आखिरी चरण के चुनाव से पहले नाराज हुई भाजपा की सहयोगी पार्टी, बुलाई आपात बैठक
लोकसभा चुनाव के बीच BJP को बड़ा झटका, नाराज हुई ये सहयोगी पार्टी
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) में अब केवल एक चरण का मतदान बाकी है। रविवार को 59 लोकसभा सीटों के तहत अंतिम चरण के वोट डाले जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) समेत भाजपा के दिग्गज नेता दावा कर रहे हैं कि इस बार एनडीए 2014 से भी ज्यादा सीटों पर जीत हासिल कर केंद्र में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाएगा। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल भाजपा की एक सहयोगी पार्टी उससे नाराज हो गई है। इस सहयोगी पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं की आपात बैठक बुलाई है, जिसमें निर्णय लिया जाएगा कि उनकी पार्टी को भाजपा के साथ बने रहना है या नहीं।
समर्थन को लेकर आज होगा फैसला
मिल रही जानकारी के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले मणिपुर में नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने कहा है भारतीय जनता पार्टी उनके विचारों और सिद्धांतों पर ध्यान नहीं दे रही है। एनपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष अवांगबौ नईमई ने कहा कि भाजपा अपने सहयोगी दलों को नीचा दिखाती है। एनपीएफ ने इसी मुद्दे को लेकर शनिवार को अपने वरिष्ठ नेताओं की आपातकालीन बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी के नेता यह तय करेंगे कि एनपीएफ को भाजपा के साथ गठबंधन में रहना है या अपना समर्थन वापस लेना है। वहीं, एनपीएफ के आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा का कहना है कि उसने मणिपुर में सरकार की सुचारू कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने के लिए अपने भागीदारों को हरसंभव सुविधाएं दी हैं।
ये भी पढ़ें- प्रचार खत्म होने के बाद प्रियंका ने ट्वीट कर बताया, 23 को क्या होगा
'हमने बड़ा भाई माना, लेकिन उन्होंने झांसा दिया'
एनपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष अवांगबौ नईमई ने अपने आरोपों में कहा, 'सरकार बनने के बाद से भाजपा ने गठबंधन की भावना का कभी सम्मान नहीं किया। इस दौरान ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जब उनके नेताओं ने हमारी पार्टी के सदस्यों को गठबंधन का साथी मानने से इनकार कर दिया। भारतीय जनता पार्टी अपने गठबंधन सहयोगियों से किए गए वादों पर खरा नहीं उतरी है। एनपीएफ ने हमेशा भाजपा को अपना बड़ा भाई माना है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हमें झांसा देना बंद नहीं किया। गठबंधन में हमें अपना उचित सम्मान नहीं मिला।' गौरतलब है कि 60 विधानसभा सीटों वाले मणिपुर में एनपीएफ के चार विधायक हैं, जिनमें से एक विधायक सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
लगता है कि उनकी कई मांगें हैं: भाजपा
वहीं, अवांगबौ नईमई के दावों को गलत बताते हुए मणिपुर भाजपा के प्रवक्ता सीएच बिजॉय ने कहा, 'एनपीएफ ने गठबंधन में शामिल होने के वक्त यह कहा था कि उन्हें अपने किसी भी विधायक के लिए कोई मंत्री पद नहीं चाहिए, लेकिन अब ऐसा लगता है कि उनकी कई मांगें हैं। एनपीएफ ने भाजपा के ऊपर जो भी आरोप लगाए हैं, वो सभी निराधार हैं और उनमें कोई दम नहीं है। सरकार के सुचारू कामकाज के लिए हमारी पार्टी ने गठबंधन के भागीदारों को सभी संभव सुविधाएं प्रदान की हैं।' आपको बता दें कि अगर मणिपुर में एनपीएफ भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेती है, तो भी सरकार के ऊपर कोई असर नहीं पड़ेगा। कांग्रेस के 28 विधायकों में से 8 विधायक पिछले साल ही भाजपा में शामिल हो गए थे, जिससे विधानसभा में अब भाजपा के सदस्यों की संख्या 21 से बढ़कर 29 हो गई। सरकार के साथ गठबंधन में एनपीपी के चार विधायकों के अलावा लोजपा का एक, एआईटीसी का एक और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है।
ये भी पढ़ें- BSP के पूर्व नेता का दावा, 23 मई के बाद भाजपा से मिल जाएंगी मायावती