहयोगी पार्टी होने के बावजूद साढ़े चार साल में एक बार भी भाजपा ने पार्टी से किसी भी मुद्दे पर सलाह-मशविरा नहीं किया और न ही विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के नजरिये को तरजीह दी। फिर उसी पार्टी के साथ तालमेल करना सही नहीं है।

कांग्रेस के दो विधायकों ने बुलंद किया विद्रोह का झंडा

कांग्रेस के दो विधायकों ने बुलंद किया विद्रोह का झंडा

राज्य में विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व करनेवाली कांग्रेस के भीतर से भी बिद्रोह की आवाजें सुनाई पड़ने लगी हैं। पार्टी ने जैसे ही गोड्डा सीट सहयोगी दल झाविमो को देने का फैसला किया, वहां के विधायक डॉ इरफान अंसारी बिदक गये। उन्होंने साफ कह दिया कि यदि हमने गोड्डा सीट से किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया, तो फिर न केवल झारखंड, बल्कि आसपास के बिहार और बंगाल की सीटों पर भी महागठबंधन के उम्मीदवारों को जीतने में कठिनाई होगी। डॉ अंसारी ने इससे भी आगे जाते हुए साफ कहा था कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष खुद झाविमो के सांसद रह चुके हैं। इसलिए उन्हें कांग्रेस की विचारधारा का ज्ञान नहीं है।

इसके बाद संथाल परगना के जरमुंडी के विधायक बादल पत्रलेख की नाराजगी सामने आयी। पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी रांची आये और मोरहाबादी मैदान में रैली की। उस रैली में बादल पत्रलेख शामिल नहीं हुए। इतना ही नहीं, उन्होंने इस बारे में कारण पूछे जाने पर सफाई भी नहीं दी। बादल ने अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर तो व्यक्त नहीं की, लेकिन राहुल की रैली का बहिष्कार कर उन्होंने साफ कर दिया कि कांग्रेस के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

झामुमो के भीतर से भी उठे असंतोष के स्वर

झामुमो के भीतर से भी उठे असंतोष के स्वर

झारखंड के प्रमुख विपक्षी दल झामुमो के भीतर भी सब कुछ ठीक नहीं है। तोरपा से पार्टी के विधायक पौलुस सुरीन तो काफी पहले से ही बागी तेवर अपनाये हुए हैं। दिसंबर महीने में कोलेबिरा में हुए विधानसभा चुनाव में झारखंड पार्टी प्रत्याशी मेनन एक्का को समर्थन देने के गुरुजी के फैसले का उन्होंने तीखा विरोध किया था। मेनन की करारी हार का एक कारण पौलुस सुरीन के बागी तेवर को भी बताया गया था। इधर बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा ने भी पार्टी द्वारा लोहरदगा सीट छोड़ने का विरोध किया है। उन्होंने तो कांग्रेस को चुनौती दी है कि वह चाहे तो वहां दोस्ताना मुकाबला कर ले। चमरा ने लोहरदगा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है और कहा है कि वह इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। इससे पहले पार्टी के दो अन्य विधायक शशिभूषण सामड और दीपक बिरुआ कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के पार्टी के फैसले पर अंगुली उठा चुके हैं।

राजद के भीतर भी है महागठबंधन से नाराजगी

राजद के भीतर भी है महागठबंधन से नाराजगी

झारखंड में महज कुछ क्षेत्रों में ही सिमटे राष्ट्रीय जनता दल के भीतर भी असंतोष है। यह असंतोष विपक्षी महागठबंधन के भीतर उसके साथ हो रहे उपेक्षात्मक व्यवहार को लेकर है। पार्टी के कई नेता कह चुके हैं कि पार्टी को कम से कम दो सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि महागठबंधन उसे केवल एक सीट दी जा रही है। यही नहीं, पार्टी सुप्रीमो लालू यादव द्वारा तय किये गये उम्मीदवार का भी पत्ता साफ कर दिया जा रहा है। पार्टी नेताओं की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि झारखंड में महागठबंधन के स्तर पर होनेवाली किसी भी बैठक में राजद को नहीं बुलाया जाता है। ऐसी स्थिति में महागठबंधन में शामिल होने का क्या लाभ है।

<strong>इसे भी पढ़ें:- लोकसभा चुनाव 2019: अंतिम समय में घोषणापत्र ही नहीं दल-बदल रोकना भी जरूरी </strong>इसे भी पढ़ें:- लोकसभा चुनाव 2019: अंतिम समय में घोषणापत्र ही नहीं दल-बदल रोकना भी जरूरी

Comments
English summary
Lok Sabha Elections 2019 : Before distributing tickets Some leaders getting rebel in Jharkhand.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X