यूपी की 75 सीटों के लिए अखिलेश-मायावती ने कैसे रचा चक्रव्यूह, जानिए अंदर की 3 बातें
अखिलेश यादव और मायावती ने यूपी की 75 सीटों पर किस फॉर्मूले से सीटों का बंटवारा किया है, इसे लेकर अंदर की 3 बातें सामने आई हैं।
नई दिल्ली। लखनऊ में बीती 12 जनवरी को जिस वक्त सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के लिए महागठबंधन (Mahagathbandhan) का ऐलान किया तो यूपी से लेकर दिल्ली तक केवल यही चर्चा थी कि दोनों नेताओं के बीच सीटों के बंटवारे में 'रनर अप' वाला फॉर्मूला अपनाया जाएगा। यानी 2014 के लोकसभा चुनाव में जो पार्टी जिस सीट पर दूसरे नंबर पर रही, वो सीट उसी के खाते में जाएगी। सियासी गुणा-भाग को देखते हुए सीट शेयरिंग के इस फॉर्मूले को यूपी के समीकरणों के हिसाब से काफी अहम माना जा रहा था। लेकिन...गुरुवार को सपा-बसपा की ओर से जो सूची जारी की गई, उसमें इस फॉर्मूले से भी दो कदम आगे बढ़ते हुई यूपी की 75 सीटों के लिए एक चक्रव्यूह तैयार किया गया है। सीटों के इस बंटवारे में अंदर की तीन बातें निकलकर सामने आ रही हैं।
रनर अप फॉर्मूले के बजाय जातीय समीकरणों का ध्यान
गुरुवार को सपा-बसपा की ओर से जारी सूची में कई बड़े बदलाव देखने को मिले। 2014 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो बसपा का इन चुनावों में खाता भी नहीं खुला था। हालांकि, 34 सीटों पर बसपा दूसरे नंबर पर रही थी। वहीं, समाजवादी पार्टी ने इन चुनावों में पांच सीटें हासिल की थी, जबकि 34 लोकसभा सीटों पर वो भी दूसरे नंबर पर रही थी। 2019 के लिए तय की गई सूची में बसपा ने ऐसी आठ सीटें समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ी हैं, जिनपर 2014 के लोकसभा चुनाव में वह दूसरे नंबर पर रही थी, जबकि सपा ने इसी तरह की 13 सीटें बसपा को दी हैं। दरअसल सीटों के इस बदलाव में रनर अप फॉर्मूले को पीछे छोड़ते हुए जातीय समीकरण को ध्यान में रखा गया है। दोनों दलों ने अपने हिस्से में उन सीटों को रखा है, जहां जातीय समीकरण कहीं ना कहीं उनके पक्ष में हैं।
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महागठबंधन में 'मायावती की हां में हां'
अखिलेश यादव और मायावती की ओर से जारी सूची में सपा को 37 और बसपा को 38 सीटें दी गई हैं। अमेठी और रायबरेली को कांग्रेस के लिए छोड़ते हुए बाकी तीन सीटें आरएलडी के खाते में गई हैं। सीटों की इस सूची को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि महागठबंधन में ना केवल मायावती को ज्यादा सीटें दी गई हैं, बल्कि सीटों के बंटवारे में भी उनकी पसंद को ही ऊपर रखा गया है। इसकी बड़ी वजह यह है कि मायावती के पास एक ऐसा वोटर है, जो उनके इशारे भर पर किसी भी दल को ट्रांसफर हो सकता है। यूपी की गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में यह प्रयोग सफल भी हो चुका है। सीट बंटवारे के तहत यूपी की ऐसी 13 सीटें बसपा के खाते में गई हैं, जहां समाजवादी पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर थी। ये सीटें हैं- बिजनौर, नगीना (सुरक्षित), गौतमबुद्ध नगर, गाजीपुर, प्रतापगढ़, हमीरपुर, अमरोहा, आंवला, फर्रूखाबाद, कैसरगंज, लालगंज, श्रावस्ती और बस्ती।
17 सुरक्षित सीटों में से 10 मायावती को
2014 के चुनावी नतीजों को देखें तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी के दलित वोटों का एक बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी को मिला था। हालांकि सियासी जानकारों का मानना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए स्थिति पिछले चुनाव से अलग हो सकती है। ऐसे में यूपी के दलित वोटों पर मायावती की विशेष निगाहें हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ही मायावती ने यूपी की 17 सुरक्षित लोकसभा सीटों में से 10 अपने पास रखी हैं, जबकि सात सीटें अखिलेश यादव के खाते में गई हैं। सुरक्षित सीटों में बसपा के पास- बुलंदशहर, नगीना, आगरा, शाहजहांपुर, मिश्रिख, मोहनलालगंज, जालौन, बासगांव, लालगंज और मछलीशहर हैं। वहीं, सपा के पास- हाथरस, हरदोई, कौशांबी, बाराबंकी, इटावा, बहराइच और रॉबर्ट्सगंज हैं।
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